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Faggan Singh Kulaste Wikipedia: फग्गन सिंह कुलस्ते...आदिवासी सशक्तिकरण के प्रतीक और भारतीय राजनीति के अनुभवी स्तंभ
Politician Faggan Singh Kulaste Wikipedia: फग्गन सिंह कुलस्ते का जन्म 18 मई 1959 को मध्य प्रदेश के मंडला जिले के बारबटी गांव में एक आदिवासी परिवार में हुआ...
Politician Faggan Singh Kulaste Wikipedia
Faggan Singh Kulaste Wikipedia: भारतीय राजनीति में अनेक नेता आए और गए, पर कुछ नाम ऐसे हैं जो न केवल सत्ता के गलियारों में सक्रिय रहे, बल्कि समाज के जमीनी स्तर पर भी अपनी मजबूत छाप छोड़ गए। फग्गन सिंह कुलस्ते उन्हीं में से एक हैं। सात बार लोकसभा सदस्य चुने जाने वाले कुलस्ते ने आदिवासी समाज की आवाज को संसद के गलियारों तक पहुंचाया है। एक शिक्षक, समाजसेवी और राजनीतिक रणनीतिकार के रूप में उनकी बहुआयामी भूमिका उन्हें विशिष्ट बनाती है। फग्गन सिंह कुलस्ते वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता हैं और मध्य प्रदेश के मंडला (अनुसूचित जनजाति) लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं। उन्होंने 2024 के आम चुनावों में कांग्रेस के उम्मीदवार ओमकार सिंह मरकाम को 1,03,846 वोटों क अंतर से हराकर सातवीं बार संसद में प्रवेश किया। उन्होंने 30 मई 2019 से 11 जून 2024 तक भारत सरकार में ग्रामीण विकास और इस्पात मंत्रालयों में केंद्रीय राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया। हालांकि, 2024 में नई सरकार के गठन के समय उन्हें पुनः राज्य मंत्री पद की पेशकश की गई थी, जिसे उन्होंने यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि वे तीन बार राज्य मंत्री रह चुके हैं और चौथी बार यह पद स्वीकार करना उचित नहीं होगा।
फग्गन सिंह कुलस्ते जन्म : 18 मई 1959 मध्य प्रदेश जिला मंडला, बारबटी गांव
राजनीतिक दल: भाजपा
इसलिए, वर्तमान में वे केवल सांसद के रूप में कार्यरत हैं और केंद्र सरकार में कोई मंत्री पद नहीं संभाल रहे हैं।
जन्म, पारिवारिक पृष्ठभूमि और शिक्षा
फग्गन सिंह कुलस्ते का जन्म 18 मई 1959 को मध्य प्रदेश के मंडला जिले के बारबटी गांव में एक आदिवासी परिवार में हुआ। साधारण ग्रामीण परिवेश में जन्मे कुलस्ते ने शिक्षा के महत्व को समझा और उसे अपनी प्राथमिक प्राथमिकता बनाया। उन्होंने मंडला कॉलेज से स्नातक की शिक्षा प्राप्त की, इसके बाद डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर तथा रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर से एम.ए., बी.एड. और एल.एल.बी. की डिग्रियाँ प्राप्त कीं। शिक्षा के प्रति उनका झुकाव बाद में उनकी सामाजिक गतिविधियों और नीतिगत प्राथमिकताओं में भी स्पष्ट दिखाई देता है।
उनकी पत्नी सावित्री कुलस्ते गृहिणी हैं। दंपती के चार बच्चे हैं तीन बेटियां और एक बेटा। पारिवारिक जीवन में संतुलन बनाए रखते हुए उन्होंने समाज और राजनीति दोनों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
राजनीतिक यात्रा की शुरुआत और विकास
कुलस्ते का राजनीतिक सफर 1990 में शुरू हुआ जब वे पहली बार मध्य प्रदेश विधानसभा के सदस्य बने। दो वर्षों के भीतर ही वे राष्ट्रीय राजनीति में कदम रखने वाले थे। 1996 में वे पहली बार मंडला लोकसभा सीट से संसद पहुंचे और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा।
उन्होंने 11वीं (1996), 12वीं (1998), 13वीं (1999), 14वीं (2004), 16वीं (2014), 17वीं (2019), और अब 18वीं लोकसभा (2024) में मंडला का प्रतिनिधित्व किया। यह उनकी लोकप्रियता और जनता के बीच भरोसे का प्रमाण है। हालांकि 2009 में उन्हें कांग्रेस के बसोरी सिंह मसराम से हार का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने 2012 में राज्यसभा सदस्य बनकर संसद में वापसी की और 2014 में लोकसभा सीट पुनः जीत ली।
मंत्री पद और नीतिगत दायित्व
फग्गन सिंह कुलस्ते ने विभिन्न महत्वपूर्ण मंत्रालयों में केंद्रीय राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया है-
जनजातीय कार्य मंत्रालय (1999–2004)
इस दौरान उन्होंने आदिवासियों के अधिकार, शिक्षा और रोजगार के मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया।
संसदीय कार्य मंत्रालय (1999) अल्पकालिक कार्यकाल में भी उन्होंने संसदीय शिष्टाचार और प्रक्रियाओं में सक्रिय भागीदारी निभाई।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (2016–2017)
यहां उन्होंने ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने पर बल दिया।
इस्पात मंत्रालय (2019–वर्तमान)
इस मंत्रालय में उन्होंने इस्पात उत्पादन और बुनियादी ढांचे को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ औद्योगिक क्षेत्रों में स्थानीय रोजगार सृजन को भी प्राथमिकता दी।
चुनावी जीत और जनाधार
2024 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के ओमकार मरकाम को 1,03,846 मतों से हराकर शानदार जीत दर्ज की। यह जीत न केवल भाजपा की मंडला क्षेत्र में मजबूत स्थिति को दर्शाती है, बल्कि कुलस्ते की व्यक्तिगत लोकप्रियता और विकास कार्यों का भी प्रमाण है।
भाजपा में नेतृत्व भूमिका
कुलस्ते भाजपा के अनुसूचित जनजाति मोर्चा के दो बार राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं (2004 और 2010)। इसके अलावा वे मध्य प्रदेश भाजपा के महासचिव के रूप में भी दो कार्यकाल तक सक्रिय रहे। पार्टी संगठन में उनका गहरा अनुभव उन्हें रणनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण बनाता है।
सामाजिक कार्य और आदिवासी समाज के लिए योगदान
फग्गन सिंह कुलस्ते का राजनीतिक जीवन केवल संसद और मंत्रालयों तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने समाज विशेषकर आदिवासी समाज के उत्थान के लिए अनेक कार्य किए। शिक्षा को लेकर उनका समर्पण उल्लेखनीय रहा है। उन्होंने कई शैक्षणिक इकाइयों की स्थापना की और कमजोर वर्गों को मुफ्त शिक्षा देने की व्यवस्था की। उनके द्वारा किए गए सांसजिक सरोकारों में -
-बाबलिया विकास खंड की स्थापना, जिसका उद्देश्य आदिवासी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना है।
-अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद और गोंड महासंघ जैसे संगठनों के माध्यम से सांस्कृतिक जागरूकता फैलाना।
-कोविड-19 के दौरान ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना से लेकर, गरीबों में राहत सामग्री वितरण तक उन्होंने अग्रणी भूमिका निभाई।
हालांकि उनके "शराब को कोविड में टॉनिक कहने" जैसे बयानों पर विवाद भी हुआ, लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि वह ग्रामीण संदर्भों की सामाजिक वास्तविकताओं की ओर ध्यान दिलाना चाहते थे। फग्गन सिंह कुलस्ते एक शांत, गंभीर और नीति-निर्माण में रुचि रखने वाले राजनेता के रूप में जाने जाते हैं। भाषणों में उनका स्वर संयमित रहता है और वे जमीनी मुद्दों की स्पष्ट समझ रखते हैं। आदिवासी क्षेत्रों की समस्याओं, जैसे भूमि अधिकार, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी और बेरोजगारी पर वे लगातार संसद में आवाज उठाते रहे हैं।
फग्गन सिंह कुलस्ते भारतीय राजनीति के उन नेताओं में हैं जिन्होंने न केवल सत्ता का स्वाद चखा, बल्कि समाज में वास्तविक बदलाव लाने की दिशा में भी काम किया। आदिवासी समाज का एक सशक्त प्रतिनिधि, एक नीतिगत रणनीतिकार और एक समर्पित सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में उनकी पहचान राजनीति से परे भी एक प्रेरणा है। मंडला की जनता ने जिस विश्वास से उन्हें सातवीं बार लोकसभा भेजा है, वह उनकी प्रतिबद्धता और जनसेवा के प्रति समर्पण का प्रमाण है। आने वाले वर्षों में उनसे और अधिक नवाचारपूर्ण और समावेशी नीतियों की अपेक्षा की जाती है, जिससे देश के वंचित वर्गों को मुख्यधारा से जोड़ने का सपना और मजबूती से साकार हो।
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