Gonda News: तराई के जिलों में बेखौफ बाल श्रम, कानून की उड़ रही धज्जियां और प्रशासन मौन

Gonda News: एक दिव्यांग नाबालिग बच्चे से काम करवाए जाने को कैमरे में कैद कर लिया गया।

Radheshyam Mishra
Published on: 1 Sept 2025 4:13 PM IST
Gonda News: तराई के जिलों में बेखौफ बाल श्रम, कानून की उड़ रही धज्जियां और प्रशासन मौन
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तराई के जिलों में बेखौफ बाल श्रम  (photo: social media )

Gonda News: देश के सबसे पिछड़े जिलों में सुमार बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर में बाल श्रम का घोर उलंघन हो रहा है। इन जिलों में घर से लेकर होटल, ईंट भट्टों,माकैनिक की दुकानों समेत जगह जगह बाल श्रमिकों को काम करते देखे जा सकते हैं।आते जाते सरकार के नुमाइंदे और आला अफसर भी सब देखकर मौन रहते हैं, जो प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रहे हैं।

इन्हीं क्रम में देवी पाटन मंडल के गोंडा जनपद अन्तर्गत कर्नलगंज तहसील क्षेत्र के अन्तर्गत पहाड़ापुर बाजार स्थित एक होटल में एक दिव्यांग नाबालिग बच्चे से काम करवाए जाने को कैमरे में कैद कर लिया गया। हाथ-पैर से लाचार यह बच्चा होटल में मजदूरी करता नजर आ रहा है, जो न केवल बाल श्रम कानूनों का घोर उल्लंघन है, बल्कि दिव्यांग कल्याण नियमों की भी खुलेआम अवहेलना दर्शाता है।

लापरवाही या सिस्टम की नाकामी?

क्या यह मजबूरी है, लापरवाही है या सिस्टम की नाकामी? जिम्मेदार क्यों मौन साधे हुए हैं? समाज और प्रशासन से सवाल उठ रहे हैं कि आखिर कब तक मूकदर्शक बने रहेंगे? सूत्रों के अनुसार, यह नाबालिग बच्चा, जो चलने-फिरने में असमर्थ है, होटल में बर्तन साफ करने और अन्य छोटे-मोटे कामों में लगाया जा रहा है। यह बालक नाबालिग बताया जा रहा है,जो बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 के तहत सख्ती से प्रतिबंधित है।

इसके अलावा, दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 के प्रावधानों के अनुसार ऐसी अवस्था वाले व्यक्ति को उचित शिक्षा, स्वास्थ्य और पुनर्वास की सुविधा मिलनी चाहिए, न कि मजदूरी करनी चाहिए। कानूनी रूप से ऐसे अपराध पर होटल संचालक को 1 वर्ष तक की कैद और 20,000 रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। यह मामला इसलिए और गंभीर है क्योंकि गोंडा जिला पहले से ही बाल श्रम के प्रति जागरूकता अभियानों का केंद्र रहा है। पुरानी रिपोर्ट्स के मुताबिक, श्रम विभाग और यूनीसेफ ने 2016 से ही होटलों, ढाबों और कारखानों में बाल श्रम रोकने के लिए नुक्कड़ नाटक और जागरूकता कार्यक्रम चलाए हैं। चाइल्डलाइन 1098 पर शिकायत दर्ज करने की अपील की जाती रही है, लेकिन क्या ये प्रयास कागजों तक सीमित हैं? हाल ही में जिले के इसी पहाड़ापुर स्थित एक होटल से नाबालिग को मुक्त कराने की कार्रवाई हुई है, लेकिन उसके बाद कोई ठोस कार्रवाई नजर नहीं आ रही है। जिससे प्रशासन व जिम्मेदार विभाग की उदासीनता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

होटल संचालक की लालच और सिस्टम की लापरवाही

ऐसे में देखना यह है कि क्या स्थानीय पुलिस या श्रम प्रवर्तन अधिकारी इसकी जांच कर त्वरित कार्यवाही करते हैं? या यह फिर से दबा दिया जाने वाला मामला बन जाएगा? बच्चे के परिवार की मजबूरी शायद गरीबी या सामाजिक दबाव समझ में आती है, लेकिन होटल संचालक की लालच और सिस्टम की लापरवाही इसे अपराध बना देती है।

ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर समाज कब जागेगा? क्या हम ऐसे मूकदर्शक बने रहेंगे या चाइल्डलाइन पर कॉल करके या सोशल मीडिया पर आवाज उठाकर इस अन्याय को रोकेंगे? यह बच्चा सिर्फ एक उदाहरण है, देवीपाटन मंडल के जिलों में ग्रामीण इलाकों में ऐसी घटनाएं आम हो सकती हैं। इस पर तत्काल कार्रवाई की मांग की जा रही है।

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पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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