भाई दूज पर जरूर करें ये 1 काम, खुलते हैं किस्मत के द्वार, यमराज खुद देते हैं अमर होने का वरदान!

Bhai Dooj 2025: भाई दूज, दिवाली के पांचवें दिन मनाया जाने वाला पर्व है, जो भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है। इस दिन यम-यमुना स्नान की परंपरा भी निभाई जाती है।

Akriti Pandey
Published on: 21 Oct 2025 5:03 PM IST
Bhai Dooj 2025
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Bhai Dooj 2025

Bhai Dooj 2025: हिंदू धर्म में दिवाली केवल एक दिन का नहीं, बल्कि पांच दिनों तक चलने वाला पर्व है, जो धनतेरस से आरंभ होकर भाई दूज पर समाप्त होता है। इस श्रृंखला का अंतिम दिन यानी भाई दूज, कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। वर्ष 2025 में भाई दूज का पर्व 23 अक्टूबर, गुरुवार को मनाया जाएगा। इस दिन को यम द्वितीया या भाई द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। इस पावन दिन पर बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर, उन्हें नारियल व मिठाई अर्पित करती हैं और उनके दीर्घायु, सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना करती हैं। भाई भी अपनी बहनों को उपहार देकर उनके प्रति प्रेम और संरक्षण का संकल्प दोहराते हैं।

ब्रज क्षेत्र में भाई दूज और यमुना स्नान की परंपरा

ब्रज क्षेत्र (जिसमें मथुरा-वृंदावन आदि शामिल हैं) में भाई दूज का पर्व विशेष रूप से महत्वपूर्ण धार्मिक मान्यता रखता है। यहाँ इस दिन भाई और बहन एक साथ यमुना नदी में स्नान करते हैं। यह परंपरा सिर्फ पौराणिक आस्था से जुड़ी नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक उत्सव भी बन गई है। यमुना में स्नान के बाद बहन भाई को तिलक करती है और पारंपरिक व्यंजन खिलाकर उसका स्वागत करती है। इस पूरे आयोजन का उद्देश्य भाई की लंबी उम्र और जीवन में आने वाले संकटों से रक्षा करना होता है।

भाई दूज और यमराज-यमुना की कथा

भाई दूज को यम द्वितीया इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसके पीछे एक प्राचीन पौराणिक कथा जुड़ी हुई है। कथा के अनुसार, कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने ब्रज मंडल पहुंचे थे। यमुना जी ने अपने भाई का स्नेहपूर्वक स्वागत, तिलक और भोजन कराकर उनका आदर किया। भाई-बहन के इस मिलन से प्रसन्न होकर यमराज ने यमुना जी को वरदान मांगने को कहा। पहले तो यमुना ने सभी प्राणियों को यमराज के भय से मुक्त करने का वर मांगा, लेकिन यमराज ने कहा कि यह संभव नहीं है। इसके बाद यमुना जी ने दूसरा वर मांगा कि जो भाई-बहन इस दिन यमुना में स्नान करेंगे, उन्हें अकाल मृत्यु का भय नहीं सताएगा। यमराज ने यह वरदान स्वीकार कर लिया। तभी से यह परंपरा चली आ रही है कि भाई दूज के दिन यमुना में स्नान करने से भाई को दीर्घायु और मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है।

Disclaimer: यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है। हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है। NEWSTRACK इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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