PM मोदी की मंजूरी: 1,500 करोड़ की रीसाइक्लिंग योजना से मिनरल्स उत्पादन और रोजगार बढ़ेंगे

PM मोदी ने 1,500 करोड़ की रीसाइक्लिंग योजना को मंजूरी दी, भारत में मिनरल्स और रोजगार बढ़ेंगे।

Harsh Sharma
Published on: 3 Sept 2025 10:09 PM IST
PM मोदी की मंजूरी: 1,500 करोड़ की रीसाइक्लिंग योजना से मिनरल्स उत्पादन और रोजगार बढ़ेंगे
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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज देश में सेकेंडरी स्रोतों से महत्वपूर्ण खनिजों के उत्पादन और रीसाइक्लिंग क्षमता को बढ़ाने के लिए 1,500 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दी। यह योजना नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन (NCMM) का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य देश में महत्वपूर्ण खनिजों की आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करना और घरेलू क्षमता का निर्माण करना है। चूंकि खनिजों की खोज, नीलामी और खदान संचालन में समय लगता है, इसलिए निकट भविष्य में आपूर्ति सुनिश्चित करने का सबसे प्रभावी तरीका है सेकेंडरी स्रोतों से रीसाइक्लिंग।

योजना की अवधि वित्त वर्ष 2025-26 से 2030-31 तक होगी। इसमें ई-वेस्ट, लिथियम आयन बैटरी (LIB) स्क्रैप और अन्य स्क्रैप जैसे कैटालिटिक कन्वर्टर शामिल हैं। योजना का लाभ बड़े और स्थापित रीसाइक्लर्स के साथ-साथ नए छोटे रीसाइक्लर्स और स्टार्टअप्स भी उठा सकेंगे। कुल योजना राशि का एक तिहाई हिस्सा छोटे और नए रीसाइक्लर्स के लिए निर्धारित किया गया है। योजना के तहत निवेश नए यूनिटों में, मौजूदा यूनिटों के विस्तार, आधुनिकीकरण या विविधीकरण में किया जा सकता है। योजना में उन रीसाइक्लिंग वेल्यू चेन को प्रोत्साहन मिलेगा जो सीधे महत्वपूर्ण खनिज निकालते हैं, न कि केवल ब्लैक मास उत्पादन में शामिल हैं।




प्रोत्साहन:

कैपेक्स सब्सिडी: संयंत्र और मशीनरी पर 20% सब्सिडी, समयसीमा के भीतर उत्पादन शुरू करने पर। ओपेक्स सब्सिडी: आधार वर्ष (FY 2025-26) की तुलना में बढ़ी हुई बिक्री पर 40% (दूसरे वर्ष) और 60% (पांचवें वर्ष) की प्रोत्साहन राशि। बड़े इकाईयों के लिए अधिकतम 50 करोड़ रुपये और छोटे इकाईयों के लिए 25 करोड़ रुपये तक प्रोत्साहन।

प्रमुख परिणाम:

इस योजना से लगभग 270 किलो टन वार्षिक रीसाइक्लिंग क्षमता विकसित होने की उम्मीद है, जिससे 40 किलो टन वार्षिक महत्वपूर्ण खनिज उत्पादन होगा। अनुमानित निवेश लगभग 8,000 करोड़ रुपये और लगभग 70,000 प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होंगे। केंद्रीय मंत्रिमंडल की इस योजना को उद्योग और अन्य हितधारकों से कई दौर की सलाह-मशविरों के बाद अंतिम रूप दिया गया है।

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