TRENDING TAGS :
गोली का गम, मस्जिद बचाने की खुशी : क्यों आई नेताजी जी को पुरानी याद
कारसेवकों पर फायरिंग के बाद मुस्लिम वोट मुलायम की झोली में आ गिरा था। उन्हें 'मुल्ला मुलायम' कहा जाने लगा था। यादव वोट तो पहले से ही उनके पास था। इसी के बाद यूपी की राजनीति में मुसलमान-यादव (माई) समीकरण बना था। दोनों के एकमुश्त वोट मुलायम के लिए सत्ता की चाबी थे।
अब उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं। मुलायम ने भी जातीय समीकरण के हिसाब से कल-पुर्जे कसने शुरू कर दिए हैं। राजनीतिक हलकों में रविवार को मुलायम के दिए बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं।
राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि मुस्लिम मतदाताओं पर मुलायम की अब पहले जैसी पकड़ नहीं रह गई। मुलायम ने रविवार को कर्पूरी ठाकुर की जयंती पर दिए बयान में कहा कि मस्जिद बचाने के लिए कारसेवकों पर फायरिंग आवश्यक थी, लेकिन उन्हें 21 लोगों के मारे जाने का अफसोस है। हालांकि उन्होंने अपने बयान से मुस्लिम मतदाताओं को भी खुश करने की कोशिश की है। साथ ही अफसोस जताकर हिंदुओं को भी लुभाने का प्रयास किया है।
मुलायम के इस बयान पर भाजपा एक बार फिर उन पर आक्रामक हुई और माफी मांगने को कहा। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेयी कहते हैं कि अफसोस जताने से कुछ नहीं होगा। मुलायम को अपने किए पर माफी मांगनी चाहिए।
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए अक्टूबर 1990 में बड़ी संख्या में कारसेवक पहुंचे। उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हें रोकने की कोशिश की फिर भी कारसेवक हजारों संख्या में आगे बढ़े। तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने गोली चलाने का आदेश दिया। 30 अक्तूबर और दो नवंबर को फायरिंग में सरकारी आंकड़ों के अनुसार फायरिंग में 21 लोग मारे गए थे।
AI Assistant
Online👋 Welcome!
I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!