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रेलवे को लगा 440 वोल्ट का झटका, चांदी के मेडल के नाम पर मिला तांबा, कंपनी और जांच एजेंसी पर FIR दर्ज
भारतीय रेलवे में चांदी के मेडल घोटाला सामने आया, जांच में निकले तांबे के मेडल। कंपनी और जांच एजेंसी के खिलाफ FIR दर्ज।
Lucknow News: भारतीय रेलवे में एक बड़ा घोटाला सामने आया है, जिसने अधिकारियों को चौंका दिया है। रेलवे विभाग ने इंदौर की एक निजी कंपनी से सम्मान समारोहों के लिए चांदी के मेडल मंगवाए थे, लेकिन जांच में पता चला कि वे चांदी के नहीं, बल्कि तांबे के थे। इस बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा होने के बाद रेलवे में हड़कंप मच गया है और अब दोषी कंपनी और एक जानी-मानी जांच एजेंसी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है।
चांदी के नाम पर घटिया माल की सप्लाई
भारतीय रेलवे ने इंदौर की M/s Viable Diamonds नामक कंपनी को 853 गोल्ड प्लेटेड सिल्वर मेडल सप्लाई करने का ऑर्डर दिया था। इनमें से 553 मेडल अप्रैल 2025 में लखनऊ के आलमबाग डिपो में भेजे गए। जब ये मेडल पहली बार आए, तो मुंबई की एक प्रतिष्ठित जांच एजेंसी, TUV India Pvt. Ltd. ने इन्हें जांच कर सही बता दिया। लेकिन, जब रेलवे के उच्च अधिकारियों को इन मेडल्स की क्वालिटी पर शक हुआ, तो उन्होंने लखनऊ की एक स्थानीय लैब से दोबारा जांच कराने का फैसला किया।
लैब टेस्ट में हुआ बड़ा खुलासा
स्थानीय लैब में जब मेडल की गहराई से जांच की गई, तो चौंकाने वाला सच सामने आया। मेडल में चांदी की मात्रा लगभग न के बराबर थी। तय मानक के अनुसार 99.9% चांदी होनी चाहिए थी, लेकिन इन मेडल्स में सिर्फ 0.01% से 0.02% चांदी पाई गई। बाकी पूरा मेडल कॉपर यानी तांबे से बना हुआ था। यह सिर्फ खराब क्वालिटी का मामला नहीं था, बल्कि जानबूझकर की गई धोखाधड़ी थी।
कंपनी और जांच एजेंसी पर लगे गंभीर आरोप
रेलवे के सहायक सामग्री प्रबंधक रामरस मीना ने इस पूरे मामले की शिकायत लखनऊ के आलमबाग पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई है। उन्होंने कंपनी के मालिक विपुल जैन और जांच एजेंसी TUV India Pvt. Ltd. के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज करवाई है। रेलवे ने आरोप लगाया है कि यह केवल एक घटिया सप्लाई नहीं है, बल्कि एक आपराधिक साजिश है। यह शिकायत रेलवे पुलिस (RPF) को भी भेजी गई है और आरोपियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की मांग की गई है।
जांच एजेंसियों की भूमिका पर सवाल
इस पूरे मामले में सबसे बड़ा सवाल जांच एजेंसी TUV India Pvt. Ltd. की भूमिका पर है। यह कैसे संभव है कि एक जानी-मानी और प्रतिष्ठित एजेंसी ने मेडल की ठीक से जांच नहीं की और नकली माल को सही का सर्टिफिकेट दे दिया? क्या इस धोखाधड़ी में जांच एजेंसी भी शामिल थी? यह जांच का विषय है और पुलिस इसकी तह तक जाने की कोशिश कर रही है। यह घटना दर्शाती है कि सरकारी सप्लाई में किस तरह का फर्जीवाड़ा होता है, और यह भी कि भारत में क्वालिटी कंट्रोल को लेकर अभी भी कई समस्याएं हैं।
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