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UP News: जब हो रहा था जाति जनगणना का ऐलान, उस वक्त मोहन भागवत कर रहे थे ऐसा काम,अब मचा सियासी भूचाल
Mohan Bhagwat on Caste Census: 30 अप्रैल की शाम भारतीय राजनीति में अचानक ऐसा मोड़ आया जिसने दशकों से जमी सियासी ज़मीन को हिला कर रख दिया। केंद्र सरकार द्वारा जातीय जनगणना के फैसले ने सत्ता और विपक्ष दोनों को चौंका दिया।
Mohan Bhagwat on Caste Census
Mohan Bhagwat on Caste Census: 30 अप्रैल की शाम भारतीय राजनीति में अचानक ऐसा मोड़ आया जिसने दशकों से जमी सियासी ज़मीन को हिला कर रख दिया। केंद्र सरकार द्वारा जातीय जनगणना के फैसले ने सत्ता और विपक्ष दोनों को चौंका दिया। इंडिया गठबंधन ने इसे अपनी वैचारिक जीत कहा, वहीं बीजेपी और उसके सहयोगियों ने इसे आज़ादी के बाद का सबसे ऐतिहासिक निर्णय करार दिया। लेकिन असल सियासी सरप्राइज़ तब सामने आया जब इसी दिन संघ प्रमुख मोहन भागवत वाराणसी में 125 अंतरजातीय जोड़ों के सामूहिक विवाह का आयोजन कर एक नया सामाजिक संदेश दे रहे थे।
मोहन भागवत कर रहे थे यह काम
यह कोई साधारण संयोग नहीं था। जिस वक्त सरकार ने जातीय आंकड़ों की गणना की मुहर लगाई, ठीक उसी वक्त प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में संघ प्रमुख सभी जातियों को एक धागे में पिरोने का प्रयास कर रहे थे। संकुल धारा कुंड के तट पर, सनातन परंपरा के साथ सभी जोड़ों का विवाह संपन्न कराया गया, जिसमें मोहन भागवत स्वयं शामिल होकर वर-वधुओं को आशीर्वाद दे रहे थे।
एक तरफ केंद्र सरकार जातियों की गिनती कर उन्हें पहचान देने की दिशा में कदम बढ़ा रही है, वहीं दूसरी तरफ संघ 'जाति नहीं, एकता' का संदेश देने की कोशिश में जुटा है। ये तस्वीरें अब पूरे देश में चर्चा का विषय बन चुकी हैं—क्या यह राजनीति और विचारधारा का तालमेल है या फिर चुनावी रणनीति का हिस्सा?
अब सवाल उठता है—क्या यह जातीय गणना की सियासत को नई दिशा देने की कोशिश है या वाकई में सामाजिक समरसता की तरफ एक गंभीर प्रयास? लेकिन इतना तो तय है कि 30 अप्रैल को देश ने राजनीति का वो चेहरा देखा, जिसमें गणना और एकता दोनों साथ-साथ चल रही थीं। क्या जातियों की गिनती से सामाजिक दूरी घटेगी या सियासी समीकरण बदलेंगे?
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