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जल संकट में डूबा रहा था पाकिस्तान, चीन ने फेंकी बचाव की बाल्टी, भारत के बढ़ी चिंता
China-Pak Relation: भारत द्वारा सिंधु जल संधि निलंबित किए जाने के बाद पाकिस्तान में मची हलचल, चीन के सहयोग से तेज़ी से बन रहा मोहमंद डैम। पाकिस्तान को कृषि और जल संकट की गहराती चिंता।
पहलगाम हमले के बाद भारत की ओर से मिली सख्त प्रतिक्रिया ने पाकिस्तान को गहरा झटका दिया है। सैन्य और कूटनीतिक मोर्चे पर करारा जवाब मिलने के बाद पाकिस्तान अब चीन और तुर्किये जैसे सहयोगियों की ओर देख रहा है, लेकिन उसे एहसास है कि आने वाले समय में किसी भी दुस्साहस की स्थिति में ये देश भी उसे पूरी तरह नहीं बचा पाएंगे। यही कारण है कि पाकिस्तान इन देशों के साथ मिलकर भविष्य की रणनीति बनाने में जुट गया है।
पाकिस्तान की चिंताएं बढ़ गई
भारत द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित किए जाने के फैसले के बाद पाकिस्तान की चिंताएं और भी बढ़ गई हैं। जल संकट की आशंका को देखते हुए चीन ने पाकिस्तान की मदद के लिए अपनी ऊर्जा झोंक दी है। चीन की सरकारी कंपनी चाइना एनर्जी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन उत्तर-पश्चिम पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में मोहमंद हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट पर तेजी से काम कर रही है। इस परियोजना की शुरुआत 2019 में हुई थी और इसे 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य था, लेकिन भारत की ओर से पानी की आपूर्ति पर रोक की चेतावनी के बाद इसमें तेजी लाई जा रही है।
सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया
भारत ने 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया था। इस कदम से पाकिस्तान की जल सुरक्षा पर संकट मंडराने लगा है, क्योंकि उसकी लगभग 80 प्रतिशत कृषि सिंधु नदी पर निर्भर है। पाकिस्तान ने भारत की इस कार्रवाई को लेकर सख्त प्रतिक्रिया दी थी और कहा था कि पानी रोकने की किसी भी कोशिश को वह ‘युद्ध की कार्रवाई’ मानेगा। इस्लामाबाद ने स्पष्ट किया कि सिंधु नदी का पानी उसके 24 करोड़ नागरिकों की जीवन रेखा है और इसकी सुरक्षा किसी भी कीमत पर की जाएगी। भारत की सख्ती और पाकिस्तान की बेचैनी से क्षेत्र में जल कूटनीति एक नए मोड़ पर पहुंच चुकी है।
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