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समुद्र में होगी भारत-पाक की जंग! बड़े युद्ध की आहट, जानें कौन सी साज़िश रच रहा है पाकिस्तान
India Pakistan Tension: पाकिस्तान ने नौसैनिक नोटमैर जारी किया और मिसाइल परीक्षण किया, भारत-पाक तनाव बढ़ा; विशेषज्ञों ने संयम और कूटनीतिक संवाद की सलाह दी।
India Pakistan Tension: पिछले दिनों रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सेना प्रमुख उपेंद्र द्विवेदी की कड़ी चेतावनी के बाद पाकिस्तान में तमतमा पैदा हो गया है। हाल ही में पाक नौसेना ने अपने समुद्री क्षेत्रों के लिए एक नोटिस टू मरीनर नोटमैर जारी किया है, जिसके बाद कुछ विशेषज्ञों ने कहा है कि पाकिस्तान समुद्र में कोई बड़ा सुरक्षा अभ्यास या फिर मिसाइल परीक्षण कर सकता है।
पाकिस्तानी विश्लेषक कमर चीमा ने मीडिया में कहा है कि नोटमैर जारी करना अक्सर समुद्री अभ्यासों का संकेत होता है, लेकिन मौजूदा तनाव के चलते यह कुछ ‘‘बड़ा’’ संकेत भी दे सकता है। उनके अनुसार, कभी-कभी देश यह नोटिस इसलिए जारी करते हैं ताकि समुद्री यातायात को अलर्ट किया जा सके और किसी संभावित मिसफायर या अभ्यास को गलतफहमी न समझा जाए। चीमा कहते हैं कि बड़े पैमाने पर युद्धपोत और शिप्स की तैनाती यह संदेश भी देती है कि कोई सशस्त्र क्रिया आने वाली है।
कुछ विश्लेषक यह भी मान रहे हैं कि नोटमैर और जहाज़ों की मूवमेंट के पीछे मिसाइल फायरिंग जैसी तैयारी हो सकती है, हालांकि पाकिस्तान ने आधिकारिक तौर पर कहा है कि फिलहाल केवल नियमित अभ्यास किए जा रहे हैं और कोई मिसाइल दागने का इरादा नहीं है। ऐसे वक्त में दोनों पक्षों की तरफ से दी जाने वाली बयानों का कूटनीतिक और सैन्य दोनों मायने होते हैं, कभी रोकने के लिए, कभी चेतावनी देने के उद्देश्य से।
फतह-4 मिसाइल परीक्षण के बाद भारत-पाक तनाव बढ़ा
कमर चीमा ने यह भी रेखांकित किया कि हाल ही में पाकिस्तान ने 'फतह-4' नामक मिसाइल का परीक्षण किया था, जो रिपोर्ट्स के मुताबिक लगभग 750 किलोमीटर तक मार कर सकती है। उनके मुताबिक फतह-4 का परीक्षण एक तरह का संदेश भी है कि पाकिस्तान अब अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन कर रहा है। चीमा ने यह भी याद दिलाया कि फतह श्रृंखला की मिसाइलों का इतिहास और इस्तेमाल रणनीतिक संकेत दे सकता है। दूसरी ओर भारतीय सैन्य नेताओं की कड़वी चेतावनियों का हवाला देते हुए कहा जा रहा है कि सीमा पर किसी भी तरह के उकसावे का गंभीर जवाब दिया जाएगा। रक्षा मंत्री की ओर से यह संदेश भी गया था कि यदि सर क्रीक इलाके में कोई भी ‘‘हिमाकत’’ की जाएगी तो उसका जवाब सख्त होगा। इस तरह के बयान दोनों तरफ सामरिक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव डालते हैं: एक ओर यह विरोधी को चेताते हैं, दूसरी ओर घरेलू दर्शकों के लिए साहसपूर्ण इरादे दिखाते हैं।
तनावपूर्ण हालात में संवाद और संयम ही सुरक्षित रास्ता
विश्लेषक बताते हैं कि बड़े पैमाने पर जहाज़ों का जमा होना, मिसाइल परीक्षण और नोटमैर जैसी गतिविधियाँ अक्सर वॉर गेमिंग और कूटनीतिक संदेश का हिस्सा होती हैं। वास्तविक मुकाबला किस स्तर पर होगा, समुद्र में, सीमाओं पर या फिर किसी आर्थिक लक्ष्य पर — यह दोनों देशों की रणनीति और तत्काल परिस्थिति पर निर्भर करेगा। कुल मिलाकर स्थिति अभी तनावपूर्ण है। विशेषज्ञों की सलाह है कि दोनों पक्ष संयम बरतें और कूटनीतिक चैनलों के जरिए आपसी वार्तालाप तेज करें ताकि किसी भी गलतफ़हमी से बड़े संकट का रूप न ले ले। युद्ध की भाषा के बजाय संवाद और पारदर्शिता ही ऐसे हालात में सबसे सुरक्षित रास्ता होते हैं।
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