मां काली की रात कब होगी?हर बुराई का अंत,जाानिए Diwali Kali Puja शुभ मुहूर्त महत्व और पूजा विधि

Diwali Kali Puja 2025 Date दिवाली पर कब होती है काली पूजा इस दिन क्योंं किया जाता है काली पूजा, जानिए शुभ मुहूर्त महत्व और पूजा विधि

Suman  Mishra
Published on: 16 Oct 2025 7:00 AM IST
Diwali Kali Puja
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Diwali Kali Puja 2025 Date: काली पूजा हर साल कार्तिक महीने की अमावस्या तिथि की रात को की जाती है। इस दिन को काली चौदस भी कहते है।दिवाली पर काली पूजा करना बुराई पर अच्छाई की जीत, आत्मरक्षा और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक है।काली पूजा का विशेष महत्व बंगाल, ओडिशा, असम और पूर्वी भारत के क्षेत्रों में है। इस दिन काली माँ की पूजा करने से रोग और भय से मुक्ति मिलती है।

जानते है कार्तिक के महीने में काली पूजा कब मनाई जाएगी और पूजा के शुभ मुहूर्त ...

काली पूजा 2025 में कब है

काली पूजा का त्योहार हर साल कार्तिक महीने की अमावस्या तिथि की रात को मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार काली पूजा रात्रि के समय में की जाती है, इस साल काली पूजा 20 अक्टूबर 2025, सोमवार के दिन है

काली पूजा 2025 शुभ मुहूर्त

इस साल कार्तिक मास की अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर को दोपहर 3 . 44 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 21 अक्टूबर को शाम 5. 54 मिनट पर होगा।इसलिए इस साल काली पूजा 20 अक्टूबर 2025 (सोमवार) को मनाई जाएगी।

काली पूजा निशिता काल में- रात 11 . 55 मिनट से लेकर रात 12 . 44 मिनट तक

पूजा का समय रात्रि का समय काली पूजा के लिए विशेष माना जाता है।पूजा से पूर्व स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें। इस दिन देवी काली के कम से कम 108 बार मंत्र का जाप करें

अभिजीत मुहूर्त - 11:48 AM से 12:32 PM

अमृत काल - 05:35 PMसे 07:23 PM

ब्रह्म मुहूर्त - 05:00 AM से 05:48 AM

विजय मुहूर्त 01:33 AM से 02:18 AM

गोधूलि मुहूर्त 05:18 PM से 05:43 PM

सायाह्न संध्या मुहूर्त 05:18 PM से 06:34 PM

काली पूजा की सामग्री

काली पूजा में मां काली को अगरबत्ती,बतासा,हलवा,पूड़ी,मीठा पान,अक्षत,सुपारी,लौंग,नारियल आदि,माता काली की तस्वीर,गुड़हल का फूल,धूप,दीप आदि सामग्री से पूजा की जाती है।

काली पूजा विधि

काली पूजा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें। देवी काली की मूर्ति या चित्र को पूजा स्थल पर रखें, और इसे लाल या काले कपड़े से सजाएं। माँ काली का आह्वान करें और उन्हें पूजा में आमंत्रित करें। देवी की मूर्ति पर जल, दूध, और फूल अर्पित करें।सिंदूर, हल्दी, कुमकुम, और काजल चढ़ाएं। माँ काली को फूलों की माला पहनाएं। सरसों का तेल का दीपक जलाएं और कपूर से आरती करें।धूप या अगरबत्ती जलाकर माँ काली के सामने रखें।मिठाई, फल, और नैवेद्य माँ को अर्पित करें।"ॐ क्रीं काली" या "क्रीं काली" का जाप करें। यह मंत्र देवी का प्रिय है। माँ की आरती करें और उन्हें कर्पूर से दीप अर्पित करें।

मां काली मंत्र

मां काली बीज मंत्र- ॐ क्रीं काली

काली माता मंत्र- ॐ श्री महा कालिकायै नमः

कालिका-येई मंत्र- ॐ क्लीं कालिका

काली गायत्री मंत्र- ॐ महा कल्यै च विद्महे स्मसन वासिन्यै च धीमहि तन्नो काली प्रचोदयात

दक्षिणा काली ध्यान मंत्र- ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रुं ह्रुं क्रीं क्रीं दक्षिणा कालिके क्रीं क्रीं क्रीं ह्रुं ह्रुं ह्रीं ह्रीं ह्रीं

पंद्रह अक्षरों वाला मंत्र- ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं आद्य कालिका परं ईश्वरी स्वाहा

काली माँ की प्रार्थना के लिए मंत्र- क्रिंग क्रिंग क्रिंग हिंग क्रिंग दक्षिणे कालिके क्रिंग क्रिंग क्रिंग ह्रिंग ह्रिंग हंग हंग स्वाहा

काली पूजा दिवाली पर महत्व

सनातन धर्म में काली पूजा का बहुत ही विशेष महत्व है। माँ काली को अधर्म, बुराई और नकारात्मकता का विनाश करने वाली देवी माना जाता है। माँ काली की पूजा से भक्तों को भय, रोग और शत्रुओं से मुक्ति मिलती है।यह पूजा आत्मिक उन्नति और जीवन की समस्याओं से मुक्ति का मार्ग प्रदान करती है। माँ काली ज्ञान और शक्ति का प्रतीक हैं, उनकी कृपा से विवेक और समझ का विकास होता है। मान्यता है कि इस रात माँ काली ने राक्षसों का संहार किया था और दुनिया को भयमुक्त किया था। इसलिए, दिवाली की रात को काली पूजा से माँ के इस रौद्र रूप की आराधना की जाती है ताकि जीवन में किसी भी बुरी शक्ति का प्रभाव न रहे।

नोट: यह लेख धार्मिक मान्यताओं की सामान्य जानकारी पर आधारित है। यहां दी गई सामग्री का उद्देश्य केवल सांस्कृतिक और आध्यात्मिक जागरूकता फैलाना है, इसकी सत्यता newstrack.com के लिए न्यूजट्रैक जिम्मेदार नही है। पूजा-व्रत से पहले ज्योतिषाचार्य से परामर्श अवश्य लें।

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Suman  Mishra

Suman Mishra

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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