Sabahat Afreen News: “मुझे जुगनुओं के देश जाना है” — सबाहत आफ़रीन की लेखनी में स्त्री चेतना की रोशनी

Sabahat Afreen News: यह संग्रह समाज की उन स्त्रियों की कहानियाँ कहता है, जो खामोशी ओढ़े हुए भी भीतर से जल रही होती हैं

Ankit Awasthi
Published on: 8 May 2025 5:02 PM IST
SABAHAT AFREEN News
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SABAHAT AFREEN News (Social Media) 

Sabahat Afreen News: हिंदी साहित्य की समकालीन धारा में जब भी संवेदनशील और यथार्थवादी लेखन की बात होती है, तो महिलाओं की आवाज़ों को सामने लाने वाले लेखकों का विशेष योगदान रहा है। "मुझे जुगनुओं के देश जाना है" सबाहत आफ़रीन द्वारा रचित एक ऐसा ही संग्रह है जो नारी जीवन के संघर्ष, सपनों और आत्मनिर्भरता की अनसुनी परतों को उजागर करता है।

पुस्तक की रूपरेखा:

यह संग्रह समाज की उन स्त्रियों की कहानियाँ कहता है, जो खामोशी ओढ़े हुए भी भीतर से जल रही होती हैं — उम्मीद और आत्म-निर्णय की लौ से। ये कहानियाँ नारेबाज़ी या उग्र विमर्श से नहीं, बल्कि संवेदना और सरल अनुभवों से पाठकों के हृदय तक पहुँचती हैं। आफ़रीन का यह लेखन स्त्री जीवन की उस यात्रा को चित्रित करता है जहाँ ‘जुगनुओं का देश’ प्रतीक है — उजाले की तलाश का, आत्मा की मुक्ति का।


लेखिका का जीवन और दृष्टिकोण

सबाहत आफ़रीन उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर ज़िले की रहने वाली हैं। एक रूढ़िवादी माहौल में पली-बढ़ीं आफ़रीन ने 10वीं के बाद पर्दा करना शुरू किया और पारंपरिक बंदिशों के चलते कॉलेज नहीं जा सकीं। इसके बावजूद, उन्होंने निजी रूप से पढ़ाई जारी रखी और लेखन को अपनी अभिव्यक्ति का माध्यम बनाया।

फेसबुक पर गुमनाम नाम से कहानियाँ लिखना उनके साहित्यिक सफर की शुरुआत बनी। जब उन्होंने अपनी कहानियाँ प्रसिद्ध संपादक नीलेश मिश्रा को भेजीं, तो उन्हें साहित्यिक मंच मिला और फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।


कथ्य और शिल्प:

इस संग्रह की भाषा सधी हुई, सहज और प्रभावी है। आफ़रीन नारी के उस संघर्ष को शब्द देती हैं जिसे समाज ने सदियों से नजरअंदाज़ किया है। पात्र सीमित संसाधनों में रहते हुए भी आत्म-सम्मान की लड़ाई लड़ते हैं। यह संग्रह खास तौर पर उन पाठकों के लिए है जो संवेदनशीलता, यथार्थ और सामाजिक विमर्श को साथ-साथ पढ़ना चाहते हैं।

समकालीन महत्त्व:

आज जब स्त्री अधिकारों की चर्चा पूरे देश में हो रही है, ऐसे समय में "मुझे जुगनुओं के देश जाना है" एक ज़रूरी दस्तावेज़ के रूप में सामने आता है। यह केवल साहित्य नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव की चेतावनी है — एक शांत पर स्थायी क्रांति।

यह संग्रह एक आम भारतीय स्त्री के भीतर जलते स्वप्न की भाषा है। यह उन कहानियों का प्रतिनिधि है जिन्हें अक्सर कहा नहीं जाता, लेकिन वे लाखों महिलाओं के अनुभव में हर दिन जन्म लेती हैं। सबाहत आफ़रीन की लेखनी में वह ईमानदारी है जो साहित्य को अमर बनाती है।

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