युवाओं को जोड़ने में कितना सफल हो रहा है RJD? क्या इस बार में बनेगी सरकार? जानें बिहार चुनाव को लेकर क्या है तेजस्वी यादव का मास्टर प्लान

Tejashwi Mission 2025: 2020 के चुनाव में उन्होंने जिस ऊर्जा और आक्रामकता के साथ मुकाबला किया था, वह बिहार के युवाओं को काफी हद तक प्रभावित कर गई थी।

Harsh Srivastava
Published on: 18 May 2025 4:44 PM IST
Tejashwi yadav mission 2025
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Tejashwi yadav mission 2025

Tejashwi Mission 2025: बिहार की राजनीति एक बार फिर करवट लेने को तैयार है, और इस बार केंद्र में हैं तेजस्वी यादव। चाय की दुकानों से लेकर कॉलेज कैंपस तक, युवा वर्ग की जुबान पर एक ही सवाल है क्या तेजस्वी का ‘मिशन 2025’ सच में युवाओं का भविष्य बदल सकता है, या यह भी महज़ एक चुनावी शिगूफ़ा बनकर रह जाएगा? तेजस्वी यादव, जो कभी क्रिकेट के मैदान पर पसीना बहाया करते थे, अब सियासत के पिच पर अपने सबसे बड़े मैच की तैयारी में हैं। 2020 के चुनाव में उन्होंने जिस ऊर्जा और आक्रामकता के साथ मुकाबला किया था, वह बिहार के युवाओं को काफी हद तक प्रभावित कर गई थी। लेकिन 2025 का रण उससे कहीं बड़ा है यह सिर्फ कुर्सी हासिल करने की लड़ाई नहीं, बल्कि उस पीढ़ी का भरोसा जीतने की लड़ाई है, जो बेरोज़गारी, शिक्षा की दुर्दशा और पलायन से त्रस्त है।

बिहार में युवाओं की आबादी कुल मतदाताओं का लगभग 60% है। यही कारण है कि 'मिशन 2025' में तेजस्वी ने युवाओं को केंद्र में रखा है। उनके भाषणों में आजकल बेरोज़गारी, प्रतियोगी परीक्षाएं, पेपर लीक, शिक्षा में सुधार और रोजगार के वादे प्रमुखता से गूंजते हैं। उन्होंने अपने हालिया दौरों में हर मंच से कहा है कि "बिहार को बदलना है तो युवा को साथ लाना होगा।" लेकिन सवाल यह है कि क्या उनके प्रयासों का असर ज़मीन पर भी दिखाई दे रहा है?

दो हिस्सों में बंटी तेजस्वी की रणनीति

पहला, युवाओं के मुद्दों को आवाज़ देना, और दूसरा, युवाओं को सीधे पार्टी से जोड़ना। उन्होंने अपने सोशल मीडिया कैंपेन को धारदार बनाया है। RJD की डिजिटल टीम TikTok, Instagram Reels, Twitter Spaces और YouTube Live के ज़रिए कॉलेज और कोचिंग के युवाओं तक अपनी बात पहुँचा रही है। ‘तेजस्वी बोले बिहार बदले’ जैसे नारे के ज़रिए RJD यह जताने की कोशिश कर रही है कि यह पार्टी सिर्फ पिछड़ों की नहीं, बल्कि युवाओं की भी है। इसके अलावा, पटना, मुज़फ्फरपुर, भागलपुर, गया और दरभंगा जैसे प्रमुख शहरों में RJD की युवा इकाइयों ने 'रोज़गार संवाद' नाम से कैंपेन चलाया है, जहाँ प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों से सीधा संवाद किया गया। तेजस्वी ने इन मंचों पर बार-बार कहा कि अगर उनकी सरकार बनती है, तो 10 लाख सरकारी नौकरियों का वादा सबसे पहले पूरा किया जाएगा।

हर अभियान के पीछे होती है एक चुनौती

बिहार के युवा, खासकर जो बार-बार पेपर लीक, भर्ती प्रक्रिया में देरी और परीक्षा केंद्रों की अराजकता से जूझे हैं, वो अब सिर्फ वादों से नहीं, नतीजों से संतुष्ट होते हैं। 2020 से 2022 के बीच, बिहार में BPSC, SSC और CTET जैसी परीक्षाओं में बार-बार गड़बड़ियों की वजह से युवाओं में गहरा आक्रोश पैदा हुआ था। तेजस्वी को इस जनाक्रोश का राजनीतिक लाभ उठाने का अवसर मिला, लेकिन उन्होंने इसे चुनावी मुद्दा बनाने के बजाय एक आंदोलन की शक्ल देने की कोशिश की। RJD के अंदर भी कई युवा नेताओं को उभारने का प्रयास किया गया है। 'युवा RJD' को ज़मीनी स्तर पर मज़बूत करने के लिए ब्लॉक और जिला स्तर पर संगठनात्मक चुनाव कराए गए, जो पहले शायद ही इतने गंभीरता से लिए जाते थे। पार्टी सूत्रों की मानें तो तेजस्वी खुद हर जिले के युवा नेताओं से वर्चुअल संवाद कर रहे हैं और उन्हें मिशन 2025 के लिए 'कैप्टन' बना रहे हैं। लेकिन इस बीच सवाल उठता है—क्या तेजस्वी युवाओं के बीच वो भरोसा जगा पा रहे हैं जो उन्हें नीतीश कुमार या भाजपा के युवा संगठनों से अलग पहचान देता है?

क्या है RJD की छवि?

दरअसल, जमीनी हकीकत यह है कि अब तक की राजनीति में RJD की छवि 'जाति आधारित राजनीति' तक सीमित रही है। युवाओं का एक बड़ा तबका, खासकर शहरी और गैर-यादव मतदाता, अभी भी RJD को लेकर संशय में है। तेजस्वी इस धारणा को तोड़ने के लिए लगातार कोशिश कर रहे हैं कि अब RJD 'समाजवाद' के साथ 'आधुनिकता' की भी बात करती है। उनका कहना है कि "लालू जी ने सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ी, मैं आर्थिक और शैक्षिक न्याय की लड़ाई लड़ूंगा।" 2023 और 2024 में तेजस्वी ने शिक्षा क्षेत्र पर खास ध्यान दिया। RJD शासित जिलों में स्कूलों की हालत सुधारने के लिए 'स्मार्ट क्लास', शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता और कॉलेजों में डिजिटल लाइब्रेरी की योजनाएँ लाई गईं। हालाँकि ये योजनाएं राज्य स्तर पर पूर्ण रूप से लागू नहीं हो सकीं, लेकिन इनके संदेश से यह संकेत जरूर गया कि RJD अब बदलाव की बात कर रही है।

RJD के डिजिटल अभियान से जुड़ रहे युवा

एक दिलचस्प पहलू यह भी है कि बिहार के बाहरी युवा, जो दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश या अन्य राज्यों में तैयारी करते हैं, वे भी अब RJD के डिजिटल अभियान से जुड़ रहे हैं। 'बिहार फॉर जॉब्स' नामक ऑनलाइन कैंपेन में हज़ारों छात्रों ने हिस्सा लिया, जहाँ उन्होंने राज्य सरकार से रोजगार नीति की स्पष्टता माँगी। तेजस्वी ने इस मौके का फायदा उठाते हुए लाइव आकर कहा, “बिहार में जब हमारी सरकार आएगी, तो नौकरी के लिए दर-दर भटकना बंद होगा।”

इस मिशन पर विपक्ष क्या कहता है

विपक्ष इस मिशन को ‘युवाओं को भ्रमित करने वाला सपना’ कहकर खारिज कर रहा है। भाजपा और जदयू नेताओं का कहना है कि तेजस्वी ने 2020 में भी 10 लाख नौकरियों का वादा किया था, लेकिन सत्ता में रहते हुए उसे पूरा नहीं कर सके। हालांकि तेजस्वी की दलील है कि वह ‘पूरी सत्ता’ में नहीं थे, सिर्फ डिप्टी सीएम थे, और विभागीय अड़चनों के चलते वादे पूरे नहीं हो सके। अब मिशन 2025 तेजस्वी के लिए ‘करो या मरो’ की स्थिति बन गया है। यह सिर्फ एक राजनीतिक मिशन नहीं, बल्कि उनके नेतृत्व की कसौटी है। अगर वह युवाओं को विश्वास में ले सके, रोजगार, शिक्षा और भविष्य की दिशा में स्पष्ट रोडमैप दे सके, तो RJD की छवि सिर्फ एक जातिवादी पार्टी की नहीं, बल्कि युवा आकांक्षाओं की पार्टी के रूप में उभर सकती है।

इस समय बिहार का युवा ठगा हुआ, थका हुआ और अवसरों के लिए बेचैन है। अगर तेजस्वी यादव इस बेचैनी को अपने मिशन से जोड़कर उम्मीद में बदलने में कामयाब होते हैं, तो न सिर्फ उनकी राजनीतिक राह आसान होगी, बल्कि बिहार की सियासत में एक ऐतिहासिक मोड़ भी आ सकता है। मिशन 2025 की लड़ाई शुरू हो चुकी है अब देखना है, तेजस्वी युवाओं के दिल जीतते हैं या सिर्फ पोस्टर-बैनर में ही 'यूथ आइकन' बने रह जाते हैं।

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Harsh Srivastava

News Cordinator and News Writer

Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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