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Baghpat News: बागपत के लच्छीराम का सफर बना मिसाल, आज पेंशन 55 हज़ार
Baghpat News: लच्छीराम का मानना है कि देशभक्ति वर्दी से नहीं, भावना से होती है, और वह भावना आज भी उनके भीतर जीवित है।
पूर्व सैनिक लच्छीराम का जीवन सफर, आज पेंशन मिलती है 55 हज़ार (Photo- Newstrack)
Baghpat News: देश सेवा का जुनून और अनुशासन की मिसाल पेश करने वाले बागपत जिले के ढिकौली गांव निवासी पूर्व सैनिक लच्छीराम का जीवन आज के युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत है। वर्ष 1953 में सेना में भर्ती हुए लच्छीराम ने करीब 24 साल तक देश की सेवा की और वर्ष 1977 में सेवानिवृत्त हुए।
सेवा के दौरान उन्हें मात्र 35 रुपये प्रतिमाह वेतन मिलता था। लेकिन समय के साथ उनके समर्पण और सेवा का सम्मान करते हुए आज उन्हें 55 हजार रुपये मासिक पेंशन मिलती है। यह सिर्फ आर्थिक मदद नहीं, बल्कि देश के प्रति उनके योगदान की मान्यता है।
लच्छीराम ने अपने सैन्य जीवन में 1962, 1965 और 1971 की युद्ध स्थितियों का सामना किया। सीमाओं पर तैनात रहते हुए उन्होंने देश की सुरक्षा में कोई कसर नहीं छोड़ी। उनकी निष्ठा और त्याग को देखकर गांव के लोग आज भी उनका आदर करते हैं।
देशभक्ति वर्दी से नहीं, भावना से होती है- लच्छीराम
सेवानिवृत्ति के बाद वे अपने परिवार के साथ शांत जीवन व्यतीत कर रहे हैं। अब वे न केवल एक पूर्व सैनिक हैं, बल्कि गांव के बुजुर्गों में एक सम्मानित नाम हैं। लच्छीराम का मानना है कि देशभक्ति वर्दी से नहीं, भावना से होती है — और वह भावना आज भी उनके भीतर जीवित है। बागपत जैसे छोटे ज़िले से आने वाले इस वीर सैनिक की कहानी उन हजारों सैनिकों का प्रतीक है, जो निस्वार्थ भाव से देश की सेवा में जीवन समर्पित करते हैं।
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