ODI रैंकिंग्स में अफगानिस्तान से भी पीछे, जानिए क्यों हुआ है इंग्लैंड टीम का इतना बुरा हाल

2019 वर्ल्ड कप चैंपियन से सीधे 8वीं रैंक तक गिरने की कहानी — क्या गलतियां कर रही है इंग्लैंड क्रिकेट टीम?

Manu Shukla
Published on: 6 Sept 2025 5:27 PM IST
ODI रैंकिंग्स में अफगानिस्तान से भी पीछे, जानिए क्यों हुआ है इंग्लैंड टीम का इतना बुरा हाल
X

Cricket News: साल 2015 के क्रिकेट वर्ल्ड कप में बुरी तरह ग्रुप स्टेज से बाहर होने के बाद इंग्लैंड की टीम ने अपने खेलने के अप्रोच में क्रांतिकारी बदलाव किए थे। टीम के कप्तान ईआन मॉर्गन सभी प्लेयर्स को मैच की पहली गेंद से अटैकिंग मोड अपनाने का लाइसेंस दे दिया था। जिसका नतीजा ये निकला कि इंग्लैंड ने 2019 में पहली बार क्रिकेट वर्ल्ड कप जीता। उसके बाद से ही टीम ने ये फार्मूला अपना लिया कि वे अब अटैकिंग क्रिकेट ही खेलेंगे। बाद में इंग्लैंड ने 2022 का टी-20 वर्ल्ड कप भी जीता। लेकिन बीते कुछ सालों से खासकर व्हाइट बाल क्रिकेट में इंग्लैंड की हालत बेहद खराब हो चुकी है। नतीजा ये है कि टीम की ODI फॉर्मेट मे रैंकिंग अब खिसककर 8वें पायदान पर पहुँच चुकी है।

खल रही है आलरऑउन्डर्स और अच्छे कप्तान की कमी

अपने पीक के दौरान इंग्लैंड टीम की जो सबसे मजबूत कड़ी थी, वो थे टीम में मौजूद बेहतरीन अलरऑउन्डर्स। बेन स्टोक्स, मोईन अली और क्रिस वोक्स जैसे प्लेयर्स जिनमें गेंद और बल्ले दोनों से ही एकसमान दम था। बेन स्टोक्स ने तो टीम के जीते दोनों ICC फ़ाइनल्स में सबसे अहम भूमिका निभाई थी, और दोनो ही बार प्लेयर ऑफ द मैच बने थे। स्टोक्स और वोक्स दो एक्स्ट्रा फ़ास्ट बॉलर्स और इतने ही एक्स्ट्रा बल्लेबाजों की कमी पूरी करते थे, वहीं मोईन अली एक प्रॉपर स्पिनर और मिडल ऑर्डर में एक लेफ्ट हैंडेड बैटर की जगह फिलअप करते थे। इन तीनों प्लेयर्स के होने से मिडल और लोअर ऑर्डर सालिड रहता था। वहीं बची कसर कप्तान ईआन मॉर्गन खुद ही पूरी कर देते थे। मॉर्गन आवश्यकता पड़ने पर 30 गेंदों में 80 रन भी बनाने की क्षमता रखते थे और 70 गेंदों पर 35 रनों की भी। लेकिन अब इंग्लैंड की टीम में ऐसे खिलाड़ियों की कमी और उनकी कमी का असर साफ नज़र आ रहा है। टीम में न ही कोई फ़ास्ट बॉलिंग ऑलराउन्डर बचा है और न ही ढंग का स्पिन बॉलिंग ऑलराउन्डर। वहीं मॉर्गन जैसे एक सेल्फलेस कप्तान की कमी भी टीम में साफ झलक रही है।

अच्छे बॉलर्स की भी है टीम को जरूरत

ईआन मॉर्गन ने अपनी कप्तानी मे जो सबसे बड़ा बदलाव किया था, वह था तेज रफ्तार वाले आक्रामक फ़ास्ट बॉलर्स मार्क वुड, लिआम प्लंकेट और जोफ्रा आर्चर जैसे खूंखार गेंदबाजों की। ये बॉलर्स विकेट तो निकालते ही थे साथ में निचले क्रम में महत्वपूर्ण रन भी बना देते थे। प्लंकेट तो रिटायर हो चुके हैं वहीं चोटों के चलते आर्चर और वुड जैसे प्लेयर्स भी अक्सर टीम से बाहर ही रहते है। स्पिन डिपार्टमेंट मे भी आदिल रशीद का साथ देने के लिए कोई बॉलर नहीं बचा है।

क्रिकेट लीग्स को देते है अधिक वरीयता

आज के दौर में क्रिकेट लीग्स का प्रचलन बहुत अधिक बढ़ चुका है। जिसका असर ये है कि प्लेयर्स टी-20 फॉर्मैट को अधिक महत्व देने लगे हैं। और इंटरनेशनल क्रिकेट को उतनी वरीयता नहीं मिल रही जितनी मिलनी चाहिए। इंग्लैंड की टीम के बड़े सितारे जैसे जोस बटलर, लियाम लिविंग्सटन, और फिल साल्ट जैसे खिलाड़ी दुनिया भर की लीग्स में जाकर रनों का अंबार लगा देते है, वही जब इंटरनेशनल फॉर्मेट की बात आती है तो ये सारे प्लेयर्स फुस्स हो जाते हैं। इन सभी कारणों का नतीजा ये निकल के आ रहा है, कि जो इंग्लैंड की टीम पिछले 27 सालों से साउथ अफ्रीका की टीम से अपनी होम शृंखला नही हारी थी। वो टीम इस वक्त चल रही 3 मैचों की शृंखला में पहले ही 2-0 से पीछे हो चुकी है।

1 / 3
Your Score0/ 3
Manu Shukla

Manu Shukla

📧 [email protected]

I'm Manu Shukla, a journalist based in Lucknow with roots in a small village. Driven by creativity, hard work and honesty, I aim to bring a fresh perspective to journalism. I've previously worked with Jan Express, a Lucknow-based news channel, and have now embarked on an enriching learning journey with Newstrack.

Next Story

AI Assistant

Online

👋 Welcome!

I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!