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विश्व मंच पर भारत का बजा डंका! UNHRC में फिर होगी 'विश्वगुरु' की दहाड़
India UNHRC 2026-28: भारत को लगातार सातवीं बार संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) के लिए चुना गया है।
India UNHRC 2026-28: विश्व मंच पर भारत की मानवीय प्रतिबद्धता को फिर एक बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है। संयुक्त राष्ट्र में भारत को लगातार सातवीं बार मानवाधिकार परिषद (UNHRC) के लिए चुना गया है। यह उपलब्धि देश के लिए गर्व का विषय है और यह दर्शाती है कि भारत विश्व स्तर पर मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रताओं के प्रति अपनी अटूट प्रतिबद्धता को लगातार निभा रहा है।
संयुक्त राष्ट्र में भारत का गौरव
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पार्वथानेनी हरीश ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर इस उपलब्धि की जानकारी शेयर की। उन्होंने लिखा, "भारत आज सातवीं बार 2026-28 के कार्यकाल के लिए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में चुना गया। सभी प्रतिनिधिमंडलों को उनके अपार समर्थन के लिए धन्यवाद। यह चुनाव मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रताओं के प्रति भारत की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है। हम अपने कार्यकाल के दौरान इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए तत्पर हैं।"
यह संदेश न केवल देशवासियों के लिए गर्व का पल है, बल्कि यह भारत की वैश्विक छवि को भी मजबूती देता है।
14 देशों को मिला मौका
रिपोर्ट के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1 जनवरी, 2026 से तीन साल के कार्यकाल के लिए मानवाधिकार परिषद में सेवा देने के लिए 14 देशों का चुनाव किया। इन देशों में भारत के अलावा अंगोला, ब्रिटेन, चिली, इक्वाडोर, मिस्र, एस्टोनिया, इराक, इटली, मॉरीशस, पाकिस्तान, स्लोवेनिया, दक्षिण अफ्रीका और वियतनाम शामिल हैं।
मानवाधिकार परिषद का महत्व
जिनेवा स्थित मानवाधिकार परिषद संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के अंतर्गत एक महत्वपूर्ण अंतर-सरकारी निकाय है। इसका मुख्य उद्देश्य दुनिया भर में मानवाधिकारों को बढ़ावा देना और उनकी रक्षा करना है। परिषद के 47 सदस्यों में से लगभग एक तिहाई को हर साल बदला जाता है ताकि सभी सदस्य देशों को तीन साल के अलग-अलग कार्यकाल में अवसर मिल सके और निरंतरता बनी रहे।
क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व का महत्व
मानवाधिकार परिषद की सीटें भौगोलिक समूहों के आधार पर आवंटित की जाती हैं। अफ्रीका और एशिया-प्रशांत के लिए 13-13 सीटें, लैटिन अमेरिका और कैरिबियन के लिए आठ, पश्चिमी यूरोप और अन्य देशों के लिए सात, और पूर्वी यूरोप के लिए छह सीटें निर्धारित की गई हैं। भारत का लगातार सातवीं बार चुना जाना इस बात का संकेत है कि देश अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी नैतिक और राजनीतिक जिम्मेदारी बखूबी निभा रहा है।
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