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World Malala Day 2025: 12 जुलाई को ही क्यों मनाया जाता है विश्व मलाला दिवस, इसके पीछे का इतिहास क्या है, कौन है मलाला
World Malala Day 2025 2 July: : मलाला यूसुफजई, एक पाकिस्तानी लड़की, जिसने लड़कियों की शिक्षा के लिए अपनी जान जोखिम में डाल दी। उनके जन्मदिन को विश्व मलाला दिवस के रूप में मनाया जाता है।
World Malala Day (Image Credit-Social Media)
World Malala Day 2025: हर साल 12 जुलाई को विश्व मलाला दिवस मनाया जाता है। ये दिन एक ऐसी लड़की की कहानी को याद करता है, जिसने अपनी छोटी सी उम्र में दुनिया को हिलाकर रख दिया। मलाला यूसुफजई, एक पाकिस्तानी लड़की, जिसने लड़कियों की शिक्षा के लिए अपनी जान जोखिम में डाल दी। उनकी जिंदगी की कहानी इतनी प्रेरणादायक है कि संयुक्त राष्ट्र ने उनके जन्मदिन को विश्व मलाला दिवस के रूप में घोषित किया।
मलाला यूसुफजई कौन हैं?
मलाला यूसुफजई का जन्म 12 जुलाई, 1997 को पाकिस्तान की स्वात घाटी के मिंगोरा शहर में हुआ। उनके पिता जिया उद्दीन यूसुफजई एक स्कूल टीचर और सामाजिक कार्यकर्ता थे, जिन्होंने हमेशा लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा दिया। मलाला की परवरिश एक ऐसे घर में हुई, जहां शिक्षा को सबसे बड़ा हथियार माना जाता था। लेकिन स्वात घाटी में हालात आसान नहीं थे। 2000 के दशक में तालिबान ने इस इलाके पर कब्जा कर लिया और लड़कियों की शिक्षा पर पाबंदी लगा दी। स्कूल बंद कर दिए गए, और लड़कियों को घरों में रहने के लिए मजबूर किया गया।
मलाला उस समय सिर्फ 11 साल की थीं, जब उन्होंने इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठानी शुरू की। उनके पिता के स्कूल में भी तालिबान ने धमकियां दीं, लेकिन मलाला ने हार नहीं मानी। उन्होंने बीबीसी उर्दू के लिए एक ब्लॉग लिखना शुरू किया, जिसमें वो गुल मकई के छद्म नाम से अपनी जिंदगी और तालिबान के अत्याचारों के बारे में बताती थीं। इस ब्लॉग ने दुनिया का ध्यान खींचा, और मलाला की आवाज धीरे-धीरे पूरी दुनिया तक पहुंचने लगी।
तालिबान का हमला
मलाला की बढ़ती लोकप्रियता तालिबान को बर्दाश्त नहीं हुई। 9 अक्टूबर 2012 को, जब मलाला 15 साल की थीं, तालिबान के आतंकियों ने उन पर जानलेवा हमला किया। मलाला अपनी स्कूल बस में दोस्तों के साथ घर लौट रही थीं, तभी एक आतंकी ने बस को रोका और मलाला का नाम पूछा। जैसे ही मलाला ने जवाब दिया, आतंकी ने उनके सिर में गोली मार दी। इस हमले में मलाला बुरी तरह घायल हो गईं, और उनकी दो सहेलियां भी जख्मी हुईं।
ये हमला इतना भयानक था कि लगा मलाला शायद बच न पाएं। लेकिन उनकी हिम्मत और दुनिया भर की दुआओं ने उन्हें नया जीवन दिया। पहले उन्हें पेशावर के एक अस्पताल में ले जाया गया, फिर बाद में इलाज के लिए ब्रिटेन के बर्मिंघम शहर भेजा गया। वहां कई सर्जरी के बाद मलाला धीरे-धीरे ठीक हुईं। इस हमले ने मलाला को और मजबूत बना दिया। उन्होंने कहा कि तालिबान की गोली उनकी आवाज को नहीं रोक सकती।
मलाला की वापसी और विश्व मलाला दिवस की शुरुआत
2013 में, मलाला ने पूरी तरह ठीक होने के बाद अपनी लड़ाई को और तेज कर दिया। 12 जुलाई 2013 को, अपने 16वें जन्मदिन पर, मलाला ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक ऐतिहासिक भाषण दिया। उन्होंने कहा, एक किताब, एक कलम, एक बच्चा, और एक शिक्षक दुनिया को बदल सकते हैं। इस भाषण ने पूरी दुनिया को झकझोर दिया। मलाला की हिम्मत और उनके विचारों ने लाखों लोगों को प्रेरित किया।
इसी भाषण के बाद संयुक्त राष्ट्र ने 12 जुलाई को विश्व मलाला दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। ये दिन न सिर्फ मलाला की हिम्मत को सलाम करता है, बल्कि उन लाखों लड़कियों की आवाज भी बनता है, जिन्हें शिक्षा से वंचित रखा जाता है। इस दिन का मकसद है दुनिया भर के नेताओं से अपील करना कि वो हर बच्चे के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा सुनिश्चित करें।
विश्व मलाला दिवस का महत्व
विश्व मलाला दिवस सिर्फ मलाला की कहानी नहीं है। ये उन सभी लड़कियों और बच्चों के लिए एक मंच है, जो शिक्षा के अपने अधिकार के लिए लड़ रहे हैं। आज भी दुनिया के कई हिस्सों में, खासकर अफ्रीका, दक्षिण एशिया, और मध्य पूर्व में, लाखों लड़कियां स्कूल नहीं जा पातीं। कुछ जगहों पर गरीबी, बाल विवाह, या सामाजिक रूढ़ियां इसका कारण हैं, तो कहीं आतंकवाद और युद्ध बच्चों का बचपन छीन लेते हैं।
ये दिन हमें याद दिलाता है कि शिक्षा सिर्फ एक सुविधा नहीं, बल्कि हर बच्चे का बुनियादी अधिकार है। मलाला ने अपनी जिंदगी को जोखिम में डालकर ये साबित किया कि अगर एक लड़की भी अपनी आवाज उठाए, तो वो पूरी दुनिया को बदल सकती है। विश्व मलाला दिवस हमें प्रेरणा देता है कि हम अपने आसपास की लड़कियों और बच्चों की मदद करें, ताकि वो भी अपने सपने पूरे कर सकें।
मलाला की उपलब्धियां
मलाला की कहानी सिर्फ हिम्मत और संघर्ष की नहीं, बल्कि उनकी उपलब्धियों की भी है। 2014 में, 17 साल की उम्र में, मलाला को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वो इस पुरस्कार को पाने वाली सबसे कम उम्र की व्यक्ति बनीं। उन्होंने ये पुरस्कार भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी के साथ साझा किया, जो बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ते हैं।
मलाला ने मलाला फंड की स्थापना की, जो लड़कियों की शिक्षा के लिए काम करता है। इस फंड ने दुनिया भर में लाखों लड़कियों को स्कूल जाने में मदद की है। मलाला ने अपनी आत्मकथा मैं मलाला लिखी, जो एक अंतरराष्ट्रीय बेस्टसेलर बनी। इस किताब में उन्होंने अपनी जिंदगी, तालिबान के हमले, और शिक्षा के लिए अपनी लड़ाई की कहानी बयान की। इसके अलावा, उनकी जिंदगी पर एक डॉक्यूमेंट्री ही नेम्ड मी मलाला बनाई गई, जिसे 2015 में ऑस्कर के लिए नामांकित किया गया।
मलाला ने 2017 में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया और वहां से दर्शनशास्त्र, राजनीति, और अर्थशास्त्र में डिग्री हासिल की। आज वो बर्मिंघम में रहती हैं और अपनी लड़ाई को जारी रखे हुए हैं। उन्होंने एक और किताब वी आर डिसप्लेस्ड लिखी, जिसमें शरणार्थी लड़कियों की कहानियां हैं।
विश्व मलाला दिवस कैसे मनाया जाता है?
विश्व मलाला दिवस को दुनिया भर में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। स्कूल, कॉलेज, और सामाजिक संगठन इस दिन प्रेरणादायक कार्यक्रम आयोजित करते हैं। लोग मलाला के विचारों को साझा करते हैं और लड़कियों की शिक्षा के लिए जागरूकता फैलाते हैं। कई जगहों पर भाषण, नाटक, और वर्कशॉप का आयोजन होता है। सोशल मीडिया पर भी लोग मलाला की कहानी और उनके संदेश को फैलाते हैं।
मलाला फंड इस दिन कई अभियान चलाता है, जिनमें लड़कियों की शिक्षा के लिए फंड जुटाना और नीतियों में बदलाव की मांग करना शामिल है। संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठन भी इस दिन शिक्षा के महत्व पर जोर देते हैं। भारत में भी कई स्कूल और एनजीओ इस दिन को मनाते हैं, जहां बच्चे मलाला की कहानी सुनते हैं और शिक्षा के लिए प्रेरित होते हैं।
भारत में मलाला का प्रभाव
भारत में मलाला की कहानी लाखों लड़कियों के लिए प्रेरणा है। भारत में भी कई जगहों पर लड़कियों को शिक्षा से वंचित रखा जाता है। गरीबी, बाल विवाह, और सामाजिक दबाव के कारण लाखों लड़कियां स्कूल छोड़ देती हैं। मलाला की कहानी इन लड़कियों को हिम्मत देती है कि वो अपने अधिकारों के लिए लड़ें।
भारत सरकार ने भी लड़कियों की शिक्षा के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, जैसे बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ। मलाला का संदेश इन योजनाओं को और मजबूत करता है। भारत के कई सामाजिक कार्यकर्ता और संगठन मलाला के विचारों से प्रेरित होकर लड़कियों की शिक्षा के लिए काम कर रहे हैं।
मलाला की कहानी से क्या सीख मिलती है?
मलाला की कहानी हमें कई सबक देती है। सबसे बड़ा सबक है हिम्मत और दृढ़ संकल्प। मलाला ने इतनी छोटी उम्र में इतने बड़े दुश्मन का सामना किया, फिर भी वो नहीं डरीं। उनकी कहानी हमें सिखाती है कि अगर हम अपने लक्ष्य के लिए मेहनत करें, तो कोई भी मुश्किल हमें रोक नहीं सकती।
दूसरा सबक है शिक्षा का महत्व। मलाला ने कहा कि शिक्षा हर बच्चे का हक है, चाहे वो लड़का हो या लड़की। शिक्षा न सिर्फ हमें ज्ञान देती है, बल्कि हमें आत्मनिर्भर बनाती है। मलाला की लड़ाई हमें याद दिलाती है कि हमें अपने आसपास के बच्चों को स्कूल भेजने में मदद करनी चाहिए।
तीसरा सबक है आवाज उठाने की हिम्मत। मलाला ने तालिबान के सामने अपनी आवाज बुलंद की। हमें भी अपने समाज में गलत के खिलाफ बोलना चाहिए, चाहे वो लैंगिक भेदभाव हो, गरीबी हो, या कोई और अन्याय।
विश्व मलाला दिवस का वैश्विक प्रभाव
विश्व मलाला दिवस ने दुनिया भर में लड़कियों की शिक्षा को एक बड़ा मुद्दा बना दिया। इस दिन के कारण कई देशों में शिक्षा नीतियों में बदलाव हुए हैं। मलाला फंड ने अफगानिस्तान, नाइजीरिया, और ब्राजील जैसे देशों में लड़कियों के लिए स्कूल खोले हैं। इस दिन ने लोगों को ये भी सिखाया कि एक व्यक्ति की आवाज कितना बड़ा बदलाव ला सकती है।
हालांकि, अभी भी बहुत काम बाकी है। यूनेस्को के अनुसार, दुनिया भर में 130 मिलियन लड़कियां स्कूल नहीं जा पातीं। विश्व मलाला दिवस हमें याद दिलाता है कि ये लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। हमें मिलकर काम करना होगा, ताकि हर लड़की को शिक्षा का मौका मिले।
विश्व मलाला दिवस एक ऐसी लड़की की कहानी है, जिसने अपनी जान की परवाह किए बिना शिक्षा के लिए लड़ाई लड़ी। मलाला यूसुफजई आज दुनिया भर में हिम्मत और बदलाव का प्रतीक हैं। 12 जुलाई को हम न सिर्फ मलाला का जन्मदिन मनाते हैं, बल्कि उन लाखों लड़कियों की आवाज को भी बुलंद करते हैं, जो शिक्षा के अपने हक के लिए लड़ रही हैं। ये दिन हमें प्रेरणा देता है कि हम अपने समाज में शिक्षा को बढ़ावा दें और हर बच्चे को स्कूल भेजें। मलाला की कहानी हमें सिखाती है कि एक कलम और एक किताब दुनिया को बदल सकती है।
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