आसान नहीं इंदिरा गांधी बन जाना, ऑपरेशन सिन्दूर के बीच लोगों को क्यों याद आईं ‘आयरन लेडी’

Indira Gandhi: पहलगाम आतंकी हमले को लेकर भारत- पाकिस्तान के बीच तनाव की स्थिति बनी हुई है।

Sonali kesarwani
Published on: 11 May 2025 1:01 PM IST (Updated on: 11 May 2025 1:03 PM IST)
India Gandhi
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Indira Gandhi: पहलगाम आतंकी हमले के बाद से भारत पाकिस्तान के रिश्ते बहुत ही ख़राब चल रहे हैं। पहलगाम हमले का मुहतोड़ जवाब देने के लिए भारत ने ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ चलाया जिसके चलते पाकिस्तान में रह रहे नौ आतंकी ठिकाने तबाह कर दिए गए। इस हमले के बाद से पाकिस्तान की तरफ से भारत के सीमावर्ती इलाकों में ड्रोन हमले किये गए जिसे भारतीय सेना ने आसमान में ही नेस्तनाबूत कर दिया। दोनों देशों के बीच यह संघर्ष करीब दो से तीन दिनों तक चला और उसके बाद भारत- पाकिस्तान की तरफ से यह कहा गया कि अब सीजफायर हो चुका है। यानी 10 मई शाम पांच बजे से दोनों देश जल, थल और वायु की लड़ाई पर विराम लगा रहे हैं।

दोनों देशों के बीच सीजफायर का ऐलान तो हुआ लेकिन उसके तीन से चार घण्टे बाद ही पाकिस्तान की तरफ से सीमा पर फिर से फायरिंग शुरू हो गई। पाकिस्तान ने सीजफायर का उल्लंघन कर दिया। पाकिस्तान की ऐसी नापाक हरकत का सेना ने मुंहतोड़ जवाब दिया। इस पूरे संघर्ष के दौरान अचानक से भारत के लोगों को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की याद आई। लोग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करके लिखने लगे कि ‘आसान नहीं इंदिरा गाँधी बन जाना’।

जानकारी के लिए बता दें कि ऐसा कहा जा रहा है कि अमेरिका के वर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संघर्ष विराम के लिए दोनों देशों के DGMO से बातचीत की। जिसके बाद पाकिस्तान के DGMO ने भारत के DGMO से बात करके सीजफायर की बात कही। लेकिन अपनी आदतों से मजबूर पाकिस्तान आखिर में अपनी बात से पलट गया। ऐसे समय में अब लोगो को 1971 का वो किस्सा याद आया जब पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ललकारते हुए ब्रिटेन, अमेरिका जैसे बड़े देशों को कहा कि वो हमें आदेश देने का दुस्साहस न करें।


इंदिरा गांधी की ललकार

यह बात है 1971 की। जब भारत की मदद से पूर्वी पाकिस्तान अलग देश बांग्लादेश बना रहा था। बांग्लादेश की आजादी के लिए भारत की सेनाएं पाकिस्तानी सेनाओं से जूझ रही थी। उस समय ब्रिटेन और अमेरिका जैसे बड़े देश पाकिस्तान के पक्ष में खड़े थे और हरसंभव कोशिश करने में लगे थे कि भारत अपने कदम वापस खींच ले। लेकिन हमारे देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें दोटूक कह दिया था कि कोई भी भारत को 'आदेश' देने का दुस्साहस न करे।'

दरअसल उन्हीं दिनों लंदन के एक अखबार में खबर छपी थी कि ब्रिटेन भारत को हमलावर घोषित कर सकता है। इस पर इंदिरा ने ललकारते हुए कहा 'दुनिया के तथाकथित बड़े देश अपने भड़कीले ओझेपन के आधार पर उनकी इच्छानुसार कुछ भी करवाने का आदेश भारत को न दें। वह समय गुजर गया, जब तीन-चार हजार मील दूर का कोई देश भारतीयों को आदेश दे सकता था यदि कोई देश यह सोचता है कि हमें आक्रमणकारी घोषित करके राष्ट्रीय हित भूल जाने के लिए हम पर है यह हवाई किल्ले बना रहा है।’


बड़े देशों की कीमत हम जानते हैं- इंदिरा गाँधी

उस समय इंदिरा गाँधी ने यह भी कहा कि आखिर जब भारत हमलावर है ही नहीं, तो उसे इस बात की चिंता भी नहीं कि कोई उसके बारे में क्या कह रहा है। आज हम वही करेंगे जो हमारे राष्ट्रीय हित में सबसे बेहतर होगा। हम बड़े देशों की दोस्ती तथा मदद की कीमत जानते हैं, किंतु इसके लिए हम अपने देश की अखंडता तथा सार्वभौमिकता की बलि नहीं चढ़ा सकते।

जब पाकिस्तान ने अपनी फौजें भारतीय सीमा की ओर आगे बढ़ाई, तब तो इन देशों ने कुछ नहीं कहा और जब भारत ने सुरक्षा की खातिर अपनी फौजों को बढ़ाया तो यह चिल्लाहट और रोना-धोना शुरू हो गया, कि शांति खतरे में है। वास्तव में हम नहीं, बल्कि पाकिस्तान शांति के लिए खतरा है। हम अपने कदम वापस नहीं खींचेंगे।'

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Content Writer

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