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छठ पूजा पर नाक से मांग तक क्यों लगाया जाता है सिंदूर? जानें पौराणिक कथा और इसका महत्व
Chhath Puja 2025: छठ पूजा करने वाली महिला नाक से लेकर मांग तक लंबा सिंदूर लगाती है। इसके पीछे कई पौराणिक और धार्मिक मान्यताएं प्रचलित हैं।
Chhath Puja Sindoor Ritual
Chhath Puja Sindoor Ritual: छठ पूजा के अवसर पर व्रती महिला सोलह श्रृंगार कर विधि-विधान से पूजा करती है। इस दौरान श्रृंगार में सिंदूर का विशेष महत्व है। छठ पूजा करने वाली महिला नाक से लेकर मांग तक लंबा सिंदूर लगाती है। इसके पीछे कई पौराणिक और धार्मिक मान्यताएं प्रचलित हैं। आइए जानते हैं छठ पूजा पर पीले रंग का सिंदूर नाक से लेकर मांग तक क्यों लगाया जाता है।
सिंदूर वैवाहिक जीवन की पहचान
हिंदू धर्म में सिंदूर का विशेष महत्व है। महिलाओं की मांग में सिंदूर वैवाहित जीवन का प्रतीक है। कहा जाता है कि विवाहित महिलाएं जितना लंबा सिंदूर लगाती हैं। उनके पति की उम्र दीर्घायु होती है। सिंदूर खुशहाल दांपत्य, समर्पण और गृहस्थ जीवन की पहचान है। यूं तो आम दिनों महिलाएं लाल रंग का सिंदूर मांग में लगाती है। लेकिन छठ पूजा के दौरान पीले रंग के सिंदूर को लगाने की परंपरा है। पीला रंग सूर्य देव का प्रतीक है। विवाह के समय पीले रंग के सिंदूर से ही पति अपनी पत्नी की मांग को भरता है। छठ पूजा के दौरान विवाह के समय के सिंदूर को मांग में लगाया जाता है।
छठ पूजा और महाभारत काल की कथा
महाभारत काल की कथा के मुताबिक जब दुःशासन द्रौपदी के कक्ष में पहुंचा। उस समय द्रौपदी ने कोई शृंगार नहीं किया था। द्रौपदी के रोकने के बाद भी दुःशासन उसके बालों को खींचता हुआ भरी सभा में ले गया और चीरहरण की घटना हुई। बिना सिंदूर लगाए ही द्रौपदी पतियों के सामने चलीं गयी थी। जिसके चलते उनके जीवन में संकट आया।
इस पर द्रौपदी ने सिंदूर दानी ही अपने सर पर उड़ेल ली। तब सिंदूर उनके नाक तक लग गया। तभी से महिलाएं नाक से लेकर मांग तक लंबा सिंदूर लगाती हैं, जो सम्मान और सुरक्षा का भी प्रतीक माना जाता है। सभा में चीरहरण के बाद द्रौपदी ने हमेशा बाल खुले रखे और नाक तक लंबा सिंदूर लगाया। हिंदू धर्म के मुताबिक माता सीता ने भगवान राम और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए छठ पूजा की थी। उस समय उन्होंने भी नाक से लेकर मांग तक सिंदूर लगाया था।
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