Ayodhya Deepotsav: ग्रीन आतिशबाज़ी और पर्यावरण-संवेदनशील

सरयू तट पर प्रदूषण-मुक्त दीपोत्सव, लाखों दीये और सौर ऊर्जा आधारित लेज़र शो

NathBux Singh
Published on: 18 Oct 2025 7:16 PM IST
Ayodhya Deepotsav 2025_ Eco-Friendly Fireworks and Green
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Ayodhya Deepotsav 2025_ Eco-Friendly Fireworks and Green Celebration (image from Social Media).jpg

Ayodhya Deepotsav: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में अयोध्या दीपोत्सव 2025 इस बार केवल आस्था और भव्यता का नहीं, बल्कि पर्यावरण-संवेदनशील नवाचार का भी प्रतीक बनने जा रहा है। सरयू तट पर जब असंख्य दीपक जलेंगे और आकाश में आतिशबाज़ी का दिव्य दृश्य खिलेगा, तब हवा में धुआँ नहीं हरियाली की चमक और स्वच्छ प्रकाश फैलेगा। इस बार का दीपोत्सव पूरी तरह ग्रीन पटाखों और प्रदूषण-मुक्त तकनीकों पर आधारित होगा, जिससे अयोध्या में रोशनी का यह महासमागम प्रकृति के प्रति जिम्मेदारी का भी संदेश देगा।

दीपोत्सव 2025 का सबसे बड़ा आकर्षण होगा आकाशीय ग्रीन सूर्य एक ऐसा आतिशबाज़ी प्रदर्शन जिसमें न तो जहरीला धुआँ होगा, न कानों को चुभने वाला शोर। यह सूर्य पर्यावरण अनुकूल रासायनिक संयोजन से तैयार की गई ग्रीन आतिशबाज़ियों से निर्मित होगा, जो आकाश में सुनहरी और हरी रोशनी के संगम से एक दिव्य दृश्य रचेगा। हर रंग की लहर सरयू के ऊपर ऐसे बहेगी, जैसे जलती हुई आस्था हर दिशा में प्रकाश फैला रही हो। इस नज़ारे का प्रतिबिंब जब सरयू के शांत जल पर पड़ेगा, तो ऐसा लगेगा मानो प्रकृति स्वयं श्रीराम के स्वागत में झूम रही हो।

पर्यावरण विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों के सहयोग से इस बार दीपोत्सव की सभी आतिशबाज़ियाँ “ग्रीन टेक्नोलॉजी“ से तैयार की जा रही हैं। इनमें बैरेटियम नाइट्रेट, एल्युमिनियम और स्ट्रोंशियम जैसे रासायनिक तत्वों की जगह पर कम-कार्बन और कम-धुआँ उत्पन्न करने वाले यौगिक उपयोग किए जा रहे हैं। इन आतिशबाज़ियों से न तो वायु में कार्बन का स्तर बढ़ेगा और न ही नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसें फैलेंगी। साथ ही, यह तकनीक ध्वनि प्रदूषण को भी 40 प्रतिशत तक कम करेगी। इस पहल से दीपोत्सव का हर विस्फोट न केवल प्रकाश फैलाएगा बल्कि स्वच्छ पर्यावरण का संदेश भी देगा।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि दीपोत्सव 2025 का हर आयोजन पर्यावरण संतुलन के अनुरूप हो। उन्होंने कहा अयोध्या की रोशनी विश्वभर में शांति, स्वच्छता और आस्था का संदेश फैलाए। यह दीपोत्सव न केवल दीयों का, बल्कि प्रकृति और परंपरा के संगम का प्रतीक बने।उनके इस संकल्प के अनुरूप, जिला प्रशासन, अवध विश्वविद्यालय और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने संयुक्त रूप से सुनिश्चित किया है कि आयोजन स्थल से लेकर सरयू घाट तक शून्य-कार्बन उत्सर्जन ज़ोन तैयार किया जाए।

इस बार दीपोत्सव के मंच पर जो आतिशबाज़ी और लेज़र शो होगा, वह भी सौर ऊर्जा और डिजिटल सिंकिंग सिस्टम से संचालित किया जाएगा। प्रकाश, ध्वनि और संगीत की हर लहर सौर ऊर्जा से संचारित होगी जहाँ भक्ति की धुनें, विज्ञान की तकनीक और प्रकृति की हरियाली एक साथ थिरकेंगी। यह होगा दीपोत्सव का नया अध्याय जहाँ “अग्नि“ का अर्थ विनाश नहीं, बल्कि सृजन होगा। जहाँ “प्रकाश“ का अर्थ धुएँ की नहीं, स्वच्छता की चमक होगी।

दीपोत्सव 2025 में जलने वाले लाखों दीये भी मिट्टी और गोबर मिश्रण से तैयार किए जा रहे हैं। ये बायोडिग्रेडेबल दीये जलने के बाद मिट्टी में घुलकर पर्यावरण को पोषण देंगे। साथ ही, इनके तेल के लिए स्थानीय स्तर पर तैयार किया गया और सरसों का तेल उपयोग में लाया जाएगा। इससे अयोध्या की स्थानीय कुम्हार और ग्रामीण महिलाएँ भी आर्थिक रूप से सशक्त होंगी। एक्सिस कम्युनिकेशंस के वाइस प्रेसिडेंट संजय प्रताप सिंह का कहना है। दीपोत्सव का यह रूप वास्तव में ‘नए भारत की नई अयोध्या’ का प्रतीक है। यहाँ हर रोशनी में श्रद्धा है, हर आतिशबाज़ी में विज्ञान है, और हर दीप में पर्यावरण की चेतना हैं। यह आयोजन आने वाली पीढ़ियों को यह सिखाएगा कि भव्यता और स्वच्छता एक साथ संभव हैं।

जब सरयू के ऊपर पहला “ग्रीन सूर्य” खिलेगा और उसका प्रतिबिंब घाटों पर गूँजेगा, तो विश्व एक नई अयोध्या देखेगा जहाँ प्रकाश प्रदूषण रहित होगा, उत्सव प्रकृति संग होगा और हर हृदय में राम का नाम गूँजेगा। सरयू पुल के ऊपर तीन हाइड्रा तैनात की जाएंगी, जिनके माध्यम से 65 फीट ऊंचाई पर प्लेटफॉर्म बनाया जाएगा। यहां से भी आतिशबाजी होगी। इनमें चकरी, रिवर्स फायरिंग, एरियल, रॉकेट, विसिल क्रैकर तिरंगा और इंद्रधनुष के विभिन्न रूपों का श्रद्धालु आनंद लेंगे।

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