Kanpur News: आईआईटी कानपुर में नवाचार की पाठशाला: जब शिक्षाविद, उद्यमी और विचारशील नेता आए एक मंच पर"

Kanpur News: एसपीएआरसी योजना के तहत आईआईटी कानपुर में "नवाचार, उद्यमिता और मूल्यांकन" विषय पर आयोजित पांच दिवसीय अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम ने शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और सामाजिक उद्यमियों को एक साझा मंच प्रदान किया।

Avanish Kumar
Published on: 20 May 2025 2:08 PM IST
Kanpur News: आईआईटी कानपुर में नवाचार की पाठशाला: जब शिक्षाविद, उद्यमी और विचारशील नेता आए एक मंच पर
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Kanpur News: शिक्षा मंत्रालय की एसपीएआरसी योजना के तहत आईआईटी कानपुर में "नवाचार, उद्यमिता और मूल्यांकन" विषय पर आयोजित पांच दिवसीय अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम ने शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और सामाजिक उद्यमियों को एक साझा मंच प्रदान किया। कार्यक्रम का उद्देश्य भारत और विदेश के शैक्षणिक संस्थानों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना और प्रतिभागियों को नवाचार तथा उद्यमशीलता की वास्तविक समझ प्रदान करना रहा।

कार्यशाला में ओटावा विश्वविद्यालय के डॉ. शांतनु दत्ता और डॉ. मार्क फ्रील सहित भारत के आईआईटी, आईआईएम और सामाजिक क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। आईआईटी कानपुर के डॉ. बी. वी. फणी और आईआईएम जम्मू के डॉ. रामस्वरूप भास्कर की मेजबानी में कार्यक्रम ने कई महत्वपूर्ण विषयों पर प्रकाश डाला।

डॉ. शांतनु दत्ता के वित्तीय प्रबंधन पर केंद्रित सत्र विशेष रूप से सराहे गए, जिनमें मूल्यांकन मॉडल, नकदी प्रवाह विश्लेषण और वित्तीय योजना जैसे व्यावहारिक पहलुओं पर प्रतिभागियों को प्रशिक्षित किया गया।कार्यक्रम में सुश्री प्रेमलता पूनिया की प्रेरक उद्यम यात्रा और उनके नवाचारों ने भी प्रतिभागियों को गहराई से प्रभावित किया। उनके अनुभवों ने यह सिद्ध किया कि सामाजिक परिवर्तन के लिए शिक्षा और खेल जैसे माध्यम कितने प्रभावी हो सकते हैं।

वर्कशॉप के दौरान स्पेगेटी-मार्शमैलो टॉवर चैलेंज और वॉलेट डिज़ाइन अभ्यास जैसी गतिविधियों ने सहभागिता को और भी रोचक बना दिया। समापन पैनल चर्चा में वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि वित्तीय कुशलता के साथ-साथ सामाजिक उद्देश्य को भी नवाचार की आधारशिला बनाया जाना चाहिए।आईआईटी कानपुर के डॉ. फणी ने कहा, “उद्यमिता अब केवल व्यापार नहीं, बल्कि एक मिशन है – समाज के लिए, भविष्य के लिए।”कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. भास्कर ने आयोजन को सफल बनाने में सहयोग देने वाले सभी प्रतिभागियों और संगठनों को धन्यवाद दिया। इस कार्यशाला ने न केवल ज्ञानवर्धन किया, बल्कि एक ऐसी सोच को जन्म दिया जो नवाचार को समाज के लिए सार्थक दिशा में उपयोग करने के लिए प्रेरित करती है।

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Shalini singh

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