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Victorian Women History: फैशन, परंपरा और पहचान की कहानी, जाने विक्टोरियन महिलाओं की हेयर स्टाइल्स की ख़ूबी

Victorian Women Hairstyles History: विक्टोरियन युग में महिलाओं की हेयर स्टाइल सिर्फ फैशन नहीं, बल्कि एक मौन सामाजिक अभिव्यक्ति थी जो उनके दर्जे और व्यक्तित्व को दर्शाती थी।

Shivani Jawanjal
Published on: 9 July 2025 1:10 PM IST
Victorian Women Hairstyles History
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Victorian Women Hairstyles History

Victorian Women Hairstyles History: विक्टोरियन युग (1837–1901), जो इंग्लैंड की महारानी विक्टोरिया के शासनकाल से जुड़ा है, फैशन और जीवनशैली के कई क्षेत्रों में बदलावों का काल रहा है। इस युग में महिलाओं की सुंदरता का एक अत्यंत महत्वपूर्ण पक्ष था उनके बाल। बालों को न केवल स्त्री सौंदर्य का प्रतीक माना जाता था, बल्कि यह सामाजिक स्तर, विवाहित स्थिति और व्यक्तित्व को दर्शाने का भी माध्यम था।

विक्टोरियन काल की हेयर स्टाइल्स केवल फैशन ट्रेंड नहीं थीं, बल्कि उनमें सामाजिक संकेत, सांस्कृतिक अपेक्षाएं और व्यक्तिगत आत्म-अभिव्यक्ति के तत्व छिपे थे। आइये विक्टोरियन हेयर स्टाइल्स के रहस्यों, प्रकारों, और सामाजिक महत्व को विस्तार से समझते हैं।

विक्टोरियन युग की सुंदरता की अवधारणा


प्राचीन समाज में महिलाओं की सुंदरता केवल उनके चेहरे या वस्त्रों तक सीमित नहीं थी, बल्कि यह उनके व्यवहार, सादगी और मर्यादा में भी परिलक्षित होती थी। विशेष रूप से 19वीं और 20वीं सदी के सामाजिक-सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य में एक महिला का कोमल स्वभाव, विनम्रता और स्त्रीत्व उसकी पहचान और प्रतिष्ठा का आधार माना जाता था। इस सोच में बालों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण थी। लंबे, घने और सुव्यवस्थित बालों को न केवल स्त्री सौंदर्य का प्रतीक माना जाता था, बल्कि वे उसकी शुद्धता, पारिवारिक मूल्यों और संस्कारों का भी प्रतिनिधित्व करते थे।

हेयर स्टाइल का चयन भी इन्हीं पारंपरिक मानदंडों पर आधारित होता था। चोटी, जूड़ा या सिर पर पल्ला डालना जैसे हेयर स्टाइल्स महिलाओं की शालीनता, मर्यादा और सामाजिक गरिमा को दर्शाते थे। इन पारंपरिक शैलियों के माध्यम से महिलाएं न केवल अपने सौंदर्य को संवारती थीं, बल्कि समाज की अपेक्षाओं और पारिवारिक आदर्शों को भी बख़ूबी निभाती थीं।

बालों की लंबाई और बनावट


विक्टोरियन युग में महिलाओं के लंबे, प्राकृतिक और घने बालों को सुंदरता, स्त्रीत्व और मर्यादा का प्रतीक माना जाता था। उस समय छोटे बाल रखना या उन्हें काटना न केवल अस्वीकार्य, बल्कि असामाजिक और अनैतिक व्यवहार समझा जाता था। इसी कारण अधिकांश महिलाएं अपने बालों को शायद ही कभी काटती थीं। ऐतिहासिक चित्रों और दस्तावेज़ों से यह स्पष्ट होता है कि उस युग की महिलाओं के बाल आमतौर पर अत्यंत लंबे होते थे, जिन्हें वे बड़े जूड़े, पारंपरिक चोटी या सुरुचिपूर्ण अंदाज़ में बांधकर सजाती थीं।

बालों की देखभाल के लिए महिलाएं घरेलू नुस्खों और प्राकृतिक उपचारों का सहारा लेती थीं। भारत और अन्य उपनिवेशों में नारियल तेल, अरंडी का तेल और गुलाब जल जैसे पारंपरिक तत्वों का उपयोग विशेष रूप से प्रचलित था। वहीं इंग्लैंड में भी महिलाएं प्राकृतिक तेलों और हर्बल रेसिपीज़ के माध्यम से बालों को मुलायम, स्वस्थ और चमकदार बनाए रखने का प्रयास करती थीं।

मुख्य हेयर स्टाइल्स


सेंटर पार्टिंग और लो बन (Low Bun) - विक्टोरियन युग की महिलाओं के लिए सिर के बीचोंबीच से बालों की मांग निकालना और गर्दन के पास जूड़ा बनाना एक अत्यंत लोकप्रिय और पारंपरिक हेयरस्टाइल थी। यह शैली न केवल उस समय की सौंदर्य परंपराओं का हिस्सा थी, बल्कि इसे सौम्यता, शालीनता और अनुशासन का प्रतीक भी माना जाता था। यह हेयरस्टाइल महिलाओं के मर्यादित और नियंत्रित व्यक्तित्व को दर्शाती थी, जो उस युग के सामाजिक आदर्शों और स्त्री के लिए निर्धारित भूमिका से मेल खाती थी। सरल लेकिन प्रभावशाली इस शैली ने विक्टोरियन महिलाओं की पहचान को एक विशिष्ट गरिमा प्रदान की।

चिग्नॉन (Chignon) - चिग्नॉन एक फ्रेंच शब्द है, जिसका अर्थ होता है गर्दन के पास बना हुआ जूड़ा। विक्टोरियन युग में यह हेयरस्टाइल विशेष रूप से उच्चवर्गीय महिलाओं के बीच बेहद लोकप्रिय थी। इस शैली में बालों को सुरुचिपूर्ण ढंग से गर्दन के पास बांधा जाता था और उसे सुंदरता से सजाने के लिए अक्सर रिबन, फूल या अन्य सजावटी वस्तुओं का उपयोग किया जाता था। क्लासिक लो चिग्नॉन सबसे सामान्य था, जहाँ बाल गर्दन के निचले हिस्से पर बारीकी से बांधे जाते थे। वहीं हाई चिग्नॉन में बाल सिर के ऊपरी भाग पर जटिल तरीके से सजे होते थे, जिससे एक ऊँचाई और गरिमा की अनुभूति होती थी। चिग्नॉन न केवल एक फैशनेबल हेयरस्टाइल था बल्कि यह स्त्री की सामाजिक हैसियत, सुरुचि और कलात्मक अभिव्यक्ति का भी प्रतीक माना जाता था। यह शैली एक ओर पारंपरिक मर्यादा को दर्शाती थी, वहीं दूसरी ओर उसमें नारी सृजनात्मकता की झलक भी मिलती थी।

रिंगलेट्स और कर्ल्स (घुंघराले बाल) - रिंगलेट्स, यानी चेहरे के दोनों ओर बनाए गए छोटे-छोटे कर्ल, विक्टोरियन युग के फैशन में एक खास और आकर्षक स्थान रखते थे। यह हेयरस्टाइल विशेष रूप से युवतियों के बीच लोकप्रिय थी और इसे मासूमियत, कोमलता और नारीत्व का प्रतीक माना जाता था। रिंगलेट्स न केवल एक सौंदर्य तत्व थे बल्कि वे उस समय की सामाजिक अवधारणाओं को भी दर्शाते थे। जहाँ युवतियों की छवि को निर्मल, कोमल और सुसंस्कृत रूप में प्रस्तुत किया जाता था। यह स्टाइल अक्सर अधिक सजावटी हेयरडूज़ के साथ संयोजित की जाती थी जिससे बालों की बनावट में एक नाटकीय और आकर्षक प्रभाव आता था।


ब्रेडेड स्टाइल्स (चोटी वाले स्टाइल) - विक्टोरियन युग में महिलाओं के लंबे बालों को कलात्मक अंदाज़ में चोटी बनाकर सजाना एक आम परंपरा थी। इन बालों को अक्सर ब्रैडेड क्राउन या जटिल जूड़ों का रूप दिया जाता था - जो न केवल देखने में भव्य लगते थे, बल्कि महिला की सृजनात्मकता और सौंदर्यबोध का भी प्रतीक होते थे। विशेष रूप से पारिवारिक कार्यक्रमों, सामाजिक आयोजनों या उत्सवों के अवसर पर महिलाएं अपने बालों को बहुस्तरीय चोटी, घुमावदार जूड़े या सुसज्जित ब्रैड डिज़ाइनों में प्रस्तुत करती थीं। ये हेयरस्टाइल्स इतनी कलात्मक होती थीं कि वे कभी-कभी किसी कला-कृति की तरह लगती थीं, जिनके ज़रिए स्त्रियाँ अपनी सामाजिक गरिमा और व्यक्तिगत सलीके को प्रदर्शित करती थीं।

फाल्स हेयर और हेयरपीस - विक्टोरियन युग में महिलाओं के लिए बालों को घना, भरा हुआ और आकर्षक दिखाना सौंदर्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था। इसके लिए वे केवल प्राकृतिक बालों पर निर्भर नहीं रहती थीं बल्कि नकली बाल (फाल्स हेयर), हेयरपीस, और विशेष रूप से 'रैट्स' का उपयोग किया जाता था। रैट्स पुराने गिरे हुए बालों से बनाए गए छोटे रोलनुमा पुर्जे होते थे, जिन्हें जूड़े या हेयरस्टाइल के नीचे छिपाकर लगाया जाता था ताकि बालों को अधिक वॉल्यूम और आकार दिया जा सके। इन तकनीकों के माध्यम से महिलाएं अपने जूड़े को न केवल बड़ा और प्रभावशाली बना सकती थीं, बल्कि हेयरस्टाइल को एक शाही और स्टाइलिश लुक भी देती थीं। यह दिखाता है कि उस समय का फैशन केवल प्राकृतिक सौंदर्य पर नहीं, बल्कि रचनात्मकता और सहायक साधनों के प्रयोग पर भी आधारित था।

विवाह और हेयर स्टाइल


विक्टोरियन युग में महिलाओं के हेयर स्टाइल उनके सामाजिक और वैवाहिक स्तर को दर्शाने का एक महत्वपूर्ण माध्यम थे। अविवाहित युवतियाँ आमतौर पर अपने बालों को खुले या हल्के से बांधकर रखती थीं, जो मासूमियत, कोमलता और युवावस्था का प्रतीक माना जाता था। इसके विपरीत विवाहित महिलाएं जटिल जूड़े या चोटीदार स्टाइल अपनाती थीं जिससे उनके अनुभव, जिम्मेदारियों और पारिवारिक जीवन की झलक मिलती थी। वहीं शादी के अवसर पर दुल्हनों के बालों को सजाने के लिए विशेष रूप से फूलों की मालाएं, सफेद रिबन और मोतियों का इस्तेमाल किया जाता था। ऑरेंज ब्लॉसम जैसे फूल जो पवित्रता और शुभता के प्रतीक माने जाते थे विक्टोरियन ब्राइडल हेयर स्टाइल का अहम हिस्सा थे।

विक्टोरियन युग के अंत की ओर परिवर्तन

1880 और 1890 के दशक में औद्योगिक क्रांति के प्रभाव से महिलाओं का जीवन तेजी से बदलने लगा। वे अब शिक्षा, सामाजिक गतिविधियों और कार्यक्षेत्र में पहले से अधिक सक्रिय हो गई थीं, जिससे उनके रहन-सहन में व्यावहारिकता का प्रभाव साफ दिखाई देने लगा। हालांकि हेयर स्टाइल्स में भी कुछ बदलाव आए, फिर भी विक्टोरियन आदर्शों के कारण लंबे बाल और सलीकेदार जूड़े या चिग्नॉन का चलन बना रहा। इस दौर की महिलाओं के हेयर स्टाइल में ऊँचे बन, आगे की ओर सॉफ्ट कर्ल्स या वेव्स, और बालों को सजाने के लिए पिन, फूल व रिबन का उपयोग आम था। हालांकि पूरी तरह साधारणता नहीं आई थी पर जटिल जूड़ों की जगह अब थोड़ा सादापन जरूर देखा गया। छोटे बाल या बहुत साधारण ब्रैड्स उस समय आम नहीं थे, यह बदलाव बाद में 1920 के दशक में देखने को मिला।

विक्टोरियन हेयर स्टाइल्स का सांस्कृतिक महत्व

विक्टोरियन युग में महिलाओं के हेयरस्टाइल केवल फैशन का हिस्सा नहीं थे बल्कि वे उनके सामाजिक, सांस्कृतिक और भावनात्मक मूल्यों का प्रतीक भी थे। लंबे, घने और स्वस्थ बालों को उस समय स्त्रीत्व, गरिमा और पारिवारिक मूल्यों से जोड़ा जाता था। यह बाल महिलाओं की सुंदरता ही नहीं, बल्कि उनकी प्रतिष्ठा और सामाजिक स्थिति का भी संकेत देते थे। विवाहित और जिम्मेदार महिलाओं के बीच जूड़ा या बन हेयरस्टाइल बेहद लोकप्रिय था, जिसे विनम्रता, अनुशासन और मर्यादा का प्रतीक माना जाता था। वहीं अविवाहित युवतियाँ प्रायः खुले या हल्के से बंधे बालों को अपनाती थीं जो मासूमियत, स्वतंत्रता और युवावस्था की निशानी समझे जाते थे। हेयर स्टाइल्स की सजावट भी सामाजिक भेद को दर्शाती थी। मोती, फूल, रिबन और हेयरपीस जैसी चीज़ों से बालों को सजाकर महिलाएं न केवल सौंदर्य बढ़ाती थीं बल्कि यह भी बताती थीं कि वे किस सामाजिक वर्ग से आती हैं और कौन सा अवसर कितना खास है। उच्चवर्गीय महिलाओं के हेयरस्टाइल अधिक भव्य और अलंकृत होते थे जो उनके रुतबे और शानो-शौकत को दर्शाते थे।

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