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पुलिस नहीं मार पाई हत्यारा तो अब 'कानून व्यवस्था' संभालेंगे गैंगस्टर, लारेंस गैंग का अल्टीमेटम
Manisha Murder Case: जब अपराधी सोशल मीडिया पर खुलेआम धमकियां दें और सत्ता का गला घोंटने लगें तो समझ लीजिए कि सिस्टम की हालत बहुत नाजुक है।
Manisha Murder Case: हरियाणा के भिवानी जिले में 19 वर्षीय शिक्षिका मनीषा की हत्या की दर्दनाक घटना ने प्रदेश की सत्ता से लेकर सड़क तक हर किसी को झकझोर कर रख दिया है। वो मासूम जो 11 अगस्त को स्कूल से लौटने के बाद नर्सिंग कॉलेज में एडमिशन की जानकारी लेने गई थी, अचानक लापता हो गई। दो दिन बाद उसका शव एक खेत में मिला और यह खबर जैसे बिजली की तरह पूरे हरियाणा में फैल गई।
मामला इतना संवेदनशील था कि हरियाणा सरकार ने इसे सीधे सीबीआई के हवाले कर दिया, ताकि जांच में कोई चूक न हो। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में दावा किया कि वे स्वयं मामले की निगरानी कर रहे हैं और मनीषा को हर हालत में न्याय मिलेगा। लेकिन जैसे हर कहानी में एक ट्विस्ट होता है, इस मामले में भी एक बड़ा मोड़ आया। लॉरेंस बिश्नोई गैंग ने सोशल मीडिया पर धमकी दी कि अगर पुलिस सही न्याय नहीं दे पाई, तो वे खुद हत्यारे को सजा देंगे। और जब बात यहाँ तक पहुंची कि बिश्नोई गैंग के सहयोगी गोल्डी ढिल्लों ने कनाडा से ब्रैम्पटन में सोनू छठा की हत्या की जिम्मेदारी भी ले ली तो मामला और गंभीर हो गया।
पुलिस बनाम गैंगस्टर
जेल में बंद लॉरेंस और विदेश में सक्रिय गोल्डी ढिल्लों की धमकियां प्रदेश की कानून-व्यवस्था के लिए कड़ी चुनौती बन गई हैं। ऐसा लगने लगा है जैसे मनीषा का कत्ल मात्र एक हत्या नहीं, बल्कि गैंगवार का नया अखाड़ा है। स्थानीय लोगों और परिवार की लगातार मांग पर सीएम ने सीबीआई जांच का आश्वासन दिया, लेकिन सवाल ये है कि क्या सच में इस बार न्याय होगा, या फिर मनीषा की कहानी भी उन अनगिनत कहानियों में खो जाएगी जिन पर शासन-प्रशासन ने आंखें बंद कर ली हैं?
हरियाणा की कानून व्यवस्था को अब एक ऐसे फैसले की जरूरत है जो न केवल अपराधियों को सबक सिखाए, बल्कि उन गैंगस्टरों को भी यह समझाए कि यहां कोई भी अपना काला कानून नहीं चला सकता। क्योंकि जब अपराधी सोशल मीडिया पर खुलेआम धमकियां दें और सत्ता का गला घोंटने लगें, तो समझ लीजिए कि सिस्टम की हालत बहुत नाजुक है। मनीषा की हत्या सिर्फ एक दुखद घटना नहीं, बल्कि चेतावनी है कि अगर अपराध और गैंगवार को नहीं रोका गया, तो आने वाले दिनों में हरियाणा की सड़कों पर न्याय के साथ-साथ अराजकता का साया भी और गहरा होगा।
अंत में एक बार फिर यही उम्मीद करनी होगी कि सीबीआई की जांच निष्पक्ष होगी और मनीषा को न्याय मिलेगा, ताकि उसकी जान बेकार न जाए और उसकी कहानी एक सीख बन जाए। वरना तो लगता है कि हरियाणा में कानून और अपराध के बीच की दूरी बस एक सोशल मीडिया पोस्ट की लंबाई की रह गई है।
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