Ganga Dussehra 2025:गंगा दशहरा की तिथि कब है , जानिए इस दिन कब है स्नान दान का शुभ समय और महत्व

Ganga Dussehra Kab Hai: जिस दिन मां गंगा का अवतरण हुआ , उस दिन को गंगा दशहरा कहते हैं। इस दिन गंगा नदी में स्नान से पाप धूल जाते हैं। जानते है 2025 में कब पड़ेगा गंगा दशहरा...

Suman  Mishra
Published on: 26 May 2025 5:36 PM IST
Ganga Dussehra 2025:गंगा दशहरा की तिथि कब है , जानिए इस दिन कब है स्नान दान का शुभ समय और महत्व
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Ganga Dussehra 2025Kab Hai गंगा दशहरा 2025 कब है? ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा (Ganga Dussehra) होता है। हिंदू धर्मशास्त्रों में गंगा दशहरा का अपना महत्व है।इस दिन गंगा स्नान कर देवी मां गंगा की पूजा की जाती है। साथ ही व्यक्ति अपने पितरों का तर्पण एवं पिंडदान भी करते हैं। इस शुभ तिथि पर पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

इस दिन किया गया पुण्य क्रम का दोगुना फल मिलता है। गंगा नदी में स्नान से सारे पाप धूल जाते हैं। ब्रह्मलोक से आई शिव के जटा में समाई और भगीरथ प्रयासों से धरती पर आई गंगा के मनुष्य लोक में अवतरित होने का दिन गंगा दशहरा ज्येष्ठ मास में पड़ता है। इस साल 2025 में गंगा दशहरा 5 जून को पड़ रहा है।

गंगा दशहरा का शुभ मुहूर्त

धर्म ग्रंथों के अनुसार 04 जून को देर रात 11 .54 मिनट पर ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि की शुरुआत होगी। वहीं, 06 जून को देर रात 02. 15 मिनट पर ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि समाप्त होगी। सनातन धर्म में सूर्योदय से तिथि की गणना की जाती है। इसके लिए 05 जून को गंगा दशहरा मनाया जाएगा।

दशमी तिथि आरंभ: 4 जून 2025 को 11 .54 मिनट

दशमी तिथि समापन: 06 जून को देर रात 02. 15 तक रहेगा

अभिजीत मुहूर्त - 11:58 AM – 12:52 PM

अमृत काल - 11:48 PM – 01:36 AM

ब्रह्म मुहूर्त - 04:08 AM – 04:56 AM

विजय मुहूर्त- 02.14 PM से 03.08 PM

गोधूलि बेला- 06.37 PM से 07.01 PM

निशिता काल- 11.39 PM से 12. 20 AM तक 6 जून

सिद्धि योग 09:13 AM तक, उसके बाद व्यातीपात योग और सर्वार्थसिद्धि योग - Jun 05 03:35 AM - Jun 05 05:44 AM गंगा दशहरा के दिन रहेगा।रवि योग का संयोग दिन भर है। इस योग में गंगा स्नान करने से साधक को मनचाहा वरदान मिलेगा

गंगा दशहरा का महत्व

मां गंगा को भगीरथ में अपने पितरों की मुक्ति के लिए धरती पर उतारा था। तब से आज तक मां गंगा मनुष्य के पाप कर्मों को धोती रहती है। जो भी मनुष्य गंगा दशहरा के दिन गंगा नदी में स्नान करता है। उसके सारे बुरे कर्म धूल जाते हैं। गंगा के स्पर्श से मनुष्य को कई जन्मों का पुण्य मिलता है।गंगा दशहरा के दिन सुबह गंगा नदी में स्नान करके सूर्य भगवान को अर्घ्य दिया जाता है। साथ ही पान के पत्ते पर फूल और अक्षत रखकर जल में प्रवाहित कर दिया जाता है। दशहरा का मतलब है 10 विकारों का नाश होता है। इसलिए दशहरा के दिन शुद्ध मन से मां गंगा में डुबकी लगाने से मनुष्य के समस्त पाप धुल जाते हैं।

गंगा दशहरा मां गंगा के अवतरण का दिन या कहे धरती पर मां गंगा का जन्मदिवस गंगा जयंती । इस दिन अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए भगीरथ ने स्वर्ग से धरती पर मां गंगा को लाए थे। मां गंगा को भगीरथ में अपने पितरों की मुक्ति के लिए धरती पर उतारा था। तब से आज तक मां गंगा मनुष्य के पाप कर्मों को धोती रहती है। जो भी मनुष्य गंगा दशहरा के दिन गंगा नदी में स्नान करता है। उसके सारे बुरे कर्म धूल जाते हैं। गंगा के स्पर्श से मनुष्य को कई जन्मों का पुण्य मिलता है। स्कंदपुराण, भविष्यपुराण, शिवपुराण आदि ग्रंथों में मां गंगा की महिमा का बखान है और बताया गया है कि कैसा कालो काल से मां गंगा पतित पावन धरती को पवित्र कर रही है। साथ में शिव भगवान कैसे मां गंगा को अपनी जटा में धारण करते हैंं। महर्षि व्यास ने गंगा की जलधारा और उसके रहस्य का बखान पद्मपुराण में किया है। गंगाजल से लाइलाज बीमारियों का इलाज संभव है। सालों साल गंगा जल को रख लिया जाए तब भी उसमें कीड़े नहीं पड़ते हैं।

गंगा दशहरा की पूजा विधि

इस दिन सूर्योदय से पहले सुबह उठकर साफ-सफाई करने के बाद गंगा नदी में स्नान करें, अगर संभव न हो तो घर पर ही गंगाजल से स्नान करें और घर में भी गंगाजल छिड़के। उसके बाद गंगाजल मिलाकर सूर्य को जल चढ़ाए, साथ में गंगाजल से ही शिव का अभिषेक करें। ध्यान पूजा व्रत और मंत्र जाप से मां गंगा का ध्यान करें और मोक्ष की कामना करें। उसके बाद जरूरतमंदों को दान में वस्त्र जूता चप्पल, मिट्टी का मटका और छाता , सत्तू दान करें। घर में माता-पिता और बुजुर्गों को सम्मान दें साथ में पितरों को जल चढ़ाए। आसपास सरोवर, तलाब या गंगा नदी में दीपदान करें । इस दिन बुराई चोरी झूठ फरेब से बचना चाहिए।

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Suman  Mishra

Suman Mishra

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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