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Banda News: माननीयों की रार के बीच शासन-प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल, कुलांचे भर रही जांचों की असलियत जानने की उत्सुकता

Banda News: जिला पंचायत की तहबाजारी ठेके को लेकर वित्तीय वर्ष की शुरुआत से ही उठ रहे सवालों ने इधर शासन-प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए हैं। जांच दर जांच होने का शोर है।

Om Tiwari
Published on: 19 May 2025 12:44 PM
Banda News: माननीयों की रार के बीच शासन-प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल, कुलांचे भर रही जांचों की असलियत जानने की उत्सुकता
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माननीयों की रार के बीच शासन-प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल  (photo: social media )

Banda News: कमिश्नरखोरी को लेकर पिछले दिनों आमने-सामने हुए करिश्माई माननीय और प्रथम नागरिक अभी भी एक-दूसरे को निपटाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। कहते हैं, करिश्माई माननीय को अपने छल, कपट और शासन में मजबूत पकड़ के साथ ही प्रशासन में अपनी हनक पर इस कदर भरोसा है कि उनके हरकारानुमा पत्रकार मई माह गुजरने से पहले प्रथम नागरिक का प्रशासनिक और राजनैतिक काम-तमाम होने के सिलसिलेवार ऐलान में आमादा हैं। दूसरी ओर, प्रथम नागरिक सत्ता और संगठन में अपने संपर्कों के भरोसे दो-दो हाथ करने के मूड में कतई नरम नजर आते। इस सबके बीच जिला पंचायत की तहबाजारी ठेके को लेकर वित्तीय वर्ष की शुरुआत से ही उठ रहे सवालों ने इधर शासन-प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए हैं। जांच दर जांच होने का शोर है। लेकिन, निष्कर्ष नदारद है। इसी तहबाजारी ठेके की आड़ में करोड़ों के कमीशन को माननीयों की रार का असल कारण बताया जाता है।

प्रथम नागरिक के 'यस मैन' बनने से इंकार कर करिश्माई माननीय को धीरे से दिया था जोर का झटका

दरअसल करिश्माई माननीय कथित मोटे कमीशन का पंचवर्षीय चस्का पाए हैं। मौजूदा प्रथम नागरिक से पहले वह खुद अप्रत्यक्ष रूप से यह ओहदा संभाले रहे हैं। इस दौरान ठेकों में सौदेबाजी ने खूब चर्चा बटोरी। करिश्माई माननीय के सगे भी ठगे से दिखे। भाजपा की खासी किरकिरी भी हुई। लेकिन जिला भाजपा में किसी की क्या मजाल कि करिश्माई माननीय से सवाल भी कर सके। माननीय के 'मनी पावर' के आगे सभी दंडवत हैं। अनेक दिग्गज भाजपाई तो मिल बांटकर खाने की नीयत से करिश्माई माननीय के बगलगीर बने हैं। इन बगलगीरों में मौजूदा प्रथम नागरिक भी शुमार रहे हैं। लेकिन पिछले दिनों प्रथम नागरिक ने खुद को पृथक करने का प्रयास क्या किया, करिश्माई माननीय की त्यौरियां चढ़ गईं। प्रथम नागरिक को सबक सिखाने के लिए करिश्माई माननीय ने सड़क से सदन तक जैसे हथकंडे अपनाए, वो सब सार्वजनिक हो चुके हैं। प्रथम नागरिक भी दूध के धोए नहीं रहे। दोनों ओर से बेशर्मी और मर्यादा की सारी हदें लांघी गईं।

सार्वजनिक थू-थू कराने के बाद शासन-प्रशासन स्तर शुरू हुई दोनों की मुठभेड़ कमोवेश अभी भी जारी

सार्वजनिक थू-थू कराने के बाद दोनों माननीयों ने शासन-प्रशासन स्तर पर जो मुठभेड़ शुरू की, वह कमोवेश अभी तक जारी है। पहले बांदा कमिश्नर ने बोर्ड बैठक की वैधता को लेकर जांच कराई। सीडीओ और एएमए ने विरोधाभासी रिपोर्टें पेश की। कमिश्नर ने बैठक एक तरह से अमान्य करार दिया तो करिश्माई माननीय और उनके गुर्गों की बाछें खिल गईं। पत्रकारीय चोला ओढ़े हरकारों से अपनी पीठ थपथपवाते हुए करिश्माई माननीय ने इसे अपनी जीत प्रचारित कराया। लेकिन कुछ ही अरसा बाद शासन स्तर पर बोर्ड बैठक को मान्य बताए जाने से प्रथम नागरिक ने मानो नहले पर दहला जड़ा। करिश्माई माननीय खेमा बगलें झांकने लगा। हरकारे भी चेहरे छिपाते नजर आए।

एडीएम और डीएम स्तरीय जांचों की खबरों में उलटबांसी से उहापोह की स्थिति, अवैध वसूली पर रहस्यमय चुप्पी

तहबाजारी ठेका न होने और अवैध वसूली लगातार जारी होने को लेकर वित्तीय वर्ष की शुरुआत से उठे सवालों ने इधर शासन-प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए हैं। मामले को लेकर जांच दर जांच होने का शोर मचा है। कमिश्नरी और कलेक्ट्रेट गलियारों से लेकर राजनैतिक चौपालों तक इस शोर के निहितार्थ भी निकाले जा रहे हैं। खबरों के मुताबिक, एडीएम की जांच में अवैध वसूली की बात सही पाई गई। प्रथम नागरिक पक्ष को मजबूती के संकेत मिले। उनके समर्थक फूलकर कुप्पा हो गए। लेकिन चंद दिन बाद इस खबर से सभी की हवा निकलने लगी कि डीएम स्तर की जांच में प्रथम नागरिक पर शिकंजा कसने की तैयारी है। दो सदस्यों का डीएम को हलफनामा देकर प्रथम नागरिक पर उनके फर्जी हस्ताक्षर के आरोप को भी इसी से जोड़ कर देखा गया और इस बिना पर करिश्माई माननीय के पत्रकार नुमा हरकारे प्रथम नागरिक को निपटा देने का ऐलान पर ऐलान ठोके जा रहे हैं। बाकायदा मई माह को अवधि मुकर्रर कर दिया गया है। करिश्माई माननीय विदूषक मुस्कान के साथ अपने कर, बल, छल पर इतरा रहे हैं। प्रथम नागरिक ने इस सबसे बेफिक्र दिखने की कोशिश में खुद को सोशल मीडिया सुख तक केंद्रित कर लिया है। लेकिन सवाल है कि लीडिंग अखबारों का हिस्सा बनीं जांचों की असलियत क्या है? तहबाजारी के नाम पर तथाकथित वसूली को लेकर प्रशासनिक शिथिलता की क्या कहानी है? अधिकृत रूप से इस पर कोई कुछ नहीं बोलता।

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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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