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बाबर करता था शहरों की पूरी आबादी का कत्लेआम....अकबर था सहिष्णुता-क्रूरता का कॉकटेल, NCERT की किताबों में जुड़ा मुगलों के इतिहास का 'काला अध्याय'
NCERT Class 8 Books: एनसीईआरटी की कक्षा 8 की नई किताबों में बाबर और अन्य मुगल शासकों को क्रूर बताया गया है। आइये जाने क्या हुए हैं बदलाव
NCERT Class 8 textbook changes
NCERT Class 8 Books: एनसीईआरटी (NCERT) ने कक्षा 8 की सोशल साइंस की किताबों में कई बदलाव किए हैं। ये बदलाव खासतौर पर दिल्ली सल्तनत और मुगल काल (Mughal Period) के चेप्टर्स में किये गये हैं। इसमें मुगलों को बढ़ा चढ़ा कर दिखाने के बजाये उनके क्रूर इतिहास के बारे में बताया गया है। अकबर को सहिष्णुता और क्रूरता का मिश्रण बताया गया है तो वहीं औरंगजेब को मंदिर और गुरुद्वारे तोड़ने वाला बताया गया है।
दिल्ली सल्तनत में तोड़े गये मंदिर और शैक्षणिक केंद्र
NCERT की नई किताब के मुताबिक, बताया गया है कि दिल्ली सल्तनत राजनीतिक अस्थिरता और सैन्य अभियानों से भरपूर थी। इस काल में गांवों और शहरों को लूटा गया और मंदिरों और शैक्षणिक केंद्रों को नष्ट किया गया। सल्तनत काल और मुगल काल के दौरान मंदिरों पर हमले और कुछ शासकों की क्रूरता के कई संदर्भ नए किताब में शामिल किए गए हैं, जो पुरानी किताब में नहीं थे। इसमें दिल्ली सल्तनत के दौरान गैर-इस्लामिक प्रजा पर लगने वाले 'जजिया कर' का भी जिक्र किया गया है। किताब में बताया गया है कि यह लोगों को इस्लाम अपनाने के लिए प्रोत्साहित करता था।
मुगलों का क्रूर इतिहास
इस किताब में ये भी बताया गया है कि मुगल कितने निर्दयी थे। उन्होंने मंदिरों और शैक्षणिक संस्थानों को नष्ट किया। बाबर जैसा मुगल शासक जिसे उसकी आत्मकथा में एक सभ्य और बौद्धिक आदमी बताया गया है, वह एक क्रूर और निर्दयी शासक भी था, जिसने शहरों की पूरी आबादी का कत्लेआम किया, महिलाओं और बच्चों को गुलाम बनाया। इतना ही नहीं, वह मारे गए लोगों की 'खोपड़ियों की मीनारें' बनवाने में गर्व महसूस करता था। वहीं अकबर को सहिष्णुता और क्रूरता का मिश्रण बताया गया है। किताब बताती है कि अकबर ने चितौड़गढ़ के राजपूत किले पर हमला किया और लगभग 30 हजार लोगों के नरसंहार का आदेश देते हुए एक विजय संदेश भेजा था।
शिवाजी थे कुशल रणनीतिकार
इस किताब में मराठों को भारत के सांस्कृतिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने वाला बताया गया है। शिवाजी को एक कुशल रणनीतिकार और दूरदर्शी शासक के रूप में दर्शाया गया है। किताब में लिखा गया है कि शिवाजी एक आस्थावान हिंदू थे जो दूसरे धर्मों का भी सम्मान करते थे और उन्होंने कई मंदिरों का पुनर्निमाण भी करवाया था।
किसी भी विवाद से बचने के लिए किताब में दर्ज है ये खास नोट
किताबों में इतने बड़े बदलाव के बाद विवाद खड़ा हो सकता है। इस आशंका को भांपते हुए एनसीईआरटी ने किसी भी तरह के विवाद से बचने के लिए एक तरकीब भी अपनाई है। जिसके अंतर्गत एनसीईआरटी ने स्पेशल नोट लिखवाया है, जिसमें कहा गया है कि "पिछले समय की घटनाओं के लिए आज किसी को दोष नहीं देना चाहिए।"
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