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समर शेष
क्षत्रपों में छायी है निराशा रिक्त है कोष किन्तु समय उचित नहीं है, नए करारोपण का ।
मरघट
मेरे शहर में
मृत्यु इन दिनों
कोई घटना नहीं है
सिर्फ एक सूचना है
आंकड़ों की शक्ल में !
शिशु, युवा या वृद्ध
कोई निरापद नहीं है इससे
किसी को, कभी भी
पंजों में दबोच कर
अंतरिक्ष में उड़ जाती हैं
मौत की चीलें ।
श्मशानों में एक लय में
जलती हैं सैकड़ों लाशें
कब्रिस्तानों में भी
नहीं बची कोई जगह
न कोई संवेदना
न कोई विषाद
न आँखों में आंसू
पथराती संवेदनाओं के
मेरे शहर में मृत्यु
सिर्फ एक सूचना है
जिसे सुनकर
हर व्यक्ति उस जगह से
तेजी से भागता है
जबकि चीलें तेजी से
कर रही हैं उनका पीछा
लगातार।
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