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ब्लैक आउट में काला पेंट! भारत पाकिस्तान युद्ध में गाड़ी की हेडलाइट भी आधी काली, आइए जानते हैं क्यों?
India Pakistan Black Out History: क्या आप जानते हैं कि सालों पहले वाहनों की हेडलाइट्स को आधा काला क्यों रखा जाता था?आइये जानिए कैसा था साल 1971 का वो मंज़र।
India Pakistan Black Out History (Image Credit-Social Media)
India Pakistan Black Out History: इसलिए वाहनों की हेडलाइट्स को पहले आधा काला रखा जाता था, जानिए कैसा था साल 1971 का वो मंज़रनई दिल्ली। भारत ने पूर्ण युद्ध 1971 में लड़ा था, सो 71 के बाद पैदा हुई पीढ़ी को युद्ध की बारीकियां, उसके प्रभाव और सावधानियां शायद ही पता हों। वैसे तो 1999 में कारगिल युद्ध भी लड़ा गया लेकिन वह एक पूर्ण युद्ध नहीं कहा जाता। सन 71 में पैदा हुई पीढ़ी आज 54 साल की है और माना जाता है कि देश की 87 फीसदी आबादी 50 साल से कम उम्र की है। बहरहाल, बात करते हैं युद्ध से जुड़ी कुछ चीजों की।
वाहनों की हेडलाइट
क्या आप जानते हैं कि कुछ दशकों पहले हमारे देश में सभी वाहनों के लिए हेडलाइट को ऊपर से आधा काला पेंट करना अनिवार्य होता था। चाहे स्कूटर हो या कार या बस, सभी के लिए ये जरूरी था। लोग शोरूम में ही हेडलाइट पेंट करा लेते थे।
लेकिन क्यों? इसकी बड़ी वजहें थीं। युद्ध के समय रोशनी को छिपाने के लिए ऐसा किया जाता था ताकि आसमान से दुश्मन के विमानों की नजरों से छिपा जा सके। युद्ध के दौरान सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि संभवतः पूरी दुनिया में ये प्रैक्टिस थी। इसका व्यापक इस्तेमाल 1939 से 1945 के बीच वर्ल्ड वॉर में किया गया। ये युद्धकालीन नियम था।
खिड़कियों के शीशे
पाकिस्तान से युद्धों के दौरान लोगों को अपने घरों की खिड़कियों के शीशों पर काला कागज चिपकाने या मोटे पर्दे लगाने को कहा जाता था। लोग काला कागज न मिलने पर अखबार ही चिपका देते थे। ब्लैक आउट साईरन बजते ही लाइट तो दूर, माचिस जलाना तक मना था। वजह ये थी कि पूर्ण अंधेरे में माचिस की रोशनी भी कई किलोमीटर से दिख जाती है।
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