TRENDING TAGS :
CM योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजक्ट के मिली 'सुप्रीम राहत' , इलाहाबाद HC के इस आदेश में किया संशोधन
Banke Bihari Corridor: नवंबर 2023 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार को निर्देश दिया था कि वह बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर परियोजना के लिए मंदिर की निधि का उपयोग न करे। कोर्ट का कहना था कि यह निधि केवल मंदिर की देखरेख और धार्मिक कार्यों के लिए निर्धारित है न कि सरकारी विकास योजनाओं के लिए।
Banke Bihari Mandir Corridor case (Photo: Social Media)
Banke Bihari Corridor: बांके बिहारी कॉरिडोर को लेकर चल रहे विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के नवंबर 2023 के फैसले में आंशिक बदलाव करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को प्रस्तावित योजना के तहत मंदिर के आसपास की जमीन खरीदने के लिए मंदिर की निधि का उपयोग करने की सशर्त अनुमति दे दी है। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि इस निधि से खरीदी गई जमीन देवता या मंदिर ट्रस्ट के नाम पर होनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने की अहम टिप्पणियां
सर्वोच्च अदालत ने कहा कि भारत के ऐतिहासिक मंदिर जो वर्षों पुरानी संरचनाएं हैं। उन्हें संरक्षित रखने के लिए विशेष देखरेख और संसाधनों की आवश्यकता होती है। कोर्ट ने यह भी माना कि कई मंदिरों में दशकों पहले रिसीवर नियुक्त किए गए थे। जिन्हें अस्थायी रूप से जिम्मेदारी सौंपी गई थी लेकिन वे अब तक बने हुए हैं।
मथुरा और वृंदावन जैसे स्थानों की पवित्रता पर बल देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये स्थल वैष्णव परंपरा के लिए अत्यंत पवित्र हैं। ऐसे में मंदिरों के मामलों में रिसीवर नियुक्त करते समय यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि संबंधित व्यक्ति न केवल प्रशासनिक अनुभव रखता हो बल्कि उसकी पृष्ठभूमि धार्मिक और सामाजिक दृष्टि से उपयुक्त हो। कोर्ट ने यह भी कहा कि अधिवक्ताओं को रिसीवर नियुक्त करना उचित नहीं होगा।
मथुरा के सिविल जज को सुप्रीम कोर्ट ने दिया निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने मथुरा के सिविल जज को आदेश दिया कि वे 27 अगस्त 2024 के आदेश का पालन करें और किसी ऐसे व्यक्ति को रिसीवर नियुक्त करें। जिसके पास प्रशासनिक अनुभव हो और जो मंदिर की प्रकृति एवं आवश्यकताओं को समझता हो।
क्या है मामला?
नवंबर 2023 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार को निर्देश दिया था कि वह बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर परियोजना के लिए मंदिर की निधि (लगभग ₹262.50 करोड़) का उपयोग न करे। कोर्ट का कहना था कि यह निधि केवल मंदिर की देखरेख और धार्मिक कार्यों के लिए निर्धारित है न कि सरकारी विकास योजनाओं के लिए। हाईकोर्ट ने सरकार से कहा था कि वह इस परियोजना के लिए बजटीय प्रावधान अलग से करे।
हालांकि, सरकार की योजना मंदिर परिसर को तीर्थयात्रियों के लिए अधिक सुविधाजनक और व्यवस्थित बनाने की थी। लेकिन इस परियोजना को लेकर कुछ स्थानीय पुजारियों और निवासियों ने विरोध भी जताया। उनका कहना है कि कॉरिडोर निर्माण से उनके पारंपरिक व्यवसाय और जीवनशैली पर असर पड़ सकता है।
Start Quiz
This Quiz helps us to increase our knowledge