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Gorakhpur News: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने AIIMS गोरखपुर के पहले दीक्षांत समारोह की शोभा बढ़ाई, छात्रों से राष्ट्र सेवा का आह्वान

Gorakhpur News: एम्स गोरखपुर उत्कृष्टता का केंद्र बना, 61 छात्रों को मिली डिग्री; राज्यपाल, मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री भी रहे उपस्थित

Purnima Srivastava
Published on: 30 Jun 2025 8:38 PM IST (Updated on: 30 Jun 2025 8:55 PM IST)
Gorakhpur News
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Gorakhpur News (Social Media image)

Gorakhpur News: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि डॉक्टर का व्यवहार मरीज के मानसिक व शारीरिक स्थिति पर गहरा प्रभाव डालता है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि आपने इसे करियर के रूप में चुना, क्योंकि आपके मन और परिवार में सेवाभावना है। एक संवेदनशील डॉक्टर न केवल दवा, बल्कि अपने व्यवहार से भी मरीज को जल्द ठीक करने में मदद करता है। सहानुभूतिपूर्ण देखभाल से मरीज की हालत में तेजी से सुधार होता है। डॉक्टर के धैर्य व समर्पण की भावना समाज में आदर्श प्रस्तुत करती है, जिससे अन्य लोग भी प्रेरित होते हैं। चिकित्सा एक प्रोफेशन नहीं, बल्कि सेवा है।

एम्स गोरखपुर के लिए एक ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण दिन के रूप में, संस्थान ने अपना पहला दीक्षांत समारोह सफलतापूर्वक आयोजित किया। इस समारोह की मुख्य अतिथि भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू थीं। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल और गोरखपुर के सांसद रवि किशन भी उपस्थित रहे।

डॉक्टरों के जगने से बचती हैं कई जिंदगियां

राष्ट्रपति ने कहा कि कभी रात में थके हारे सोए हैं, लेकिन आधी रात में किसी ने फोन किया तो आपको जगना पड़ता है। आपके जगने से कई जिंदगी बचती है। खाने का एक निवाला अंदर गया, तभी टेलीफोन आ गया, लेकिन आप खाना खाकर रेस्ट करके भी नहीं जा सकते हैं। यह इमरजेंसी सर्विस है, इसलिए लोग डॉक्टरों को भगवान मानते हैं। हम भगवान को देखे नहीं, लेकिन जिसके कदमों के पास अपने मरीजों को भेजते हैं, वे चलते-फिरते भगवान होते हैं, उनसे कहते हैं कि डॉक्टर साहब इसे बचाओ। उनके पास आर्थिक व्यवस्था है कि नहीं, बिन यह सोचे आपको जिंदगी बचानी पड़ेगी, क्योंकि यही मानवता है।


भारत की चिकित्सा क्षमता का प्रतीक है एम्स

राष्ट्रपति ने कहा कि यह केवल आयोजन नहीं, बल्कि शिक्षा- सेवा व समर्पण के मूल्यों के प्रति निष्ठा व्यक्त करने का महत्वपूर्ण अवसर है। एम्स का नाम सुनते ही मन में विश्वस्तरीय इलाज, उत्कृष्ट चिकित्सा सुविधा, आधुनिक टेक्निक व समर्पित डॉक्टर की छवि आंखों के सामने उभरती है। यह संस्थान भारत की चिकित्सा क्षमता का प्रतीक है। यहां हर मरीज को उम्मीद की नई किरण दिखाई देती है।

एम्स ने नवाचार को बनाया कार्यशैली का हिस्सा

राष्ट्रपति ने कहा कि एम्स ने भारत में चिकित्सा शिक्षा, अनुसंधान और उपचार के क्षेत्र में उच्चतम मानक स्थापित किए हैं। चाहे सर्जरी की नई टेक्निक हो, अर्ली डायग्नोस्टिक के उपकरण हों या आयुष-एलोपैथी के समन्वय से बीमारियों का इलाज, एम्स ने नवाचार को अपनी कार्यशैली का हिस्सा बनाया है। देश का पहला एम्स स्थापित करने का जो उद्देश्य था, उसे पूरा करने में सभी एम्स संस्थान सफल रहे। एम्स सेवा, गुणवत्ता व नवाचार के केंद्र बन गए हैं। एम्स गोरखपुर इस परंपरा को सफलतापूर्वक आगे बढ़ा रहा है। इस संस्थान ने बहुत कम समय में शिक्षा, अनुसंधान और चिकित्सा सेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। यह संस्थान सुलभ व सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करा रहा है।

पूर्वी उप्र, सीमावर्ती बिहार व नेपाल के लिए उत्कृष्ट चिकित्सा सेवा केंद्र

राष्ट्रपति ने कहा कि कोई गरीब हो, ग्रामीण या शहरी नागरिक, इस संस्थान में समान गुणवत्ता का इलाज उपलब्ध है। पूर्वी उप्र, सीमावर्ती बिहार व नेपाल के लोगों के लिए उत्कृष्ट चिकित्सा सेवा के केंद्र के रूप में एम्स गोरखपुर प्रसिद्ध हो रहा है। उन्होंने डॉक्टरों से कहा कि चिकित्सा लोगों की सेवा के साथ ही देश सेवा का माध्यम भी है। डॉक्टरों का समाज व देश के विकास में अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान होता है। डॉक्टर केवल रोग का इलाज नहीं करते, बल्कि स्वस्थ समाज की नींव भी रखते हैं।

एम्स द्वारा लोगों को मिल रहीं उच्च गुणवत्ता की स्वास्थ्य सेवाएं

उन्होंने कहा कि जब देश के नागरिक स्वस्थ होते हैं तो उनके कार्य करने की क्षमता भी बढ़ती है और वे राष्ट्र की उन्नति में भागीदार बन सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि डॉक्टरों की सेवाएं गांवों व दूरदराज के क्षेत्रों में भी उपलब्ध हो। गोरखपुर व देश के अन्य स्थानों पर एम्स की स्थापना इस उद्देश्य से ही की गई है कि देश के हर कोने में उत्कृष्ट चिकित्सा शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाएं सुलभ हों। आज पूरे देश में अनेक एम्स कार्यरत हैं, जिनके द्वारा स्थानीय लोगों को उच्च गुणवत्ता की स्वास्थ्य सेवाएं मिल रही हैं। स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में रोजगार और शिक्षा के अवसर भी बढ़े हैं।

कई देशों की तुलना में भारत में कम है इलाज का खर्च

राष्ट्रपति ने कहा कि विदेशों से भी मरीज भारत में इलाज के लिए आते हैं, क्योंकि यहां इलाज न केवल सुलभ, बल्कि गुणवत्तापूर्ण भी है। भारत में इलाज का खर्च कई देशों की तुलना में बहुत कम है। यह भारत के लिए गौरव की बात है। मेडिकल टूरिज्म को बढ़ावा देने में एम्स जैसे संस्थाओं की निर्णायक भूमिका रही है। एम्स की पारदर्शिता, नैतिकता और अनुसंधान आधारित इलाज प्रणाली वैश्विक मंच पर इसे प्रतिष्ठित संस्थान बना रहे हैं। विश्वास है कि गोरखपुर समेत सभी एम्स भारत को वैश्विक चिकित्सा केंद्रों के रूप में स्थापित करने में अग्रणी भूमिका निभाएंगे।

डॉक्टरों को इम्पैथी के महत्व को समझना आवश्यक है

राष्ट्रपति ने कहा कि डॉक्टरों को अनेक चुनौतियों का सामना भी करना पड़ता है, लेकिन इम्पैथी के महत्व को समझना आवश्यक है। मेडिकल एजुकेशन से जुड़े हितधारकों से अपील करूंगी कि भावी डॉक्टरों को शुरूआत से ऐसा ईकोसिस्टम प्रदान किया जाए, जिसमें वे अपने कौशल के साथ-साथ डॉक्टर-पेशेंट कम्युनिकेशन, रोल ऑफ इम्पैथी इन हिलिंग और ट्रस्ट बिल्डिंग जैसे विषयों के बारे में भी जानें।


मरीजों की मुस्कान की तुलना कभी अर्थ से नहीं की जा सकती

राष्ट्रपति ने कहा कि आप डॉक्टर बने हैं, आपको कई परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। डॉक्टर बनने के बाद आप कितने धनवान हुए, कितना सामाजिक सम्मान मिला, लेकिन मरीजों व उनके परिवार के चेहरे पर जो मुस्कान मिलेगी, उसकी तुलना किसी अर्थ से नहीं की जा सकती। राष्ट्रपति ने कहा कि डॉक्टर कभी सेवानिवृत्त नहीं होते। आपको यह सेवा जिंदगी भर करनी है। स्वास्थ्य रूपी संपदा लोगों को देते जाइए, आपको सुकून मिलेगा। आपके चेहरे पर खुशी मिलेगी। आपका नाम सदा गूंजता रहेगा। करियर व जीवन में हमेशा याद रखें कि चिकित्सा मानव की सेवा है। जहां भी कार्य करें, करुणा व ईमानदारी को चिकित्सा का हिस्सा बनाएं।

राष्ट्रपति ने टेक्नोलॉजी पर की चर्चा

राष्ट्रपति ने कहा कि टेक्नोलॉजी इन मेडिसिन के बारे में सभी जानते हैं। टेली मेडिसिन, एआई इन डायग्नोस्टिक, रोबोटिक सर्जरी, वेरिएबुल हेल्थ टेक जैसे तकनीक चिकित्सा सेवा को बेहतर बना रहे हैं। एम्स के द्वारा रोबोट असिस्टेट सर्जरी, एआई बेस्ड कैंसर डिटेक्शन का उपयोग किया जा रहा है, जो चिकित्सा नवाचार के लिए भारत की तत्परता को दर्शाता है। एआई डिवेन हेल्थ केयर में एथिक्स डेटा प्राइवेसी और ह्यूमन टच बनाए रखने पर भी विचार करना आवश्यक है।

आपकी सफलता में माता-पिता व शिक्षकों की भूमिका

राष्ट्रपति ने विद्यार्थियों से कहा कि आप जिस मुकाम पर पहुंचे हैं, वह आपकी मेहनत व दृढ़संकल्प का परिणाम है, लेकिन इस सफलता में माता-पिता व शिक्षकों की भी भूमिका है। आप अपने ज्ञान का उपयोग केवल करियर में आगे बढ़ने के लिए न करें, बल्कि समाज के उन वर्गों के लिए भी कार्य करें, जिन्हें चिकित्सा सेवाओं की सर्वाधिक आवश्यकता है। उन्होंने कई ग्रामीण व आदिवासी क्षेत्रों में वंचित समुदायों के लिए उच्च स्तर की स्वास्थ्य सेवाओं का भी जिक्र किया।

अपने कार्य से रोशन करेंगे नाम

राष्ट्रपति ने सीएम से हुई चर्चा का भी जिक्र किया। उन्होंने 1-15 साल के गरीब बच्चों की चर्चा करते हुए कहा कि यहां कभी के उनके पास रहने, खाने, स्वच्छता की व्यवस्था नहीं थी। उन्हें एक बीमारी हो रही थी, लेकिन अब वह बीमारी समाप्त हो गई। राष्ट्रपति ने कहा कि विश्वास है कि आप ऐसे क्षेत्रों व लोगों के लिए अच्छी स्वास्थ्य दिशा के क्षेत्र में कार्य करेंगे और अपने कार्य से एम्स गोरखपुर व देश का नाम रोशन करेंगे।


राज्यपाल, मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री ने भी साझा किए विचार

इस अवसर पर बोलते हुए आनंदीबेन पटेल ने संस्थान की नींव के भावनात्मक और राष्ट्रीय महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "यह संस्थान किसानों की भूमि पर बना है, जिन्होंने राष्ट्र के बड़े हित के लिए अपनी भूमि का बलिदान दिया।" उन्होंने छात्रों से अपने कौशल और ज्ञान का उपयोग स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में सुधार लाने और लोगों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डालने के लिए सहानुभूति, ईमानदारी और सेवा के मूल्यों को अपनाने का आग्रह किया।

योगी आदित्यनाथ ने इस अवसर को क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक क्षण बताया। उन्होंने कहा, "यह पूरे पूर्वांचल क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है कि एम्स गोरखपुर का पहला बैच आज स्नातक हो रहा है।" उन्होंने क्षेत्र के परिवर्तन पर भी प्रकाश डाला, यह कहते हुए कि "कभी जापानी एन्सेफलाइटिस जैसी बीमारियों के प्रति अपनी संवेदनशीलता के लिए जाना जाने वाला यह क्षेत्र आज जौनपुर, सिद्धार्थनगर और अन्य जिलों में कई मेडिकल कॉलेजों और तृतीयक देखभाल संस्थानों का घर है।"

अनुप्रिया पटेल ने एम्स गोरखपुर की तीव्र वृद्धि और प्रभाव पर जोर दिया। उन्होंने कहा, "यह गर्व का क्षण है कि छह वर्षों की अवधि के भीतर, एम्स गोरखपुर क्षेत्र के लोगों को तृतीयक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रहा है और साथ ही उच्च चिकित्सा शिक्षा भी प्रदान कर रहा है।" देश भर में एम्स संस्थानों के विस्तार पर ध्यान देते हुए उन्होंने कहा, "केंद्र सरकार ने 2014 से एम्स संस्थानों की संख्या 7 से बढ़ाकर 23 कर दी है।" राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति के तहत स्वास्थ्य सेवा के समग्र दृष्टिकोण को मजबूत करते हुए उन्होंने कहा, "स्वास्थ्य सेवा अब केवल बीमारियों के इलाज तक सीमित नहीं है। यह अब व्यापक और एकीकृत स्वास्थ्य - यानी निवारक, प्रोत्साहक, उपचारात्मक, प्रशामक और पुनर्वास देखभाल - में विकसित हो गया है, ये सभी अब हमारी नई राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति के तहत स्वास्थ्य सेवा की परिभाषा में शामिल हैं।"

दीक्षांत समारोह में सम्मान और उपलब्धि

दीक्षांत समारोह के दौरान, राष्ट्रपति ने 08 उत्कृष्ट स्नातकों को स्वर्ण पदक प्रदान किए, जिनमें 06 एमबीबीएस छात्र, 01 एमएससी नर्सिंग और 01 एमएससी मेडिकल छात्र शामिल थे। इस समारोह में पहले बैच के कुल 61 छात्रों ने अपनी डिग्री प्राप्त की, जिनमें 48 एमबीबीएस छात्र, 8 एमएससी मेडिकल छात्र और 5 एमएससी नर्सिंग छात्र शामिल थे।

एम्स गोरखपुर का पहला दीक्षांत समारोह स्मारिका भी माननीय राज्यपाल द्वारा जारी की गई, जिसकी पहली प्रति राष्ट्रपति को भेंट की जाएगी।

यह पहला दीक्षांत समारोह एम्स गोरखपुर के लिए एक मील का पत्थर है, जो इसे राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित संस्थान और चिकित्सा शिक्षा व सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक मार्गदर्शक शक्ति के रूप में स्थापित करता है।

इस अवसर पर एम्स गोरखपुर के अध्यक्ष श्री देश दीपक वर्मा, कार्यकारी निदेशक मेजर जनरल डॉ. विभा दत्ता (एसएम), साथ ही संकाय सदस्य और छात्र भी उपस्थित थे।

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