क्यों यहाँ बहनें भाई को देती हैं श्राप और चुभाती हैं कांटा - जानिए भाई दूज की रहस्यमयी परंपरा

Unique Bhai Dooj tradition: भाई दूज पर बहनें अपने भाइयों को पहले श्राप देती हैं और फिर जीभ पर कांटा चुभाती हैं - यह एक अनूठी लोक परंपरा है।

Shivani Jawanjal
Published on: 23 Oct 2025 5:27 PM IST
क्यों यहाँ बहनें भाई को देती हैं श्राप और चुभाती हैं कांटा - जानिए भाई दूज की रहस्यमयी परंपरा
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Mysterious Bhai Dooj Tradition: भाई दूज (या यम द्वितीया) का त्योहार भारत में भाई-बहन के प्रेम और स्नेह का प्रतीक है। प्रत्येक वर्ष कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को यह पर्व मनाया जाता है। जहां बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी आयु, समृद्धि और खुशहाली की कामना करती हैं। वही देश के अलग-अलग क्षेत्रों में इस त्योहार की भिन्न परम्पराएं देखने को मिलती है । ऐसी ही एक परंपरा है जिसमें बहनें अपने भाइयों को पहले श्राप देती हैं और फिर जीभ पर कांटा चुभाकर पूजा करती हैं। लेकिन इसके पीछे क्या पौराणिक कथाएं और लोक मान्यताएं जुड़ी हुई हैं आइये जानते है ।

जीभ पर कांटा चुभाने की परंपरा कहां और कैसे है?

झारखंड, छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले और बिहार के मिथिला क्षेत्र में भाई दूज के दिन एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है। इस परंपरा में बहनें अपने भाइयों को पहले हल्का सा श्राप देती हैं कि वे मर जाएं और फिर अपनी जीभ पर कांटा चुभाकर उस श्राप का प्रायश्चित करती हैं। इस कांटे को स्थानीय भाषा में 'रेंगनी का कांटा' कहते हैं जो एक कांटेदार पौधा होता है। जीभ पर कांटा चुभोने से दर्द होता है जिसे बहन का त्याग, आत्मसंयम और भाई के लिए किए गए बलिदान का प्रतीक माना जाता है। यह परंपरा खासकर गांवों में अधिक प्रचलित है, जबकि शहरी क्षेत्रों में अब इसकी संख्या कम हो गई है।

इसके पीछे की पौराणिक कथा और मान्यता

इस अनोखी परंपरा के पीछे भगवान यमराज और उनकी बहन यमुना की कहानी मानी जाती है। कहा जाता है कि यमराज ऐसे भाई-बहन की तलाश में थे, जिनका रिश्ता इतना गहरा हो कि बहन ने कभी अपने भाई को कोई श्राप न दिया हो। यमराज ऐसे भाई की आत्मा को यमलोक ले जाना चाहते थे। जब यमुना को यह बात पता चली, तो उसने अपने भाई को बचाने के लिए उसे श्राप देना शुरू कर दिया।

यमराज ने भाई को मारने के कई प्रयास किए जैसे दीवार गिराना या सांप-बिच्छू भेजना, लेकिन बहन के श्राप और त्याग के कारण यमराज के प्रयास विफल हो गए। अंततः बहन ने अपने बलिदान और प्रायश्चित के साथ अपने भाई को सुरक्षित रखा। इसी कथा के कारण आज भी बहनें भाई दूज के दिन पहले अपने भाइयों को हल्का श्राप देती हैं ताकि जीवन के सभी संकट टल जाएं और फिर अपनी जीभ पर कांटा चुभाकर इसका प्रायश्चित करती हैं।

कांटे के चुभने का प्रतीकात्मक अर्थ

लोक मान्यताओं के अनुसार कांटे का उपयोग नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए भी किया जाता है। रेंगनी जैसी वनस्पति में जीवाणुनाशक और विषनाशक तत्व पाए जाते हैं, जो इसे लोक औषधि बनाते हैं। जब बहनें अपने जीभ पर कांटा चुभाती हैं, तो यह एक तरह से उनका त्याग और आत्मसंयम दर्शाता है, कि वे अपने दुख खुद झेलकर भाई के जीवन से हर संकट मिटाना चाहती हैं। यह परंपरा भाई-बहन के गहरे प्रेम, त्याग और विश्वास का प्रतीक है।

अन्य श्रद्धाएं और पूजा विधि

भाई दूज के दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाती हैं, यमराज और यमुना की पूजा करती हैं और दीर्घायु का आशीर्वाद मांगती हैं। घरों में गोबर से यमलोक की चित्रकारी भी की जाती है और यम और यमनी के साथ सांप-बिच्छू भी बनाए जाते हैं, जो पौराणिक कथा की याद दिलाती हैं। इसके बाद बहनें भाई की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं और मिठाई खिलाती हैं।

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