भविष्य है खतरे में! बच्चों की शिक्षा से लेकर... क्या AI बनेगा देश में बेरोज़गारी की बड़ी वजह ? यहां जाने डिटेल में...

AI (Artificial Intelligence), एक तकनीक है जो कि मशीनों को एक इंसान की तरह से सोचने और निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करती है।

Newstrack          -         Network
Published on: 7 May 2025 6:09 PM IST
AI Ka Badhta Khatr
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AI Ka Badhta Khatr

AI Ka Badhta Khatra: आज कल की भागती दौड़ती जिंदगी में लोग इतने व्यस्त हो गए हैं की हर कोई चाहता है कि उसका काम कम से कम समय में बिना मेहनत के हो जाए। अब आप खुद ही सोचिये घर में खाना बनाने से लेकर कपड़े धोने तक या फिर साफ़ सफाई के लिए भी नई-नई टेक्नोलॉजी आ गयी है, जिससे किसी को भी फिजिकली मेहनत कम करना पड़ता है। लेकिन आज एक और ऐसी समस्या है जिस पर किसी का ध्यान नहीं जा रहा। यह समस्या आने वाले समय में कितनी गंभीर हो सकरी है इसका किसी को भी अंदाजा नहीं है।

क्या है AI ?


AI (Artificial Intelligence), एक तकनीक है जो कि मशीनों को एक इंसान की तरह से सोचने और निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करती है। यह कंप्यूटर को ऐसे काम करने में सक्षम बनाता है जिनके लिए पहले मानव बुद्धिमत्ता की ज़रूरत होती थी, जैसे किसी भाषा को समझना, सीखना और नए ज्ञान का उपयोग करना। इस तकनीक का इस्तेमाल करके मनुष्य बहुत कम समय में अपने काम को अंजाम दे सकता है। आज AI टूल का इस्तेमाल लगभग हर क्षेत्र में किया जा रहा है। अब तक जहां लोग अपने दिमाग का इस्तेमाल करके ऑफिस या किसी भी कॉर्पोरेट सेक्टर में काम करते थे, वहीं अब लोग अपना समय बचाने के लिए AI का यूज़ कर रहे हैं। लेकिन शायद कोई भी व्यक्ति याउपयोगकर्ता यह नहीं समझ रहा कि वो अपनी क्रिएटिविटी, अपनी सोचने समझने की क्षमता खो रहा है।

AI का बढ़ता खतरा

AI का बढ़ता उपयोग अब बच्चों के साथ-साथ उनके सोचने और समझने की ताकत को दिन पर दिन कम कर रहा है। यह हम नहीं कह रहे, बल्कि The Australian की एक रिपोर्ट के मुताबिक, नोबेल पुरस्कार विजेता ब्रायनश्मिट ने सख्त चेतावनी दी है कि अगर बच्चे हर सवाल का जवाब AI की हेल्प करने लगेंगे, तो उनका खुद से सोचने, सवाल करने और सलूशन खोजने की क्षमता खत्म हो जाएगी। यानी, बच्चों की क्रिएटिविटी ख़त्म हो जाएगी और वो मशीनों पर पूरी तरह निर्भर हो जाएंगे। अब सवाल ये है कि क्या हम वाकई में एक ऐसी पीढ़ी चाहते हैं जो खुद अपने सवाल भी ना पूछ सके?

स्कूलों में AI का बढ़ता ट्रेंड


आज AI टूल को लगभग हर स्कूल्स में इंट्रूड्यूस कर दिया गया है। आप खुद ही सोचिए, AI आने के बाद क्या बच्चे स्कूल में उसी तरीके से पढ़ पाएंगे जैसे वो AI आने से पहले अपने पढ़ाई में मेहनत करते थे। क्या बच्चे अपना क्लास वर्क, होम वर्क करने के लिए कड़ी मेहनत कर पाएंगे ? लेकिन बड़ा सवाल यह है कि... क्या AI हमारे बच्चों का भविष्य बना पाएंगे ? आज AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का दिन पर दिन बढ़ता इस्तेमाल बच्चों की पढ़ाई पर गहरा नकारात्मक असर डाल रहा है। आपको बताते कैसे और वो भी एक रिसर्च के ठोस सबूतों के साथ...

AI Unveiled की एक रिपोर्ट

AI के इस्तेमाल से बच्चों पर भावनात्मक विकास पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। इस बात का दावा AI Unveiled की एक रिपोर्ट में किया गया है, जहां बताया गया है कि जब बच्चे इंसानी शिक्षकों से पढ़ते हैं, तो वो सिर्फ किताबों का ज्ञान नहीं लेते, बल्कि समझदारी और सामाजिक संवेदनशीलता भी सीखते हैं। AI टूल्स भले ही जानकारी दे दें, लेकिन उनमें वो इंसानी एहसास नहीं होता जो बच्चों को इंसान बनाता है। यानी कि, धीरे-धीरे बच्चे अपनी भावनाओं को समझने और व्यक्त करने में कमजोर पड़ सकते हैं।

TIME Magazine की रिपोर्ट

TIME Magazine ने अपनी रिपोर्ट में बहुत ही क्लियर बताया है कि कई AI सिस्टम, जिन पर हम भरोसा करते हैं, वो खुद पक्ष पाती यानी biased हो सकते हैं। अब ऐसे ये सिस्टम बच्चों को नकारात्मक सोच, जैसे कि रंगभेद या जेंडर भेदभाव, सीखा सकते हैं और ये चीज़ बच्चों को पता भी नहीं चलेगा कि वो जो सीख रहे हैं क्या वो उनके लिए सही है या गलत।

बच्चों की प्राइवेसी पर खतरा

AI के ज्यादा इस्तेमाल से बच्चों की प्राइवेसी पर भी गहरा प्रभाव पड़ रहा है। आजकल के यूथ, बच्चे या फिर कोई भी व्यक्ति हो उन्हें अपनी भाग-दौड़ की ज़िन्दगी में प्राइवेसी चाहिए, लेकिन आपको बता दे, AI Unveiled की एक रिपोर्ट के मुताबिक, AI द्वारा पढ़ाई मेंबच्चों का पूरा डेटा, उनकी आदतें, पसंद-नापसंद सब कुछ रिकॉर्ड किया जाता है। लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा है कि अगर इस डेटा का गलत इस्तेमाल हो जाए तो...

बच्चों के मानसिक विकास पर भी AI का खतरा

वहीं, AI का इस्तेमाल बच्चों की पढ़ाई के साथ-साथ उनके मानसिक विकास पर भी गहरा प्रभाव डाल रहा है। ये हम नहीं कह रहे बल्कि, MMC Alumni की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जब बच्चे लगातार डिजिटल प्लेटफॉर्म्स से पढ़ते हैं, तो उनका ध्यान ज्यादा भटकता है। क्योंकि उनका पेशेंस लेवल कम हो जाता है। ऑटोमैटिक फीडबैक यानी मशीन द्वारा दिया गया फीडबैक बच्चों में सीखने की जिज्ञासा को कम कर सकता है। जिससे बच्चों में धीरे-धीरे पढ़ाई के प्रति मोटिवेशन कम होने लगता है।

AI का रोजगार पर खतरा


आज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) मात्र तकनीकी शब्द नहीं रह गया है, बल्कि यह हमारे रोज़मर्रा की ज़रूरतों का हिस्सा बनता जा रहा है। हाल ही में मोबाइल फ़ोन के एप्लीकेशन में हुए अपडेट्स के बाद अब मोबाइल में वॉइस असिस्टेंट से लेकर बैंक में चैटबॉट तक हर जगह AI का इस्तेमाल किया जाने लगा है। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या AI हमारे रोजगार को छीन लेगा या नए अवसर प्रदान करेगा ?

नौकरियों पर संकट

AI का इस्तेमाल देशभर के लगभग हर तरह के क्षेत्रों में किया जा रहा है। AI को लेकर लोगों का अनुमान है कि ये भविष्य में बेरोज़गारी को बढ़ावा दे सकता है। इस पर वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की Future of Jobs Report, 2025 के मुताबिक, साल 2030 तक दुनिया भर में लगभग 170 मिलियन यानी 17 करोड़ नई नौकरियां पैदा होंगी, जिनमें AI, बिग डेटा, और साइबर सिक्योरिटी जैसे क्षेत्र प्रमुख होंगे। हालांकि इसी रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया है कि करीब 22% मौजूदा नौकरियों में कुछ परिवर्तन होंगे जिसके कारण वो पूरी तरह खत्म हो जाएंगी।

भारत में AI का बढ़ता इस्तेमाल


भारत में AI का आने वाला समय बहुत उज्ज्वल माना जा रहा है। देश के लोगों का मानना है कि AI की मदद से उन्हें भविष्य में कई अवसर मिलेंगे। IndiaCSR की रिपोर्ट के मुताबक, 2025 में भारत का AI मार्केट तकरीबन 7.8 बिलियन डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है और भारत की GDP में भी बड़ा योगदान दे सकता है। इसके साथ ही, देश में लगभग 45,000 नई नौकरियाँ AI से सम्बंधित खुलने की संभावना है।

AI नौकरियों में बदल सकता है स्किल्स

भारत में जल्द ही AI से जुड़ी नौकरियां पैदा होने की सम्भावना है। जिसके लिए आज की स्किल्स काम आएँगी या नहीं इसे लेकर लोगों में भ्रम बना हुआ है।

LinkedIn और Microsoft की एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2030 तक दुनिया भर में तकरीबन 65% नौकरियों की स्किल्स पूरी तरह से बदल जाने का अनुमान है। बता दे, पिछले 2 सालों में भारत में AI या जनरेटिव AI से जुड़ी जॉब पोस्टिंग्स दोगुनी हो गई हैं। इससे ये साफ़ है कि आपकी आज की स्किल्स कल कम उपयोगी हो सकती हैं।

सैलरी पर भी पड़ रहा प्रभाव

मार्केट में दिन-ब-दिन AI का इस्तेमाल बढ़ रहा है, लगभग हर क्षेत्र में AI अपनी जगह बनाता जा रहा है। इस कारण कहीं न कहीं लोगों के वेतन पर भी गहरा प्रभाव पड़ रहा है। Barclays बैंक की एक स्टडी के मुताबिक, AI के कारण नौकरियाँ खतरे में तो नहीं हैं, लेकिन वेतन वृद्धि की रफ्तार कम हो गयी है। AI से प्रभावित क्षेत्रों में सालाना वेतन में लगभग 0.74 % तक की कमी देखी गई है।

क्या है समाधान


यानी बाहर से जो तकनीक हमें स्मार्ट दिखती है... अंदर से वो लोगों को आलसी और कमजोर बना रही है। लेकिन इसका इसका हल क्या है? इसके लिए आपको AI का इस्तेमाल पूरी तरह से बंद करने की ज़रूरत नहीं है, बल्कि उसे एक सहायक के तौर पर इस्तेमाल करना चाहिए। 21 वीं सदी में टेक्नोलॉजी ज़रूरी है, उस से कई ज्यादा ज़रूरी है इंसानियत। देश भर के हर क्षेत्रों में जहां AI का इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है तो वहीँ, अब भी ऐसे कुछ क्षेत्र में जहां AI का इस्तेमाल पूर्ण रूप से वर्जित है। लेकिन आज AI को पूरी तरह नज़रअंदाज़ करना समाधान नहीं है, बल्कि खुद को भविष्य के लिए तैयार करना चाहिए और अगर हम अभी से नई स्किल्स सीखें जैसे कि डेटा एनालिसिस, मशीन लर्निंग, डिजिटल मार्केटिंग तो भविष्य में हमें बेहतर अवसर मिल सकता है। इसीलिए समय के साथ चलते हुए खुद अपडेट करना बहुत ज़रूरी है।

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