Chitrakoot: चित्रकूट का ऐतिहासिक कोठी तालाब बदहाली की कगार पर, करोड़ों खर्च के बाद भी नहीं बदली सूरत

Chitrakoot News: चित्रकूट का ऐतिहासिक मराठा कालीन कोठी तालाब बदहाली की कगार पर है। करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद तालाब की सूरत नहीं बदली।

Sunil Shukla (Chitrakoot)
Published on: 25 Oct 2025 8:41 AM IST
Chitrakoot: चित्रकूट का ऐतिहासिक कोठी तालाब बदहाली की कगार पर, करोड़ों खर्च के बाद भी नहीं बदली सूरत
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Chitrakoot News: मराठा कालीन ऐतिहासिक कोठी तालाब, जो कभी चित्रकूट की शान हुआ करता था, आज अपनी बदहाली के आंसू बहा रहा है। पूरा तालाब गंदगी और खरपतवार से पटा पड़ा है। सौंदर्यीकरण के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद तालाब की सूरत नहीं बदल पाई है, जिससे स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश व्याप्त है।कोतवाली कर्वी के पीछे स्थित कोठी तालाब कभी लोगों के आकर्षण का केंद्र हुआ करता था। वर्तमान समय में तालाब की चारों ओर की दीवारें धराशायी हो चुकी हैं। आसपास के दुकानदार तालाब में ही कूड़ा-कचरा डाल रहे हैं। तालाब का अधिकांश हिस्सा खरपतवार से भर गया है।

तालाब के मध्य स्थित भगवान शंकर का ऐतिहासिक मंदिर अब उपेक्षा का शिकार है। मंदिर तक जाने के लिए कोई रास्ता नहीं बचा है। महाशिवरात्रि के अवसर पर स्थानीय श्रद्धालु लकड़ी का अस्थायी पुल बनाकर पूजा-अर्चना करते हैं, लेकिन शेष वर्ष मंदिर तक कोई नहीं पहुंच पाता।कोठी तालाब के पुरातत्व विभाग द्वारा अधिग्रहण के बाद लोगों को उम्मीद थी कि अब इसका समुचित विकास होगा, किंतु अधिग्रहण के बाद तालाब की स्थिति और बदतर हो गई है। विभाग द्वारा कोई भी संरक्षण कार्य नहीं कराया गया।

जिला प्रशासन ने पूर्व में तालाब के सौंदर्यीकरण के लिए पर्याप्त बजट दिया था, लेकिन कार्यदायी संस्था और संबंधित अधिकारियों ने उस बजट का दुरुपयोग कर दिया। कई वर्षों तक उपेक्षित रहने के बाद जिला प्रशासन ने पुनः तालाब की सुध ली और सौंदर्यीकरण का कार्य पर्यटन विभाग को सौंपा।पर्यटन विभाग, जिस पर पहले से भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं, ने यह कार्य यूपीपीसीएल को सौंप दिया। बीते कुछ महीनों से लगभग 45 लाख रुपये की लागत से सुरक्षा दीवार का निर्माण कार्य चल रहा था।

चौंकाने वाली बात यह रही कि दीवार की नींव ठीक से नहीं डाली गई। ठेकेदार ने विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से पुरानी दीवार के ऊपर ही नई दीवार खड़ी कर दी। मानक के अनुरूप सामग्री का प्रयोग न होने से निर्माणाधीन दीवार भरभराकर तालाब में गिर गई।दीवार गिरने से पूरे प्रकरण में हुए भ्रष्टाचार की पोल खुल गई, लेकिन अब विभाग यह दावा कर रहा है कि दीवार “दरार आने के कारण गिराई गई।” आश्चर्य की बात यह है कि अब तक किसी भी दोषी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। दीवार गिरने के बाद से निर्माण कार्य पूरी तरह ठप पड़ा हुआ है।जब जिला पर्यटन अधिकारी आर.के. रावत से फोन पर संपर्क किया गया, तो उन्होंने कहा, “मैं फोन पर इस विषय में कुछ नहीं बता पाऊंगा। कोठी तालाब का निर्माण कार्य नियमानुसार किया जा रहा है।”

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