TRENDING TAGS :
बांग्लादेश ने ‘स्वतंत्रता सेनानी’ की परिभाषा बदली, शेख मुजीबुर रहमान का दर्जा हटाया
Bangladesh Sheikh Mujibur Rahman: मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने एक विवादास्पद अध्यादेश पारित किया है...
Bangladesh Sheikh Mujibur Rahman
Bangladesh Sheikh Mujibur Rahman: मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने एक विवादास्पद अध्यादेश पारित किया है, जिसमें “स्वतंत्रता सेनानी” (बीर मुक्तिजोद्धा) की परिभाषा को फिर से परिभाषित किया गया है। इस नए अध्यादेश के तहत देश के संस्थापक नेता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान और 1971 के मुक्ति संग्राम से जुड़े 400 से अधिक प्रमुख हस्तियों से यह प्रतिष्ठित दर्जा छीन लिया गया है।
यह निर्णय नेशनल फ्रीडम फाइटर्स काउंसिल एक्ट में संशोधन के रूप में लागू किया गया है, और इससे पूरे देश में तीखी बहस छिड़ गई है। आलोचकों का आरोप है कि यह अंतरिम सरकार बांग्लादेश की स्वतंत्रता के इतिहास से महत्वपूर्ण व्यक्तित्वों को मिटाने की कोशिश कर रही है।
नई परिभाषा और प्रभाव
इस अध्यादेश के अंतर्गत मुक्ति संग्राम के समय मुजीबनगर सरकार से जुड़े नेशनल असेंबली (MNA) और प्रांतीय असेंबली (MPA) के सदस्यों को अब “स्वतंत्रता सेनानी” नहीं बल्कि “मुक्ति संग्राम के सहयोगी” माना गया है।
इस नई परिभाषा का प्रभाव कई प्रमुख नेताओं पर पड़ा है, जैसे —
• शेख मुजीबुर रहमान (बांग्लादेश के राष्ट्रपिता)
• सैयद नज़रुल इस्लाम (पूर्व कार्यवाहक राष्ट्रपति)
• ताजुद्दीन अहमद (पूर्व प्रधानमंत्री)
• और अन्य जिन्होंने 1971 में पाकिस्तानी सेनाओं के विरुद्ध निर्णायक भूमिका निभाई थी।
संशोधित कानूनी परिभाषा:
नए अध्यादेश में “बीर मुक्तिजोद्धा” को ऐसा व्यक्ति माना गया है जिसने 26 मार्च से 16 दिसंबर 1971 के बीच
• बांग्लादेश के गांवों में युद्ध प्रशिक्षण प्राप्त किया हो या
• भारत में प्रशिक्षण शिविरों में भाग लिया हो और
• प्रत्यक्ष रूप से युद्ध में भाग लिया हो।
यह सीमित परिभाषा केवल युद्धभूमि में लड़ने वालों को मान्यता देती है और नेतृत्व, कूटनीति या सांस्कृतिक योगदान देने वालों को बाहर कर देती है।
युद्ध को परिभाषित किया गया है कि यह “पाकिस्तानी सशस्त्र बलों और उनके सहयोगियों — रजाकार, अल-बदर, अल-शम्स, मुस्लिम लीग, जमात-ए-इस्लामी, निज़ाम-ए-इस्लाम, और पीस कमेटी — के आक्रमण के खिलाफ एक स्वतंत्र लोकतांत्रिक बांग्लादेश में समानता, मानव गरिमा और सामाजिक न्याय स्थापित करने के लिए लड़ा गया युद्ध था।”
किन-किन को ‘मुक्ति संग्राम सहयोगी’ की श्रेणी में रखा गया है:
इस नई श्रेणी में कई समूहों को शामिल किया गया है:
• विदेशों में रहकर मुक्ति संग्राम का समर्थन करने वाले बांग्लादेशी पेशेवर
• वैश्विक जनमत को प्रभावित करने वाले नागरिक
• मुजीबनगर सरकार के अधिकारी और कर्मचारी
• डॉक्टर, नर्स, और युद्धकालीन सहायता कर्मी
• स्वाधीन बांग्ला बेटार केंद्र के कलाकार और कर्मचारी
• युद्ध समर्थक पत्रकार
• स्वाधीन बांग्ला फुटबॉल टीम के सदस्य
तीव्र प्रतिक्रिया और आरोप
इस निर्णय के बाद राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया तेज़ हो गई है। कई लोगों ने इसे “राष्ट्रपिता शेख मुजीबुर रहमान की विरासत को कमज़ोर करने का प्रयास” करार दिया है।
• अध्यादेश से स्वतंत्रता संग्राम की कानूनी परिभाषा से मुजीबुर रहमान के नाम और उनकी स्वतंत्रता घोषणा को हटा दिया गया है।
• सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर इसे राजनीति प्रेरित इतिहास संशोधन बताया जा रहा है।
सरकार का पक्ष
विवाद के बीच, अंतरिम सरकार की ओर से मुक्ति संग्राम मंत्रालय के सलाहकार फारूक-ए-आज़म ने कहा कि
“यह अध्यादेश मुजीबनगर सरकार के नेताओं से स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा नहीं छीनता।”
उन्होंने कहा, “जो हथियार उठाकर लड़े और जिन्होंने नेतृत्व किया, वे सभी स्वतंत्रता सेनानी हैं।”
सरकार का कहना है कि नया वर्गीकरण केवल सीधी लड़ाई और सहयोगी भूमिका के बीच अंतर स्पष्ट करता है।
शेख मुजीब की विरासत पर एक और हमला?
इस विवाद को आलोचकों ने सरकार की शेख मुजीब और अवामी लीग की विरासत को निशाना बनाने की बड़ी रणनीति बताया है।
• हाल ही में बांग्लादेशी मुद्रा से शेख मुजीब का चित्र हटाया गया।
• ढाका स्थित बंगबंधु स्टेडियम का नाम बदला गया।
• फरवरी 2025 में ढानमोंडी 32 स्थित बंगबंधु स्मारक संग्रहालय (उनका पूर्व आवास) को प्रदर्शनकारियों ने तोड़ दिया।
इन घटनाओं ने देश में राजनीतिक तनाव और विभाजन को और गहरा कर दिया है।
Start Quiz
This Quiz helps us to increase our knowledge