Sonbhadra News: भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा ग्रामीण विकास, भुगतान के बाद ढहे रपटा और चेकडैम

Sonbhadra News: मनरेगा कार्यों में लापरवाही से सोनभद्र में ग्रामीण विकास धराशायी, भ्रष्टाचार के खिलाफ ग्रामीणों ने उठाई कठोर कार्रवाई की मांग।

Mithilesh Dev Pandey
Published on: 18 Oct 2025 2:14 PM IST
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भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा ग्रामीण विकास, भुगतान के बाद ढहे रपटा और चेकडैम (Photo- Newstrack)

Sonbhadra News: सोनभद्र। कोन विकासखंड एक बार फिर सुर्खियों में है लेकिन इस बार भी विकास नहीं, भ्रष्टाचार के कारण! मनरेगा के तहत संचालित ग्रामीण विकास कार्यों की हकीकत देखकर ग्रामीणों का सब्र अब टूट चुका है। करोड़ों की लागत से बने चेकडैम, रपटा और सोखता गड्ढे कुछ ही महीनों में धराशायी हो गए, जिससे सरकारी कार्यप्रणाली और निगरानी व्यवस्था पर सवालों की झड़ी लग गई है।

फरवरी में पूरा हुआ निर्माण और अक्टूबर में हो गया धराशायी

फरवरी माह में बनरमुत्ता नाले पर निर्मित जल अवरोधक (चेकडैम) का निर्माण पूरा हुआ था। सितंबर में भुगतान हुआ और अक्टूबर में यह एक तरफ से ढह गया। ग्रामीणों का कहना है कि “पानी रोकने के बजाय अब यह खुद पानी में बह गया।”

स्थानीय लोगों का आरोप है कि निर्माण में घटिया सामग्री का खुला प्रयोग हुआ और निरीक्षण के नाम पर विभागीय अफसरों ने केवल फोटो खिंचवाकर फाइल बंद कर दी।


कुड़वा में रपटा और सोखता गड्ढा हो गया दोस्त ध्वस्त

कोन क्षेत्र की कुड़वा ग्राम पंचायत में छठ घाट जाने वाले मार्ग पर बना रपटा भी भ्रष्टाचार की बाढ़ में बह गया। भुगतान होने के कुछ ही दिनों में यह एक तरफ से ढह गया। ग्रामीणों का कहना है कि “निर्माण के समय ही दरारें दिख रही थीं, फिर भी भुगतान कर दिया गया।” इसी पंचायत में बने सोखता गड्ढे भी जगह-जगह से ध्वस्त हो चुके हैं — जो यह साफ दिखाते हैं कि मनरेगा में लूट की जड़ें कितनी गहरी हो चुकी हैं। सुनील यादव ने कहा कि ब्लॉक से लेकर ठेकेदार तक सबकी मिलीभगत है। जांच दल केवल औपचारिक दौरे कर खानापूर्ति करते हैं।”

शिकायतें फाइलों में दबीं, कार्रवाई गायब

ग्रामीणों का कहना है कि इससे पहले तालाब में बनी कोर वॉल भी भुगतान से पहले ही गिर गई थी, लेकिन शिकायतों का अब तक कोई नतीजा नहीं निकला।

प्रधान संघ के जिलाध्यक्ष लक्ष्मी कुमार जायसवाल ने भी मुख्यमंत्री, जिलाधिकारी और मुख्य विकास अधिकारी को पत्र भेजकर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे। हालाँकि, आरोपों को “निराधार” बताकर मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।


ग्रामीणों का अल्टीमेटम — “अब जांच नहीं, कार्रवाई चाहिए!”

ग्रामीणों ने उच्चस्तरीय जांच और दोषियों पर कठोर कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि आने वाला छठ पर्व नज़दीक है और ढहे हुए रपटा के कारण श्रद्धालुओं को घाट तक पहुँचने में भारी परेशानी होगी। ग्रामीणों ने प्रशासन को चेतावनी दी है कि यदि जल्द मरम्मत और जिम्मेदारों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो वे आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। संबंधित अफसर का कहना है कि“मामले की जांच कराई जा रही है, रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई होगी।” ग्रामीणों का कहना है कि यह “जांच का जुमला” हर बार बोला जाता है, नतीजा कभी नहीं आता।

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