India US relations: पटरी पर लौट रही है भारत-अमेरिका के रिश्ते! 48 घंटे में मिले ये बड़े संकेत

भारत-अमेरिका संबंधों में कड़वाहट का सबसे बड़ा कारण टैरिफ को लेकर विवाद और ट्रंप की बयानबाजी रही है।

Priya Singh Bisen
Published on: 3 Sept 2025 2:10 PM IST
India US relations
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India US relations (photo: social media)

India US relations: भारत और अमेरिका के रिश्ते जो हाल ही में तनावपूर्ण दौर से गुजर रहे हैं, मगर अब आशंका जताई जा रही है कि शायद अब इन दोनों देशों के बीच कुछ बेहतर जो सकता है। इसी बीच बीते 48 घंटे में कुछ ऐसी घटनाएं और बयान सामने आए हैं, जिन्होंने यह संकेत दिया है कि दोनों देश आपसी तनाव को दूर करने और व्यापारिक व सामरिक सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए तैयार हैं।

पीयूष गोयल का बड़ा बयान

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार को वार्षिक वैश्विक निवेशक सम्मेलन 2025 में कहा कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि भारत और अमेरिका के संबंध जल्द ही तनावमुक्त हो जाएंगे। उन्होंने विश्वास जताया कि नवंबर महीने में या उसके आसपास दोनों देश एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) पर हस्ताक्षर कर सकते हैं। गोयल ने याद दिलाया कि इस मुद्दे पर फरवरी महीने में भारत और अमेरिका के शीर्ष नेताओं ने गहन चर्चा की थी।

एक अन्य कार्यक्रम में भी गोयल ने साफ कहा कि भारत अमेरिका के साथ BTA को लेकर गंभीरता से बातचीत कर रहा है। उन्होंने व्यापार संबंधित क्षेत्रों को आश्वस्त करते हुए कहा कि वैश्विक अस्थिरता के बीच भी भारत और अमेरिका के संबंध नए अवसर पैदा करेंगे।

अमेरिका का बदला रुख

देखा जाए तो भारत-अमेरिका संबंधों में कड़वाहट का सबसे बड़ा कारण टैरिफ को लेकर विवाद और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बयानबाजी रही है। इसके अलावा, अमेरिका के ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट ने पहले भारत पर रूस से तेल खरीदने को लेकर आरोप लगाए थे। उनका स्पष्टरूप से कहना था कि रूस के कच्चे तेल से भारत के कुछ अमीर व्यापारी लाभ उठा रहे हैं।

हालांकि अब बेसेंट का रुख बदलता हुआ नज़र आ रहा है। उन्होंने भारत को विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र बताया और कहा कि उसके मूल्य चीन या रूस की तुलना में अमेरिका के अधिक पास हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि भारत और अमेरिका अपने तनावों का हल निकाल लेंगे और एक मजबूत साझेदारी कायम करेंगे।

अलास्का में सैन्य अभ्यास जारी

भारत और अमेरिका के बीच सामरिक संबंधों की मजबूती का एक और उदाहरण अलास्का में जारी संयुक्त सैन्य अभ्यास है। 1 से 14 सितंबर तक होने वाले इस अभ्यास में भारत की मद्रास रेजिमेंट की एक बटालियन और अमेरिका की ब्रिगेड कॉम्बैट टीम भाग ले रही है। यह वार्षिक अभ्यास का 21वां संस्करण है, जो दोनों देशों की सुरक्षा साझेदारी और भरोसे को दर्शाता है।

सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण बात यह है कि यह अभ्यास अमेरिका की सबरमरीन सपोर्ट शिप USS फ्रैंक केबल के चेन्नई दौरे के एक हफ्ते बाद हो रहा है। सैन्य समुद्री परिवहन कमान की यह गतिविधि बीते दो सालों में इस क्षेत्र में दूसरी बार हुई है, जो भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग की गंभीरता को दिखाता है।

चीन की परेड से दूरी

भारत ने चीन की राजधानी बीजिंग में आयोजित विजय दिवस सैन्य परेड से दूरी बनाई है। आज बुधवार 3 सितंबर को हुई इस परेड में 25 से ज़्यादा देशों के बड़े नेताओं ने शिरकत की, लेकिन भारत ने हिस्सा नहीं लिया। ऐसा माना जा रहा है कि भारत ने यह कदम इसलिए उठाया ताकि पूरे विश्व को यह साफ़ संदेश दिया जा सके कि वह किसी भी सैन्य धुरी का हिस्सा नहीं है।

विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत की प्राथमिकता क्वाड देशों—अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया—के साथ मिलकर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में संतुलन बनाने की है। ऐसे में चीन की परेड में मौजूदगी गलत संदेश देती।

अब गंभीरता से समझा जाए तो बीते 48 घंटे में सामने आये बयानों और घटनाओं से यह स्पष्ट रूप से संकेत मिल रहे हैं कि भारत और अमेरिका अपने संबंधों को नए सिरे से परिभाषित करने का प्रयास कर रहे हैं। चाहे वह व्यापार समझौते की बातचीत हो या सैन्य अभ्यास, दोनों देशों का रुख यह दर्शाता है कि आने वाले समय में रिश्ते और मजबूत हो सकते हैं।

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Content Writer

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