कद्दू भात छठ पूजा के पहले दिन क्यों खाया जाता है ?Chhath Puja Kaddu Bhat जानिए लाभ-महत्व

Chhath Puja Kaddu Bhatछठ पूजा कद्दू भात :आज 25 अक्टूबर से छठ महापर्व 2025 का शुभारंभ। जानें नहाए-खाए के दिन कद्दू-भात खाने का धार्मिक, शारीरिक और मानसिक महत्व, नियम और लाभ।

Suman  Mishra
Published on: 25 Oct 2025 8:49 AM IST (Updated on: 25 Oct 2025 9:00 AM IST)
कद्दू भात छठ पूजा के पहले दिन क्यों खाया जाता है ?Chhath Puja Kaddu Bhat जानिए लाभ-महत्व
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chhath puja kaddu bhat छठ पूजा देश के पूर्वांचल और बिहार यूपी के राज्य में मनाया जाने वाला सबसे पवित्र और खास पर्व है।25 अक्टूबर, आज शनिवार से छठ महापर्व का शुभारंभ हो गया है। आज शोभन योग और रवि योग का संयोग है, जो इस पर्व को विशेष रूप से फलदायी और शुभ बनाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, छठ पूजा की शुरुआत नहाए-खाए से होती है, यानी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से। इसके बाद पंचमी को खरना, षष्ठी को डूबते सूर्य को अर्घ्य और सप्तमी को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर पारण किया जायेगा।

यह चार दिन तक चलता है और इस दौरान श्रद्धालु पूरी भक्ति और श्रद्धा के साथ छठी मैया और सूर्य देव की पूजा करते हैं। छठ पूजा की शुरुआत नहाए-खाए के दिन होती है। यह पहला दिन व्रती के लिए मानसिक और शारीरिक तैयारी का प्रतीक है। इस दिन विशेष रूप से कद्दू-भात और चना की दाल का प्रसाद खाया जाता है, जिसे खाने और दान करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है।

छठ पूजा के चार दिन

छठ पूजा का पहला दिन: 25 अक्टूबर, शनिवार, नहाय-खाय
छठ पूजा का दूसरा दिन: 26 अक्टूबर, रविवार, खरना
छठ पूजा का तीसरा दिन: 27 अक्टूबर, सोमवार, डूबते सूर्य को अर्घ्य
छठ पूजा का चौथा दिन: 28 अक्टूबर, मंगलवार, उगते सूर्य को अर्घ्य, पारण

नहाए-खाए में कद्दू-भात खाने का नियम

नहाए-खाए के दिन व्रती को कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक है-दिन की शुरुआत शुद्ध मन और शरीर से होती है।इस दिन केवल कद्दू-भात और चना की दाल का सेवन किया जाता है।

भोजन करते समय संयम और साधना का ध्यान रखा जाता है।व्रती अपने परिवार और सगे-संबंधियों के साथ कद्दू का दान और वितरण करते हैं।ये नियम व्रती को मानसिक रूप से तैयार करते हैं और व्रत की गंभीरता को समझने में मदद करते हैं।

कद्दू-भात खाने के लाभ

कद्दू में पानी और पोषक तत्व अधिक होते हैं, जिससे शरीर में ऊर्जा और जल संतुलन बना रहता है।चना की दाल प्रोटीन का उत्कृष्ट स्रोत है, जो ताकत और सहनशक्ति प्रदान करती है।यह संयोजन शरीर को 36 घंटे के निर्जला व्रत के लिए तैयार करता है।

नहाए-खाए का कद्दू-भात व्रती को मानसिक रूप से स्थिर और संयमी बनाता है।यह भोजन व्रती को साधना और भक्ति की मानसिक तैयारी देता है।

कद्दू का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।इसे खाने और वितरित करने से व्रती का मन धार्मिक भावनाओं से भरपूर होता है।यह भोजन व्रती को चार दिन के व्रत में पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ लगे रहने की प्रेरणा देता है।

कद्दू-भात का महत्व

नहाए-खाए पर कद्दू-भात केवल एक आहार नहीं है, बल्कि यह शुद्धता, अनुशासन और भक्ति का प्रतीक है। यह व्रती के लिए पहले दिन की साधना का प्रारंभिक चरण होता है। कद्दू और चना दाल का सेवन शरीर और मन दोनों को मजबूत बनाता है, जिससे व्रती चार दिन का व्रत पूर्ण श्रद्धा और ऊर्जा के साथ निभा सके।

छठ पूजा में नहाए-खाए पर कद्दू-भात का महत्व सिर्फ परंपरा तक सीमित नहीं है। यह शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक तैयारी और आध्यात्मिक शुद्धि का एक अनूठा संयोजन है। कद्दू और चना की दाल का सेवन व्रती को शक्ति, ऊर्जा और पुण्य प्रदान करता है, जिससे यह पर्व और भी पवित्र और लाभकारी बन जाता है।

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Suman  Mishra

Suman Mishra

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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