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दुर्लभ योग में सोम प्रदोष व्रत, इस स्तोत्र से करें पूजा विधान बरसेगी शिव की महिमा अपार Pradosh Vrat
Pradosh Vrat 2025 कार्तिक मास का सोम प्रदोष व्रत 3 नवंबर 2025 को है। जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, दान का महत्व और भगवान शिव की कृपा पाने का तरीका।
Pradosh Vrat 2025 भगवान शिव की उपासना के लिए कई खास दिन मे एक है प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat)। यह व्रत हर माह की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है और इसे फलदायी माना जाता है। दिन के अनुसार प्रदोष व्रत का नाम पड़ता है। इस बार यह व्रत सोमवार के दिन पड़ता है, तो इसे सोम प्रदोष व्रत कहा जाता है। यह व्रत विशेष रूप से भगवान शिव और मां पार्वती को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। कार्तिक मास में आने वाला सोम प्रदोष व्रत पुण्यदायी माना गया है, क्योंकि यह माह स्वयं भगवान विष्णु और शिव दोनों की कृपा का समय होता है।
प्रदोष व्रत का महत्व
कहा जाता है कि जो भक्त श्रद्धा से सोम प्रदोष व्रत रखता है, उसे भगवान शिव का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस व्रत से जीवन के सभी कष्ट, मानसिक तनाव और आर्थिक संकट दूर होते हैं। साथ ही, व्यक्ति के जीवन में स्थिरता और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
सोम प्रदोष व्रत कब है?
पंचांग के अनुसार, कार्तिक शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि इस वर्ष 3 नवंबर 2025 को सुबह 10:37 बजे से शुरू होकर 4 नवंबर को सुबह 7:35 बजे तक रहेगी।
पंचांग के अनुसार, प्रदोष काल 3 नवंबर की शाम में रहेगा, इसलिए सोम प्रदोष व्रत 3 नवंबर (सोमवार) को मनाया जाएगा।
सोम प्रदोष पूजा का शुभ मुहूर्त
प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में की जाती है, जो सूर्यास्त के बाद का समय होता है। इस बार पूजा का शुभ समय शाम 7:25 बजे से रात 9:30 बजे तक रहेगा। इस समय भगवान शिव की आराधना करने से हर मनोकामना पूर्ण होती है और जीवन के संकट दूर होते हैं।
सर्वार्थ सिद्धी योग Nov 04 12:34 PM - Nov 05 06:38 AM
अमृतसिद्धि योग Nov 04 12:34 PM - Nov 05 06:38 AM
अभिजीत मुहूर्त-11:48 AM – 12:32 PM
सोम प्रदोष व्रत की पूजा विधि और दान
प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे वस्त्र पहनें। फिर भगवान शिव का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। यह व्रत जल या फलाहार पर रखा जा सकता है। दिन भर शिव जी का स्मरण करें और शाम को प्रदोष काल में पूजा की तैयारी करें।
पूजा के समय पूर्व दिशा की ओर मुख करके शिवलिंग का जल, दूध या गंगाजल से अभिषेक करें। बेलपत्र, धतूरा, भस्म, भांग, चंदन, पुष्प, धूप, दीप और फल अर्पित करें। इसके बाद ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें और शिव चालीसा या रुद्राष्टक का पाठ करें। अंत में भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें और सभी के कल्याण की कामना करें।
सोम प्रदोष व्रत पर दूध, दही, घी, फल, चीनी, गेहूं, चावल, दाल या वस्त्रों का दान करने से बहुत पुण्य मिलता है। ऐसा करने से पापों का नाश होता है और घर में सुख-समृद्धि आती है।
सोम प्रदोष व्रत पर पढ़े लिंगाष्टकम
आर्थिक तंगी या कर्ज की समस्या से निजात पाना चाहते हैं, तो सोम प्रदोष व्रत के दिन पूजा के समय भगवान शिव का अभिषेक करते समय श्री लिङ्गाष्टकम् का पाठ अवश्य करें।
श्री लिङ्गाष्टकम्
ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गंनिर्मलभासितशोभितलिङ्गम्।
जन्मजदुःखविनाशकलिङ्गंतत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम्॥
देवमुनिप्रवरार्चितलिङ्गं कामदहम्करुणाकर लिङ्गम्।
रावणदर्पविनाशनलिङ्गंतत् प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम्॥
सर्वसुगन्धिसुलेपितलिङ्गंबुद्धिविवर्धनकारणलिङ्गम्।
सिद्धसुरासुरवन्दितलिङ्गंतत् प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम्॥
कनकमहामणिभूषितलिङ्गंफणिपतिवेष्टित शोभित लिङ्गम्।
दक्षसुयज्ञविनाशन लिङ्गंतत् प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम्॥
कुङ्कुमचन्दनलेपितलिङ्गंपङ्कजहारसुशोभितलिङ्गम्।
सञ्चितपापविनाशनलिङ्गंतत् प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम्॥
देवगणार्चित सेवितलिङ्गंभावैर्भक्तिभिरेव च लिङ्गम्।
दिनकरकोटिप्रभाकरलिङ्गंतत् प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम्॥
अष्टदलोपरिवेष्टितलिङ्गंसर्वसमुद्भवकारणलिङ्गम्।
अष्टदरिद्रविनाशनलिङ्गंतत् प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम्॥
सुरगुरुसुरवरपूजित लिङ्गंसुरवनपुष्प सदार्चित लिङ्गम्।
परात्परं परमात्मक लिङ्गंतत् प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम्॥
लिङ्गाष्टकमिदं पुण्यं यःपठेत् शिवसन्निधौ।
शिवलोकमवाप्नोतिशिवेन सह मोदते॥
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