शहर में वकीलों का तांडव: ना कानून का लिहाज और ना ही कैमरों पर किया रहम

Admin
Published on: 10 Feb 2016 9:43 PM IST
शहर में वकीलों का तांडव: ना कानून का लिहाज और ना ही कैमरों पर किया रहम
X

लखनऊ: समय-दोपहर के एक बजे, समय-स्वास्थ्य भवन परिसर, सीन-आगजनी, तोड़फोड़, पथराव और लाठीचार्ज। ये कोई दंगा नियंत्रण की मॉक ड्रिल नहीं हैं। यह लाइव तस्वीरें है वकील और पुलिस की भिंड़त की। इसमें पत्रकार बंधु भी बेवजह पीटे गए। यह संघर्ष हमारी व्यवस्था के उन दो पक्षों के बीच है, जिनपर समाज को भयमुक्त और न्याय युक्त बनाने की बराबर की जिम्मेदारी है। लेकिन आज ये वकील खुद ही फैसला करने का मन बना चुके हैं। फिर ना तो पुलिस की चली और ना ही वकीलों ने किसी पर रहम किया।

कुछ इस तरह वकीलों ने किया तांडव

साथी की संदिग्ध मौत के बाद वकीलों ने मृत वकील के परिजनों के लिए मुआवजे की मांग करते हुए प्रशासन के सामने अपनी शर्तें रखीं, जिसपर लिखित सहमती बन गई। इसके बाद वकील स्वास्थ्य भवन चौराहा पहुंचे। यहां पहले से रोककर रखी एक रोडवेज की बस को आग के हवाले कर दिया। स्वास्थ्य भवन में तैनात लोगों ने आगजनी का विरोध किया तो वकीलों ने अंदर पत्थर फेंकने लगे। इस पर स्वास्थ्य भवन के कर्मचारियों ने छत से मोर्चा संभालना चाहा। लेकिन उपद्रव पर आमादा वकीलों से भिड़ने की कोशिश स्वास्थ्य भवन पर ही भारी पड़ गई। मामले की कवरेज करने पहुंचे मीडिया पर्सन पर ही ये वकील हमलावर हो गए, फिर क्या था दर्जनों पत्रकारों के कैमरे तोड़े गए और उनके साथ मारपीट की गई।

-वकील तुरंत स्वास्थ्य भवन के अंदर घुस गए और एक के बाद एक परिसर में मौजूद गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया। इतना ही नहीं वकीलों के समूह ने जमकर पत्थरबाजी करके स्वास्थ्य भवन की पूरी बिल्डिंग में तोड़फोड़ की और आग के हवाले कर दिया। इस दौरान सैकड़ों कर्मचारी और अधिकारी वहीं बंधक बने रहे।

-इस दौरान अपनी रफ्तार के लिए जानी जाने वाली राजधानी थम सी गई। ट्रैफिक व्यवस्था चरमराती देख कई रास्ते रोक दिए गए और ट्रैफिक को वैकल्पिक मार्ग से निकालने की कवायद शुरू हो गई। लेकिन जाम का झाम कम नहीं हुआ। हां लोगों को थोड़ी राहत जरूर मिल गई।

वकील किसी भी कीमत पर मानने को तैयार नहीं थे

-राजधानी 11 बजे से वकील और पुलिस के बीच लगभग छः घंटे तक यह गुरिल्ला युद्ध चला।

-वकील खुले आम कानून व्यवस्था को चैलेंज दे रहे थे। वहीं पीएसी उन पर बल पूर्वक काबू करने की कोशिश कर रही थी, जबकि डीएम से लेकर आईजी, डीआईजी और एसएसपी उन्हें समझाने की कोशिश कर रहे थे।

-जब सड़कों पर वकील तांडव मचा रहे थे उसी दौरान ज्यादातर स्कूलों की छुट्टियां होती हैं।

-वकीलों के तांडव में बड़े लोगों के साथ-साथ वे मासूम भी फंसे थे और दहशत में थे, जिन्हें इस बात की जानकारी ही नहीं थी कि आखिर मामला क्या है?

-बेगम हजरत महल पार्क के पास कैथेड्रल की एक स्टूडेंट आठ साल की स्टूडेंट आशिया ने बताया कि वह एक घंटे से यहां फंसी है। लेकिन उसे घर जल्दी पहुंच कर पढ़ना हैं, क्योंकि कल उसका टेस्ट है, लेकिन पता नही क्यों लोग सड़कों पर खड़े हैं।

1 / 1
Your Score0/ 1
Admin

Admin

Next Story

AI Assistant

Online

👋 Welcome!

I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!