Chattisgarh Mahadev Mandir: छत्तीसगढ़ के जशपुर में बसा है 'माधेश्वर महादेव', रहस्यमयी गुफा में विराजमान हैं शिव

Chhattisgarh Madheshwar Mahadev: माधेश्वर महादेव को विश्व का सबसे बड़ा शिवलिंग माना जाता है ये न सिर्फ अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए बल्कि एक अद्भुत धार्मिक और रहस्यमयी स्थल के लिए भी लोकप्रिय है।

Jyotsna Singh
Published on: 8 Aug 2025 9:41 AM IST
Madheshwar Mahadev
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Madheshwar Mahadev (Image Credit-Social Media)

Chhattisgarh Madheshwar Mahadev: छत्तीसगढ़ का जशपुर जिला अब न सिर्फ प्राकृतिक सौंदर्य के लिए बल्कि एक अद्भुत धार्मिक और रहस्यमयी स्थल के लिए भी पहचाना जाने लगा है। यहां स्थित माधेश्वर महादेव को विश्व का सबसे बड़ा शिवलिंग माना जा रहा है। यह न सिर्फ धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि गुफाओं, शिवलिंगाकार पर्वत और रहस्यों से भरी गाथाओं के कारण अब देश-विदेश के पर्यटकों को आकर्षित कर रहा है। राज्य सरकार ने इसे विकसित करने के लिए 40 करोड़ रुपये की योजना स्वीकृत की है, जिससे यह स्थान आने वाले समय में छत्तीसगढ़ के प्रमुख धार्मिक और पर्यटन स्थलों में से एक बन सकता है। प्राकृतिक वैभव से भरपूर जशपुर अब आध्यात्मिक केंद्र के रूप में उभर रहा है।

जशपुर जिला अपनी हरी-भरी वादियों, झरनों, गुफाओं और वन्य जीवन के लिए जाना जाता रहा है। लेकिन अब यहां का माधेश्वर महादेव पर्वत इस क्षेत्र की पहचान को एक नई दिशा दे रहा है। यह स्थान न सिर्फ प्रकृति प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र बन रहा है बल्कि शिव भक्तों के लिए एक शक्तिशाली तीर्थ स्थल के रूप में उभर रहा है। इसकी पहाड़ी आकृति स्वयं में शिवलिंग जैसी प्रतीत होती है। जिसे वर्षों से स्थानीय जनजातियां और सनातन परंपरा के अनुयायी पूजते आए हैं।


मयाली गांव के इस पर्वत की बनावट शिवलिंग जैसी है, जिसे लोग महादेव का रूप मानते हैं। माधेश्वर महादेव जशपुर जिले के मयाली गांव में स्थित है, जो कुनकुरी विकासखंड में आता है। नेशनल और स्टेट हाइवे के किनारे स्थित होने के कारण यहां सुगम रूप से पहुंचा जा सकता है। यहां का विशालकाय पर्वत बिल्कुल शिवलिंग के आकार का है, जो दूर से ही महादेव की उपस्थिति का आभास देता है। यही कारण है कि आदिवासी समुदाय से लेकर अन्य श्रद्धालु इस पर्वत की वर्षों से पूजा करते आ रहे हैं।

इस गुफा में दिव्य शक्तियों का वास

गुफा के रहस्य ने श्रद्धालुओं और पुरातत्व प्रेमियों की जिज्ञासा बढ़ा दी है। इस पर्वत के भीतर एक रहस्यमयी गुफा भी स्थित है, जिसकी गहराई अब तक अज्ञात है। ऐसा कहा जाता है कि आज तक कोई भी इस गुफा के अंतिम छोर तक नहीं पहुंच सका है। स्थानीय लोगों का मानना है कि इस गुफा में स्वयं महादेव विराजमान हैं और इसमें दिव्य शक्तियों का वास है। यह रहस्य ही श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है और इस स्थान को धार्मिक महत्व के साथ-साथ एक रहस्यमयी आकर्षण भी प्रदान करता है।

शिवलिंग के सामने स्थित पवित्र जलाशय आस्था का प्रतीक

माधेश्वर शिवलिंग के सामने एक विशाल जलाशय स्थित है, जो धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र माना जाता है। श्रद्धालु इस जलाशय में स्नान कर अपने तन और मन को शुद्ध करने की कामना करते हैं। यह जलाशय पर्यावरणीय संतुलन के साथ-साथ आध्यात्मिक ऊर्जा का भी प्रतीक बन चुका है। जो यहां आने वाले हर भक्त को एक विशेष शांति प्रदान करता है।

स्थानीय मान्यताओं और परंपराओं से जुड़ा है ये स्थल

रामायणकालीन इतिहास

माधेश्वर महादेव के प्रति आस्था केवल वर्तमान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह स्थान ऐतिहासिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। कहा जाता है कि रामायण काल के दौरान भगवान श्रीराम अपने वनवास के दौरान इस क्षेत्र में कुछ समय के लिए रुके थे। इसके प्रमाण आज भी जशपुर जिले में ‘राम वनगमन’ मार्ग के रूप में देखे जा सकते हैं। यही कारण है कि यह स्थान सिर्फ शिव भक्ति का केंद्र नहीं, बल्कि श्रीराम की स्मृतियों से भी जुड़ा हुआ है।

स्वदेश दर्शन योजना के अंतर्गत 40 करोड़ की योजना से होगा पर्यटन स्थल का विकास


राज्य के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस स्थल को छत्तीसगढ़ के पर्यटन मानचित्र पर लाने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल की है। माधेश्वर महादेव को स्वदेश दर्शन योजना में शामिल किया गया है और इसके विकास के लिए 40 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं। पहली किश्त के रूप में 10 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं, जिससे सड़क, गुफा में सुरक्षा उपाय, विश्राम गृह, प्रकाश व्यवस्था, धर्मशाला और अन्य बुनियादी सुविधाएं विकसित की जाएंगी।

इसके अलावा माधेश्वर महादेव के विकसित होने से केवल एक स्थान को नहीं, बल्कि पूरे जिले को पर्यटन के लिहाज से लाभ मिलेगा। यहां पहले से ही राजपुरी, रानीदाह, बेने, गुल्लू, कोतेबिरा, कैलाश गुफा और दरावघाघ जैसे दर्जनों झरने और प्राकृतिक स्थल मौजूद हैं। अब जब यह स्थान देश-विदेश से पर्यटकों को आकर्षित करेगा, तो अन्य स्थल भी लोगों की नजरों में आएंगे और पूरे जिले को पर्यटन सर्किट के रूप में बढ़ावा मिलेगा।

रोजगार और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए बन सकता है मील का पत्थर

पर्यटन के इस विकास से स्थानीय लोगों को भी प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा। होटल, टूर गाइड, वाहन सेवाएं, हस्तशिल्प बिक्री, खाद्य सामग्री आदि के माध्यम से रोजगार के नए अवसर खुलेंगे। महिलाएं स्वयं सहायता समूह के ज़रिए स्थानीय उत्पाद बेच सकेंगी और युवाओं को भी स्वरोजगार का अवसर मिलेगा। यह पूरी परियोजना जशपुर जिले के आर्थिक और सामाजिक विकास में नया अध्याय जोड़ेगी।

प्रशासन और सरकार की सक्रियता से बढ़ रही है उम्मीदें

संबंधित अधिकारी द्वारा प्रदान की गई जानकारी के अनुसार माधेश्वर महादेव और मयाली क्षेत्र के विकास के लिए कार्य योजना तैयार की जा चुकी है। जल्द ही ज़मीनी स्तर पर निर्माण कार्य शुरू होगा। प्रशासन की मंशा है कि यह क्षेत्र छत्तीसगढ़ ही नहीं, बल्कि पूरे भारत के लिए एक उदाहरण बने। जहां आस्था, पर्यटन और रोजगार का अद्भुत संतुलन दिखाई दे।


माधेश्वर महादेव का शिवलिंग न केवल अपनी भव्यता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसके साथ जुड़ी आस्थाएं, मान्यताएं और गुफा के रहस्य इसे एक अनोखा तीर्थ स्थल बनाते हैं। राज्य सरकार और प्रशासन की योजनाएं यदि तय समय पर पूरी होती हैं, तो यह स्थान छत्तीसगढ़ की पहचान को अंतरराष्ट्रीय मंच तक ले जा सकता है। आस्था और विकास का यह मेल निश्चित ही आने वाले वर्षों में जशपुर को पर्यटन मानचित्र पर एक प्रमुख स्थान दिलाएगा।

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Journalist & Director - Newstrack.com

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