Gorakhpur News: गोरखपुर: कैसे वजूद में आया एम्स? राष्ट्रपति मुर्मू पहले दीक्षांत समारोह में होंगी मुख्य अतिथि

Gorakhpur News: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शिलान्यास और लोकार्पण किए गए एम्स गोरखपुर, सोमवार 30 जून को अपना पहला दीक्षांत समारोह मनाने जा रहा है, जिसमें देश की प्रथम नागरिक महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगी।

Purnima Srivastava
Published on: 29 Jun 2025 10:18 PM IST
Gorakhpur: How did AIIMS come into existence? President Murmu to be Chief Guest at First Convocation Ceremony
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गोरखपुर: कैसे वजूद में आया एम्स? राष्ट्रपति मुर्मू पहले दीक्षांत समारोह में होंगी मुख्य अतिथि (Photo- Social Media)

Gorakhpur News: गोरखपुर, उत्तर प्रदेश: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) गोरखपुर आज पूर्वी उत्तर प्रदेश सहित सीमावर्ती बिहार और नेपाल तक के लोगों के लिए चिकित्सा सेवा का एक 'ड्रीम डेस्टिनेशन' बन चुका है। एम्स गोरखपुर की स्थापना सांसद के रूप में वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में हुए एक बड़े जनांदोलन का ही प्रतिफल है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शिलान्यास और लोकार्पण किए गए एम्स गोरखपुर, सोमवार 30 जून को अपना पहला दीक्षांत समारोह मनाने जा रहा है, जिसमें देश की प्रथम नागरिक महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगी। राष्ट्रपति एम्स गोरखपुर के पहले बैच के मेधावियों को पदक प्रदान कर अपना मार्गदर्शक वक्तव्य देंगी।

गोरखपुर में एम्स लाने और पूर्वी उत्तर प्रदेश को मेडिकल हब बनाने का श्रेय निस्संदेह योगी आदित्यनाथ को जाता है। गोरखपुर में एम्स की स्थापना की मांग करीब डेढ़ दशक तक चली। इसे लेकर वर्ष 2004 से तब के सांसद योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में लंबा जनांदोलन चला था। योगी ने सड़क से लेकर सदन तक पूर्वी उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य सुविधाओं की मजबूती के लिए हमेशा आवाज बुलंद की। एम्स को लेकर उनकी मुखरता ही थी कि वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी जब प्रधानमंत्री बने, तो उनके माध्यम से पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोगों की यह बहुप्रतीक्षित मांग पूरी कर ली गई। प्रक्रियात्मक औपचारिकताओं के बाद, 22 जुलाई 2016 को प्रधानमंत्री मोदी ने प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत इसका शिलान्यास किया था।

इस बीच, मार्च 2017 में जब योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने, तो एम्स के निर्माण की सारी बाधाएं एक झटके में दूर हो गईं। इन बाधाओं के दूर होने का ही परिणाम रहा कि लोकार्पण से पहले ही 24 फरवरी 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा एम्स की ओपीडी का शुभारंभ कर दिया गया था। निर्माण पूरा होने के बाद, पीएम मोदी ने ही 7 दिसंबर 2021 को इसका विधिवत लोकार्पण कर पूर्वी उत्तर प्रदेश में चिकित्सा सेवा की शुरुआत का एक नया अध्याय लिखा था। इन चार सालों में एम्स गोरखपुर की ख्याति पूर्वी उत्तर प्रदेश, सीमावर्ती बिहार और नेपाल की करीब पांच करोड़ आबादी के लिए संजीवनी सी बन रही है।

सीएम योगी ने बनाया पूर्वी यूपी को मेडिकल हब:

आठ साल पहले तक पूर्वी उत्तर प्रदेश पिछड़ेपन और 'बीमारू' की पहचान से जूझ रहा था। तब गोरखपुर-बस्ती मंडल के लोगों के इलाज के लिए उम्मीद की एकमात्र किरण बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर था, जो खुद इतनी बड़ी आबादी का बोझ संभालते-संभालते बीमार हो चला था। लेकिन अब ये बातें अतीत के पन्नों में सिमट गई हैं। योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद वर्ष 2017 से चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में इस अंचल में आया परिवर्तन कभी-कभी अकल्पनीय सा लगता है।

इन दो मंडलों में अब पांच राजकीय (गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर, बस्ती, सिद्धार्थनगर) और एक पीपीपी मॉडल (महराजगंज) तथा एक निजी (महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय में) मेडिकल कॉलेज सहित कुल सात मेडिकल कॉलेज जनता की सेवा में हैं। सबसे बड़ी बात कि विश्व स्तरीय व विशेषज्ञ चिकित्सा सुविधा वाले एम्स की सौगात के साथ पूरब में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं का नया सूर्योदय हुआ है। सीएम योगी आदित्यनाथ के विजन ने पूर्वी उत्तर प्रदेश को वास्तव में एक मेडिकल हब बना दिया है।

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