UP News: कानपुर-उन्नाव का लेदर उद्योग अमेरिकी टैरिफ़ बढ़ने से संकट में, मज़दूरों पर मंडरा रहा खतरा

UP News: कानपुर-उन्नाव का चमड़ा उद्योग 50% अमेरिकी टैरिफ़ से गहरे संकट में

Shaban Malik
Published on: 29 Aug 2025 2:52 PM IST (Updated on: 30 Aug 2025 11:12 AM IST)
UP News: कानपुर-उन्नाव का लेदर उद्योग अमेरिकी टैरिफ़ बढ़ने से संकट में, मज़दूरों पर मंडरा रहा खतरा
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Kanpur Unnao leather industry

Up News : उत्तर प्रदेश के कानपुर-उन्नाव लेदर क्लस्टर में इन दिनों सबसे बड़ी चर्चा अमेरिका द्वारा लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ़ को लेकर है। अब तक इस उद्योग पर 25 प्रतिशत शुल्क लागू था, लेकिन अचानक ड्यूटी दोगुनी हो जाने से यहां के व्यापारी और मजदूर गहरे संकट में हैं। कानपुर-उन्नाव से हर साल अमेरिका को तक़रीबन दो हज़ार करोड़ रुपये का चमड़े का निर्यात होता है। अकेले इस क्लस्टर से भारत-अमेरिका लेदर व्यापार का 20 प्रतिशत हिस्सा आता है। यहां करीब 400 टैनरीज और 500 लेदर गुड्स यूनिट्स हैं, जिनसे सीधे एक लाख और परोक्ष रूप से पांच लाख लोग जुड़े हैं।

काउंसिल फ़ॉर लेदर एक्सपोर्ट्स के मुताबिक़, भारत ने 2022-23 में अमेरिका को 1.17 अरब डॉलर का लेदर निर्यात किया था, जो 2023-24 में घटकर सिर्फ 89 करोड़ डॉलर रह गया। अब बढ़े हुए शुल्क से यह कारोबार और गिरने की आशंका है।स्थानीय उद्यमी फरहा फ़ातिमा कहती हैं हमारी इंडस्ट्री बहुत कम मार्जिन पर चलती है। पहले से 25 प्रतिशत ड्यूटी लागू थी, अब 50 प्रतिशत होने पर फैक्ट्रियां बंद होने का खतरा है।काउंसिल के क्षेत्रीय चेयरमैन असद इराक़ी ने भी चेताया है कि यह शुल्क “बिल्कुल असहनीय” है और इस बिज़नेस को तबाह कर देगा।


सबसे बड़ा असर यहां काम करने वाले मजदूरों पर दिख रहा है। उन्नाव के श्रवण कुमार और उनकी पत्नी लक्ष्मी रोज़ लेदर यूनिट में मशीन चलाते हैं। उनका कहना है कि अगर फैक्ट्री बंद हो गई तो मजदूरी से परिवार नहीं चल पाएगा और बच्चों की पढ़ाई भी रुक जाएगी। इसी तरह सचिन कुमार, जो 2014 से इस उद्योग में हैं, बताते हैं कि टैरिफ़ की वजह से अगर टैनरी बंद हुई तो हम बेरोजगार हो जाएंगे। विशेषज्ञ मानते हैं कि अब भारत को रूस, यूरोप और मध्य एशिया जैसे नए बाज़ारों पर ध्यान देना होगा। पाकिस्तान और बांग्लादेश को अमेरिका में सिर्फ़ 19-20 प्रतिशत शुल्क देना पड़ता है, ऐसे में प्रतिस्पर्धा और भी कठिन हो गई है।


चेन्नई के लेदर सेक्टर स्किल काउंसिल के चेयरमैन मुख्तारुल अमीन के मुताबिक़, यह लेबर इंटेंसिव इंडस्ट्री है, जिससे करीब पांच लाख लोगों का रोज़गार जुड़ा है। उनका कहना है कि ब्रिटेन के साथ हुए फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) से भविष्य में नए अवसर बन सकते हैं। फिलहाल, अमेरिकी टैरिफ़ ने कानपुर-उन्नाव की इस ऐतिहासिक उद्योगिक पहचान को संकट में डाल दिया है, और सबसे ज्यादा मार उन हज़ारों मजदूरों पर पड़ी है जिनकी ज़िंदगी इस कारोबार से चलती है।

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