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Gonda news: पहाड़ापुर चौकी के दीवान विनय यादव के कथित बयान से भड़का विवाद,आडियो वायरल,निष्पक्ष जांच और कार्रवाई की मांग तेज
Gonda News: गोंडा जनपद के कटरा बाजार स्थानीय थाना क्षेत्र के अन्तर्गत पहाड़ापुर चौकी के दीवान विनय यादव के कथित बयान से विवाद खड़ा हो गया है और निष्पक्ष जांच और कार्रवाई की मांग तेज हो गई है।
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Gonda News: यूपी में गोंडा जनपद के कटरा बाजार स्थानीय थाना क्षेत्र के अन्तर्गत पहाड़ापुर चौकी के दीवान विनय यादव के कथित बयान से विवाद खड़ा हो गया है और निष्पक्ष जांच और कार्रवाई की मांग तेज हो गई है। गोंडा जनपद में स्थित कटरा बाजार थाना क्षेत्र की पहाड़ापुर पुलिस चौकी एक गंभीर विवाद के केंद्र में आ गई है। यहां तैनात दीवान विनय यादव का एक कथित ऑडियो वायरल हो रहा है,जिसमें उन्हें यह कहते सुना जा रहा है कि "भाजपा सरकार में मुल्लों की कितनी सुनी जाती है, पुलिस मजबूर है।" इस कथन ने न केवल स्थानीय समुदाय में आक्रोश की लहर पैदा कर दी है, बल्कि प्रशासनिक निष्पक्षता पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
इस मामले को लेकर गांव के निवासी चांदबाबू पुत्र अख्तर अली ने पुलिस महानिरीक्षक, देवीपाटन मंडल को एक विस्तृत प्रार्थना पत्र भेजा है। उन्होंने आरोप लगाया है कि दीवान विनय यादव गांव के ही एक प्रभावशाली व्यक्ति के इशारे पर उन्हें और उनके परिवार को बार-बार मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहे हैं। पीड़ित का कहना है कि जब वह किसी शिकायत को लेकर चौकी जाते हैं, तो दीवान द्वारा उन्हें अपमानित किया जाता है। साथ ही उनके साथ तानाशाही रवैया अपनाया जाता है,जिससे वे खुद को असहाय महसूस करते हैं। चांदबाबू ने अपने प्रार्थना पत्र में इस बात का भी उल्लेख किया है कि यह रवैया न केवल असंवैधानिक है,बल्कि लोकतांत्रिक व्यवस्था और अल्पसंख्यक अधिकारों के खिलाफ भी है।
प्रार्थना पत्र में दर्ज एक और गंभीर आरोप के अनुसार, 2 मई 2025 को जब दीवान बिनय यादव मस्जिद पर सुरक्षा ड्यूटी में तैनात थे, उसी समय गांव के वांछित अपराधी मेहबूब और उसके साथियों ने चांदबाबू के भाई अन्नू पर जानलेवा हमला किया। चश्मदीदों के अनुसार दीवान खुद मौके पर मौजूद थे और हमलावरों की पहचान भी कर सकते थे। लेकिन इसके बावजूद, प्राथमिकी में गंभीर धाराएं हटाकर केवल मामूली धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया। पीड़ित पक्ष का कहना है कि यह सीधे सीधे पक्षपातपूर्ण कार्रवाई है, जो आरोपी को संरक्षण देने का प्रयास प्रतीत होती है। इससे न्याय की प्रक्रिया पर सवाल उठ रहे हैं और पुलिस की कार्यप्रणाली पर आमजन का विश्वास डगमगाने लगा है।चांदबाबू द्वारा प्रस्तुत किए गए ऑडियो क्लिप में दीवान द्वारा कथित रूप से की गई टिप्पणी "भाजपा सरकार में मुल्लों की कितनी सुनी जाती है" न केवल आपत्तिजनक है, बल्कि यह संविधान द्वारा प्रदत्त धार्मिक समानता के अधिकार का भी सीधा उल्लंघन प्रतीत होता है।
यह बयान प्रशासन की धर्मनिरपेक्ष छवि को आघात पहुंचाता है और कानून व्यवस्था की निष्पक्षता पर संदेह खड़ा करता है। स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने इस बयान की निंदा करते हुए कहा है कि ऐसे अधिकारी पुलिस विभाग को बदनाम कर रहे हैं और सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा दे सकते हैं। इस पूरे घटनाक्रम से नाराज स्थानीय नागरिकों ने प्रशासन से निर्दोषों को न्याय दिलाने, दोषी पुलिसकर्मी पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने, और धार्मिक आधार पर किसी भी प्रकार की भेदभावपूर्ण टिप्पणी पर सख्त कदम उठाने की मांग की है।चांदबाबू ने प्रशासन से यह भी अपील की है कि वायरल ऑडियो की फोरेंसिक जांच कराई जाए और यदि यह प्रमाणित होता है कि उक्त टिप्पणी दीवान ने ही की है, तो उनके विरुद्ध विभागीय जांच के साथ-साथ विधिक कार्रवाई भी सुनिश्चित की जाए। घटना के प्रकाश में आने के बाद भी प्रशासन की ओर से कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है,जिससे लोगों में और भी असंतोष फैल रहा है। यह चुप्पी, खासकर एक संवेदनशील बयान के सामने आने के बाद, सरकार और पुलिस प्रशासन की जवाबदेही पर सवाल खड़े करती है। यह मामला केवल एक विवादित बयान तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें पीड़ित व्यक्ति को न्याय से वंचित किए जाने,धार्मिक भेदभाव, और पुलिस की निष्पक्षता के सिद्धांतों के उल्लंघन जैसे कई गंभीर पहलू जुड़े हैं। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि प्रशासन इस पर कितनी संवेदनशीलता और गंभीरता से कार्रवाई करता है। यदि दोषी पाए जाते हैं,तो सख्त और पारदर्शी कार्रवाई करके ही आम जनता का विश्वास दोबारा स्थापित किया जा सकता है।
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