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Masik Dharam me Sawan Pooja मासिक धर्म के समय क्या सावन में महिलाएँ शिव की पूजा कर सकती है? जानिए क्या कहते हैं प्रेमानंद जी महाराज
Periods and Worship Sawan क्या पीरियड्स के दौरान महिलाएं शिव की पूजा कर सकती हैं? मंदिर जा सकती हैं? या फिर व्रत, सेवा और यात्रा से अलग रहें, जानिए क्या कहते है प्रेमानंद जी महाराज...
Period In Sawan :सावन का महीना भगवान शिव के लिए सबसे खास है। इस दौरान हर दिन लाखों लोग शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं, व्रत रखते हैं और तीर्थ यात्राएं करते हैं, लेकिन इस समय पुरुषों के लिए तो सब सामान्य रहता है, लेकिन महिलाओं को कई परेशानी होती है।इसमें पीरियड्स की समस्या सबसे मेन होती है। उस स्थिति में जब धार्मिक यात्रा के दौरान या किसी पूजा के समय पीरियड्स आ जाते है तो सवाल ये उठता है कि ऐसी स्थिति में क्या उन्हें मंदिर में भगवान के दर्शन करने चाहिए या नहीं?
महिलाओं के पीरियड्स को लेकर कई तरह की धारणाएं हैं, पूजा-पाठ, व्रत और मंदिर जाने को लेकर काफी सख्त नियम भी हैं। यूं तो समय बदल गया है लेकिन अभी भी पीरियड्स को लेकर लोगों की सोच नहीं बदली है। सावन आ गया है।अगर घर में कोई पूजा-पाठ होने वाली होती है तो कई बार लड़कियां और महिलाएं इस बात को लेकर चिंता में पड़ जाती है कि कहीं पूजा से पहले पीरियड्स न आ जाए। ऐसे समय में वह पूजा के लिए प्रसाद तक नहीं बना सकती हैं। क्या कहते है संत प्रेमानंद जी महाराज....
प्रेमानंद जी महाराज कहते है...
महिलाओं को पीरियड्स आना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जिसे हर महीने गुजरना पड़ता है। इस दौरान लड़कियों और महिलाओं को पूजा-पाठ करने, रसोई में जाने के साथ कई चीजों को करने की मनाही होती है। इतना ही नहीं महिलाओं के लिए अलग कमरे में रहने की व्यवस्था की जाती है। मासिक धर्म यानी पीरियड्स के दौरान मंदिर में पूजा-पाठ करना निषेध माना जाता है। महाराज जी का कहना है कि पीरियड्स के समय महिलाएं धार्मिक ग्रंथ, ठाकुर जी की सेवा करना, रसोई बनाना और मंदिर जाना सब निषेध माना जाता है। वह कहते हैं कि पीरियड्स के समय शरीर अपवित्र रहता है। इसी वजह से इन कामों को करने की मनाही है।
प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, पीरियड्स के दिनों में महिलाएं कुछ काम जरूर कर सकती हैं। महिलाएं मासिक धर्म आने के तीन दिनों तक पूरे मन से ठाकुर जी का नाम जप कर सकती हैं, इसके अलावा, भजन और भक्ति भी कर सकती हैं।
प्रेमानंद महाराज के अनुसार अगर कोई महिला तीर्थ स्थान पर ऐसे स्थिति में आती है तो उसे स्नान करके, भगवत प्रसाद से चंदन लगाकर और मन से भगवान का ध्यान करते हुए दूर से दर्शन जरूर करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे समय में मंदिर की किसी सेवा में शामिल न हों और भगवान को हाथ न लगाएं। यानी सिर्फ दूर से श्रद्धा से दर्शन करें, और मन ही मन प्रार्थना करें।
पीरियड्स की धारण नियम और दोष
प्रेमानंद महाराज के अनुसार पीरियड्स को लेकर समाज में जो गलत धारणाएं फैली हैं, उन्हें दूर करना ज़रूरी है। उन्होंने बताया कि यह कोई गंदगी या पाप नहीं है, बल्कि यह महिलाओं के लिए सम्मान की बात है। उन्होंने एक धार्मिक कथा का ज़िक्र किया जिसमें कहा गया है कि जब इंद्रदेव पर ब्रह्म हत्या का दोष लगा, तब उस दोष का एक हिस्सा महिलाओं के मासिक धर्म के रूप में बांटा गया। इसका मतलब यह हुआ कि महिलाओं ने त्रिभुवनपति इंद्र का पाप अपने ऊपर लेकर दुनिया को बचाया। धार्मिक आस्था के साथ-साथ महिलाओं की शारीरिक प्रकृति को भी समझा जाना चाहिए। प्रेमानंद महाराज ने समाज को यह संदेश दिया कि मासिक धर्म के कारण महिलाओं को पूजा से वंचित करना या उन्हें नीचा समझना गलत है।
नोट : ये जानकारियां धार्मिक आस्था और मान्यताओं पर आधारित हैं। Newstrack.com इसकी पुष्टि नहीं करता है।इसे सामान्य रुचि को ध्यान में रखकर लिखा गया है
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