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Vaishno Devi Caves Mystery: मां वैष्णो देवी की गुफाओं का कई अनकहे रहस्यों से जुड़ा है नाता
Vaishno Devi Caves Mystery: मां वैष्णो देवी की गुफाएं सिर्फ आस्था ही नहीं, बल्कि रहस्यों और चमत्कारों का अद्भुत संगम हैं। जानें गर्भजून गुफा और भैरव बाबा से जुड़े रहस्य।
Vaishno Devi Caves Mysteries (Image Credit-Social Media)
Vaishno Devi Caves Mysteries: भारत की धरती पर मौजूद सिद्ध शक्ति पीठों में मां वैष्णो देवी मंदिर का नाम सबसे पहले लिया जाता है। जम्मू-कश्मीर की त्रिकुटा पर्वतमाला पर स्थित यह पवित्र धाम सिर्फ ईंट-पत्थर का मंदिर नहीं, बल्कि करोड़ों श्रद्धालुओं की अटूट आस्था और भक्ति का प्रतीक है। हर साल यहां लाखों लोग नंगे पांव, श्रद्धा और विश्वास के साथ कठिन रास्तों को पार करते हुए माता रानी के दरबार तक पहुंचते हैं। कहा जाता है कि जो भी यहां आता है, वह खाली हाथ नहीं लौटता। माता वैष्णो देवी के मंदिर और यहां तक पहुंचने वाली गुफाएं सिर्फ आस्था का केंद्र नहीं बल्कि इनसे कई ऐसे रहस्य जुड़े हैं, जिन्हें जानकर कोई भी हैरान रह जाए। इन गुफाओं से जुड़ी कहानियां भक्तों के विश्वास को और गहरा करती हैं। आइए जानते हैं त्रिकुटा पर्वत पर बसी अद्भुत गुफा से जुड़े रहस्य के बारे में -
श्रद्धालु के पाप नष्ट करता है इस अद्भुत गुफा का जल
कटरा से लगभग 12 किलोमीटर की दूरी और करीब 5,200 फीट की ऊंचाई पर बसा यह मंदिर श्रद्धालुओं की तपस्या और विश्वास का गवाह है। आज भले ही नए रास्ते और कृत्रिम सुरंगें बना दी गई हैं, लेकिन पहले भक्तों को एक ही संकरी और रहस्यमयी गुफा से होकर गुजरना पड़ता था। गुफा के भीतर बहता पवित्र जल, जिसे गंगा का स्वरूप माना जाता है। ये जल भक्तों को आत्मिक शांति और शुद्धता का अहसास कराता है। मान्यता है कि इस जल से होकर दरबार तक पहुंचने वाले हर श्रद्धालु के पाप धुल जाते हैं।
आदिकुंवारी गर्भजून गुफा- जहां मां दुर्गा ने की थी नौ महीने तक साधना
मंदिर की ओर बढ़ते हुए बीच में एक और खास पड़ाव आता है आदिकुंवारी गुफा। इसे गर्भजून गुफा भी कहा जाता है। मान्यता है कि जिस तरह शिशु नौ महीने तक मां के गर्भ में रहता है, उसी प्रकार मां दुर्गा ने भी यहां नौ महीने तक साधना की थी। इसी कारण इसका नाम गर्भजून पड़ा।
लोग मानते हैं कि इस गुफा से होकर गुजरने वाला व्यक्ति पुनर्जन्म के कष्ट से मुक्त हो जाता है। कहा तो यह भी जाता है कि इसके दर्शन से जीवन में सुख-समृद्धि और स्थिरता प्राप्त होती है। 98 फीट लंबी इस गुफा में आज दो कृत्रिम रास्ते बनाए गए हैं। जिसमें से एक प्रवेश के लिए और दूसरा बाहर निकलने के लिए। गुफा के भीतर एक बड़ा चबूतरा है, जिसे माता का आसन माना जाता है। भक्तों का विश्वास है कि माता आज भी यहीं विराजमान हैं।
भैरवनाथ के बिना अधूरी वैष्णो देवी की यात्रा, जानिए इस गुफा का रहस्य
वैष्णो देवी की यात्रा भैरवनाथ के बिना अधूरी है। धार्मिक मान्यता है कि जब मां ने भैरव का वध किया, तो उसका सिर भैरव घाटी में जा गिरा लेकिन शरीर इस गुफा के भीतर ही रह गया। यही वजह है कि आज भी भक्त मानते हैं कि गुफा में भैरव का शरीर मौजूद है। परंपरा यह है कि मां के दर्शन के बाद भैरव बाबा के दर्शन किए बिना यात्रा पूरी नहीं मानी जाती।
वैज्ञानिक नजरिए से भी अनोखी हैं ये गुफाएं
इन गुफाओं की खासियत केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक नजरिए से भी अनोखी है। त्रिकुटा की पहाड़ियों की चट्टानें चूना पत्थर से बनी हैं, जिनसे लगातार जल रिसता रहता है। वैज्ञानिक कहते हैं कि इस गुफा का पानी कोई साधारण पानी नहीं बल्कि इसमें कई ऐसे प्राकृतिक खनिज मौजूद हैं जो स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी हैं। यह जल शरीर को ऊर्जा प्रदान करने के साथ कई रोगों से लड़ने की शक्ति देता है। वहीं श्रद्धालुओं के लिए यह सिर्फ जल नहीं, बल्कि मां वैष्णो देवी का आशीर्वाद है। जो समस्त पापों को नष्ट कफ आत्मा को शांति और ऊर्जा देता है। यहां आने वाले श्रद्धालु अपने अनुभव साझा करते हैं। कोई कहता है कि यहां आकर उनकी मांगी मनोकामना पूरी हुई, तो कोई यह मानता है कि गर्भजून गुफा से गुजरते समय उसे ऐसा लगा मानो उनके जीवन को नई दिशा मिली हो। इस गुफा में फैली असीमशांति, वहां की ठंडी और तन-मन को पवित्र करने वाली हवाएं और अनवरत कल -कल ध्वनि के साथ बहता शुद्ध जल मन और आत्मा को गहराई से सुकून प्रदान करता है। मां वैष्णो देवी का यह धाम केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आस्था, रहस्य और चमत्कार का अद्भुत संगम है। आदिकुंवारी गर्भजून गुफा से लेकर भैरव बाबा की गुफा से जुड़े किस्से श्रद्धालुओं के विश्वास को और मजबूत करते हैं। यही वजह है कि त्रिकुटा पर्वतमाला पर स्थित इस पवित्र धाम तक पहुंचने वाला हर यात्री खुद को मां की शरण में सुरक्षित महसूस करता है।
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