Butterfly Wings Powder:तितलियों के पंखों पर पाउडर जैसा पदार्थ-क्या यह सच में धूल है या कुछ और?जानिए

Butterfly wings structure: तितलियों के पंखों पर मौजूद यह पाउडर जैसा पदार्थ दरअसल उनकी जीवविज्ञान का एक अद्भुत हिस्सा है।

Shivani Jawanjal
Published on: 11 Oct 2025 10:57 AM IST
Butterfly Wings Powder:तितलियों के पंखों पर पाउडर जैसा पदार्थ-क्या यह सच में धूल है या कुछ और?जानिए
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Pic Credit - Socail Media

Secret Of Butterfly Beauty: तितलियाँ अपनी खूबसूरत, रंग-बिरंगी और नाजुक पंखों की वजह से हमेशा लोगों का ध्यान खींच लेती हैं। जब हम किसी तितली को पास से देखते हैं, तो उसके पंखों पर रंगीन पाउडर या धूल जैसी परत दिखाई देती है। देखने में ये बेहद सुंदर लगती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह पाउडर जैसा पदार्थ वास्तव में क्या होता है? यह सिर्फ सजावट नहीं, बल्कि तितलियों के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आइए, जानते हैं तितलियों के पंखों पर मौजूद इस रहस्यमयी परत की असली वैज्ञानिक सच्चाई।

तितलियों के पंखों की बनावट

तितलियों के पंख बहुत पतले और नाजुक होते हैं जो काइटिन नामक एक प्राकृतिक प्रोटीन से बने होते हैं। यही काइटिन कीड़ों के शरीर की बाहरी परत (exoskeleton) बनाने में भी काम आता है। तितलियों के पंखों पर हज़ारों सूक्ष्म परतें या स्केल्स होती हैं, जिन्हें हम अक्सर रंगीन धूल या पाउडर जैसा समझते हैं। दरअसल जब तितली को पकड़ने पर हमारे हाथ में जो पाउडर आता है, वह इन्हीं बारीक स्केल्स का समूह होता है। ये स्केल्स न केवल तितली के पंखों को सुंदर रंग और पैटर्न देते हैं बल्कि उन्हें सूरज की गर्मी, पानी और हवा से भी सुरक्षा प्रदान करते हैं। इन स्केल्स की संरचना काइटिन से बनी होती है, जो मजबूत और लचीली होती है। जिससे तितली के पंख हल्के होने के बावजूद टिकाऊ रहते हैं।

यह पाउडर वास्तव में क्या है?


तितलियों के पंखों पर दिखने वाला पाउडर असल में बहुत छोटे-छोटे रंगीन स्केल्स होते हैं जो मिलकर उनके पंखों को सुंदर बनाते हैं। इन स्केल्स में दो तरह के रंग पाए जाते हैं । पिगमेंट रंग और स्ट्रक्चरल रंग। पिगमेंट रंग रासायनिक पदार्थों जैसे मेलेनिन से बनते हैं, जो काला, भूरा या गहरा रंग देते हैं और किसी भी रोशनी में एक जैसे दिखाई देते हैं। वहीं स्ट्रक्चरल रंग स्केल्स की सूक्ष्म संरचना पर पड़ने वाली रोशनी के परावर्तन और विवर्तन से बनते हैं। जिससे पंख अलग-अलग कोणों से देखने पर रंग बदलते नजर आते हैं। इस प्रभाव को इरिडिसेंस कहा जाता है। इन दोनों रंगों के मेल से तितलियों के पंखों पर अद्भुत, चमकदार और बहुरंगी पैटर्न बनते हैं, जो उन्हें बेहद आकर्षक बनाते हैं।

स्केल्स का गिरना और पाउडर का झरना

जब हम तितली को छूते हैं, तो उसके पंखों पर मौजूद लाखों छोटे-छोटे स्केल्स (शल्क) हमारी उंगलियों पर चिपक जाते हैं, जो पाउडर जैसे दिखाई देते हैं। यही स्केल्स तितली के पंखों के रंग और सुंदर डिज़ाइन के लिए जिम्मेदार होते हैं और साथ ही उन्हें मौसम और दुश्मनों से सुरक्षा भी देते हैं। लेकिन जब ये स्केल्स ज्यादा झड़ जाते हैं, तो तितली के पंख कमजोर हो जाते हैं। जिससे उसकी उड़ान में दिक्कत आने लगती है और उसका जीवन भी खतरे में पड़ सकता है। स्केल्स के टूटने या झड़ने से तितली की चमक भी कम हो जाती है और वह वातावरण के खतरों के प्रति अधिक असुरक्षित हो जाती है। इसलिए तितली के पंखों को छूना उसके लिए हानिकारक होता है और हमें ऐसा नहीं करना चाहिए।

इन स्केल्स के कार्य

तापमान नियंत्रण - तितलियों के पंखों पर मौजूद स्केल्स उन्हें तापमान नियंत्रित करने में मदद करते हैं। ये स्केल्स सूरज की रोशनी को या तो अवशोषित करते हैं या परावर्तित करते हैं, जिससे तितली अपने शरीर को जरूरत के अनुसार गर्म या ठंडा रख पाती है। यही कारण है कि तितलियाँ सुबह की धूप में अपने पंख फैलाकर बैठती हैं ताकि शरीर को गर्मी मिल सके।

छलावरण और सुरक्षा - तितलियों के रंगीन पैटर्न सिर्फ सुंदरता के लिए नहीं होते, बल्कि वे सुरक्षा का साधन भी हैं। कुछ तितलियाँ अपने रंगों की मदद से पेड़ों, पत्तों या फूलों में छिप जाती हैं ताकि शिकारी उन्हें पहचान न सके। वहीं कुछ तितलियाँ चमकीले या डराने वाले रंग दिखाकर दुश्मनों को भ्रमित कर देती हैं।

संकेत और संचार - नर और मादा तितलियाँ अपने पंखों के रंग और पैटर्न से एक-दूसरे को पहचानती हैं। यह रंगीन संकेत उनके संचार और प्रजनन प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

संतुलन और उड़ान - स्केल्स तितली के पंखों को हल्का और वायुगतिकीय बनाते हैं, जिससे उड़ते समय उन्हें संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है। इन स्केल्स की वजह से तितली आसानी से दिशा बदल सकती है और हवा में सुंदरता से उड़ान भर सकती है।

तितलियों को छूना क्यों नहीं चाहिए

जब हम तितली के पंखों को हाथ से छूते या पकड़ते हैं, तो उसके पंखों की सतह पर मौजूद नाजुक स्केल्स (शल्क) टूटकर गिर जाते हैं। यही स्केल्स तितली की रंगत, चमक और उड़ान में अहम भूमिका निभाते हैं। इनके टूटने से तितली के पंख कमजोर और बेजान हो जाते हैं जिससे उड़ते समय उसका संतुलन बिगड़ सकता है। इसके साथ ही तितली के रंग भी फीके पड़ जाते हैं, जिससे वह शिकारी से बचने या साथी को आकर्षित करने की क्षमता खो सकती है। चूंकि तितली बहुत नाजुक जीव है, उसके पंखों को छूने से उसकी संरचना को नुकसान पहुँचता है। इसलिए तितलियों को हमेशा दूर से देखना और उनकी सुंदरता का आनंद लेना ही सबसे अच्छा तरीका है।

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