Beaver Super Moon 2025: साल का सबसे बड़ा और सबसे चमकीला चांद रात दिखाई देगा

Beaver Super Moon 2025: 5 नवंबर की रात आसमान में चमकने वाला बीवर सुपरमून इस साल का सबसे बड़ा और सबसे उज्ज्वल पूर्ण चंद्रमा होगा।

Jyotsana Singh
Published on: 4 Nov 2025 5:10 PM IST
Beaver Super Moon on November 5
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Beaver Super Moon on November 5 

Beaver Super Moon 2025: ब्रह्मांड की सबसे खूबसूरत रचनाओं किसी का नाम शामिल है तो वो है चांद। जो धरती पर नौनिहालों की आंखों में बसे सजीले स्वप्न लोक के खजाने से लेकर सुंदरियों की खूबसूरती की मिसाल बनकर प्रकृति को चांदनी रौशनी से शांति प्रदान करता आया है। हर कोई चांद के घटते बढ़ते रूप की खूबसूरती को अपनी आंखों में जज़्ब करना चाहता है। वहीं अब एक ऐसा खास मौका लोगों के लिए उपहार बनकर उनके सामने आ रहा है जब वे चांद की खूबसूरती को बेहद करीब से महसूस कर सकेंगे। इसी कड़ी में भारत भर में खगोल प्रेमियों के लिए नवंबर का पहला हफ्ता खास होने वाला है। 5 नवंबर 2025 की रात आसमान में एक बेहद खूबसूरत और दुर्लभ खगोलीय दृश्य बीवर सुपरमून 2025 दिखाई देगा। यह इस साल का सबसे बड़ा और सबसे चमकीला पूर्णिमा का चांद होगा। इस दौरान चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट बिंदु यानी पेरिजी पर पहुंचेगा और अपने पूर्ण आकार में नजर आएगा। ऐसे में इसका आकार और चमक सामान्य पूर्णिमा की तुलना में कहीं अधिक होगी। वैज्ञानिक रूप से यह घटना बेहद आकर्षक है, लेकिन आम लोगों के लिए यह एक ऐसा पल है जब प्रकृति अपनी सुंदरता का शानदार प्रदर्शन करती है।

सुपरमून क्या होता है

सुपरमून शब्द सुनने में रहस्यमयी लगता है, पर असल में यह एक खगोलीय संयोग है। चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर एक अंडाकार (दीर्घवृत्ताकार) कक्षा में घूमता है और जब यह अपनी कक्षा में पृथ्वी के सबसे नजदीकी बिंदु पर होता है, तो इसे ‘पेरिजी’ कहा जाता है। अगर उसी समय पूर्णिमा होती है, तो चंद्रमा हमें सामान्य से लगभग 14 प्रतिशत बड़ा और 30 प्रतिशत अधिक चमकीला दिखाई देता है। इस स्थिति को ही 'सुपरमून' कहा जाता है। NASA के अनुसार, यह दृश्य अंतर वास्तव में एक ‘ऑप्टिकल इल्यूजन’ यानी नेत्र भ्रम भी हो सकता है। हमारी आंखे क्षितिज के पास चंद्रमा को अधिक बड़ा महसूस करती हैं, जबकि वास्तव में उसके आकार में कोई बड़ा परिवर्तन नहीं होता। लेकिन फिर भी, उसकी अनोखी चमक किरणें इस रात को लोगों के बीच बेहद खास बना देती है।

क्या है 'बीवर मून' नाम की कहानी

नवंबर महीने की पूर्णिमा को पारंपरिक रूप से 'बीवर मून' कहा जाता है। इस नाम की जड़ें उत्तर अमेरिका की मूल निवासी संस्कृतियों और लोककथाओं में हैं। इस समय बीवर सर्दियों की तैयारी में अपने बांधों का निर्माण और मरम्मत करते हैं, इसलिए इस पूर्णिमा को उनके नाम से जोड़ा गया।

असल में बीवर (Beaver) एक मध्यम आकार का, अर्ध-जलचर स्तनधारी (semi-aquatic mammal) जानवर है, जो मुख्यतः उत्तरी अमेरिका, यूरोप और कनाडा में पाया जाता है। यह नदी, झील या तालाब के किनारे रहता है और लकड़ी तथा मिट्टी से अपने घर (बांध) बनाता है। जिन्हें beaver dams कहा जाता है। बीवर अपने तेज़ दांतों और बांध बनाने की क्षमता के लिए मशहूर है। ये पेड़ों को काटकर नदी में लकड़ी गिराते हैं और पानी का प्रवाह रोककर उसमें अपना मजबूत घर बना लेते हैं।बीवर का घर 'लॉज (Lodge)' कहलाता है। उसके बनाए बांध पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करते हैं। वे तालाब बनाते हैं, पानी रोकते हैं और कई अन्य प्राणियों को भी आश्रय देते हैं। पुराने जमाने में शिकारी भी इसी समय बीवरों के शिकार के लिए जाल लगाते थे, ताकि वे ठंड से पहले उनके फर का इस्तेमाल कर सकें।

आज यह नाम मौसम और प्रकृति के बदलाव का प्रतीक बन चुका है। नवंबर की ठंडी होती रातें, गिरते तापमान और चमकदार चांद आदि ये सब मिलकर इस समय को एक शांत, रहस्यमय और बीवर का घर ये सब मिलकर किसी स्वप्नलोक की कथाओं सा नजारा पेश करते हैं। जब यह पूर्णिमा सुपरमून के रूप में आती है, तो यह दृश्य और भी भव्य और अकल्पनीय हो जाता है।

भारत में किस समय नजर आएगा सुपरमून

भारत में यह सुपरमून 5 नवंबर 2025 की शाम करीब 6:49 बजे (IST) अपने चरम पर होगा। उस वक्त चंद्रमा पृथ्वी से लगभग 357,000 किलोमीटर की दूरी पर होगा। जो इस वर्ष की सबसे निकटतम दूरी है। जैसे ही सूर्य अस्त होगा, उसके कुछ ही देर बाद यह विशाल चांद क्षितिज पर उगता हुआ दिखाई देगा। अगर मौसम साफ रहा तो भारत के लगभग सभी हिस्सों में इसे स्पष्ट रूप से देखा जा सकेगा। पर्वतीय और ग्रामीण इलाकों में जहां प्रकाश प्रदूषण कम होता है, वहां से यह दृश्य और भी ज्यादा आकर्षक नजर आएगा। इस सुपरमून का आनंद 4 और 6 नवंबर की रातों में भी लिया जा सकता है, क्योंकि उन दिनों चंद्रमा पूर्ण अवस्था के बहुत करीब रहेगा।

क्या होगा सुपरमून को देखने का तरीका और अनुभव

सुपरमून को देखने के लिए किसी विशेष उपकरण या दूरबीन की आवश्यकता नहीं होती। बस एक साफ और खुला आसमान चाहिए। शहरों में रहने वाले लोग कोशिश करें कि खुले पार्क, छत या नदी किनारे जैसे स्थानों से इसे देखें, जहां कृत्रिम रोशनी कम हो।

अगर आप इसे क्षितिज से उगते हुए देखेंगे, तो अक्सर हल्का सुनहरा या नारंगी आभा लिए इसका आकार और रंग दोनों ही अधिक प्रभावशाली लगेंगे। यह दृश्य हमारे मस्तिष्क पर गहरा असर डालता है, जिससे चांद का आकार और भी बड़ा प्रतीत होता है। फोटोग्राफी के शौकीनों के लिए यह एक सुनहरा मौका है। कैमरे पर यह पल हमेशा के लिए कैद किया जा सकता है। ट्राइपॉड और मैनुअल फोकस का उपयोग तस्वीरों को और बेहतर बना देगा।

खगोलीय महत्व और रोचक तथ्य

बीवर सुपरमून 2025 इस वर्ष के तीन लगातार सुपरमून की श्रृंखला का दूसरा हिस्सा है। पहला अक्टूबर में और तीसरा दिसंबर में देखा जाएगा। यह भी दिलचस्प है कि इस साल चंद्रमा अपने परिक्रमा पथ में कुछ मिलीमीटर कम दूरी पर आने से हर महीने थोड़ा-थोड़ा नजदीक होता जा रहा है। वैज्ञानिकों के अनुसार, यह परिवर्तन बहुत सूक्ष्म है, लेकिन अंतरिक्षीय दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है।

नवंबर की पूर्णिमा को 'फ्रॉस्ट मून', 'मॉर्निंग फ्रॉस्ट मून' या 'डियर रटिंग मून' जैसे अन्य नामों से भी जाना जाता है। इन नामों का संबंध मौसम और प्राकृतिक गतिविधियों से है।यानी यह वह समय है जब उत्तरी गोलार्ध में ठंड पूरी तरह दस्तक दे चुकी होती है।

5 नवंबर की रात न सिर्फ वैज्ञानिक दृष्टि से खास होगी, बल्कि यह हमें प्रकृति के साथ जुड़ने का एक मौका भी देगी। जब आप रात के आकाश में इस पूर्णिमा के की सुनहरी रौशनी से चमकते हुए चांद को देखेंगे, तो यह आपको ब्रह्मांड की विशालता और उसकी सबसे खूबसूरत रचना का एहसास कराएगा।

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