Rakhi Utarne ke Niyam: हाथ से राखी को कभी भी खोल देते है आप तो जान ले हो सकता है कोई बड़ा अनर्थ, जानिए कब और कैसे उतारे राखी

Rakhi Utarne ke Niyam: रक्षा बंधन आने में बस एक हफ्ते की देरी है। जिस तरह से इस दिन राखी बांधने के लिए शुभ मुहूर्त और भद्रा देखा जाता है वैसे ही इस दिन भाईयो के कलाई पर बंधी राखी को उतारने का भी नियम है जानते है क्या...

Suman  Mishra
Published on: 1 Aug 2025 8:39 AM IST
Rakhi Utarne ke Niyam: हाथ से राखी को कभी भी खोल देते है आप तो जान ले हो सकता है कोई बड़ा अनर्थ, जानिए कब और कैसे उतारे राखी
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Raksha Bandhan Niyam भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है रक्षाबंधन। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षासूत्र बांधकर लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं, और भाई अपनी बहनों की रक्षा का वचन देते हैं। लेकिन कुछ घंटों या 1 दिन के बाद लोग रक्षा सूत्र या राखी उतार देते है। रक्षाबंधन के बाद इस पवित्र धागे को कब और कैसे उतारना चाहिएव क्या आप जानते है।ज्यादातर लोग अनजाने में गलतियाँ कर देते हैं, जिससे बुरा प्रभाव पड़ता है।

रक्षाबंधन का रक्षा सूत्र क्या है?

राखी एक साधारण धागा नहीं है। यह भाई-बहन के प्यार, विश्वास और एक-दूसरे के प्रति समर्पण का प्रतीक है। मान्यताओं के अनुसार, रक्षासूत्र में एक सुरक्षा कवच की शक्ति होती है जो पहनने वाले को नकारात्मक ऊर्जाओं और बाधाओं से बचाती है। यह धागा सिर्फ रक्षा का ही नहीं, बल्कि शुभता और समृद्धि का भी प्रतीक है।


हाथ में बंधी राखी को कब उतारे

रक्षाबंधन के अगले दिन ही राखी कई लोग उतार देते हैं, लेकिन शास्त्रों के अनुसार, रक्षासूत्र को कुछ विशेष समय तक धारण करना शुभ माना जाता है। आमतौर पर रक्षासूत्र को कम से कम जनमाष्टमी तक धारण करना चाहिए। जनमाष्टमी का पर्व रक्षाबंधन के कुछ दिनों बाद आता है और यह भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव का प्रतीक है। इस अवधि तक राखी बांधे रखने से उसकी शुभता बनी रहती है।

पूर्णिमा से पूर्णिमा तक राखी को बांधे रखना शुभ माना जाता है। इसे बीच में नहीं उतारन चाहिए।

कुछ जगहों पर आज भई, राखी को दीपावली तक भी धारण किया जा सकता है। ऐसा माना जाता है कि जब तक यह धागा कलाई पर बंधा रहता है, तब तक इसकी सुरक्षात्मक ऊर्जा बनी रहती है। लेकिन, यह बहुत कम जगह के लोग करते हैं।

कुछ लोग इस बात पर विश्वास करते हैं कि रक्षासूत्र को तब तक नहीं उतारना चाहिए जब तक कि वह स्वयं टूट न जाए या बहुत पुराना होकर जीर्ण-शीर्ण न हो जाए। यह दर्शाता है कि धागे ने अपना कार्य पूरा कर लिया है।

राखी उतारने की विधि

हाथ से राखी उतारना भी एक धार्मिक क्रिया है, जिसे कुछ विशेष नियमों के साथ करना चाहिए। जब आप राखी उतारने का निर्णय लें, तो किसी शुभ मुहूर्त या किसी पवित्र दिन का चुनाव करें। जनमाष्टमी का दिन इसके लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। राखी उतारने से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। राखी उतारते समय ईश्वर का, विशेषकर भगवान विष्णु और भगवान शिव का स्मरण करें। बहनें अपनी भाई की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना करें, और भाई अपनी बहन के कल्याण के लिए प्रार्थना करें। राखी उतारने के बाद उसे इधर-उधर न फेंकें। उसे किसी पवित्र स्थान पर, जैसे पूजा घर में रख दें, या किसी साफ कपड़े में लपेट कर रखें। सबसे उत्तम विधि यह है कि राखी को किसी बहती हुई नदी या तालाब में विसर्जित कर दें। यह पवित्र धागे को प्रकृति को वापस लौटाने का एक तरीका है। यदि जल विसर्जन संभव न हो, तो आप इसे किसी गमले या साफ मिट्टी में भी दबा सकते हैं। इसे पीपल या बरगद के पेड़ के नीचे रखना भी शुभ मानते हैं। भूलकर भी रक्षासूत्र को कूड़ेदान में न डालें। ऐसा करना अशुभ माना जाता है।

रक्षाबंधन के नियम

रक्षाबंधन पर पूजा की थाली लगाने से पहले उसमें गंगाजल छिड़क लें। उसमें कुमकुम, रोली रखें। इसी कुमकुम से बहनें भाइयों का तिलक करती हैं।राखी की थाली में नारियल रखना ना भूलें। रक्षासूत्र बांधने से पहले भाई को तिलक करना जितना जरूरी है उतना ही थाली में नारियल रखना भी है। हर शुभ कार्य के लिए नारियल का इस्तेमाल किया जाता है फिल भला राखी की थाली इससे वंचित क्यों हो।

राखी बांधने के बाद बहन को भाई की आरती उतारनी है, जो उन्हें बुरी नजर से बचाती है। मगर, वास्तु के अनुसार, थाली में दीपक दाईं और अगरबत्ती बाईं तरफ रखनी चाहिए। इससे भाई-बहन के बीच प्यार बढ़ता है।

हिंदू धर्म में अक्षत यानि चावल को विशेष महत्व दिया जाता है। कुमकुम के सात अक्षत का तिलक लगाने से ना सिर्फ भाई की उम्र लंबी होती है बल्कि उन्हें भौतिक सुख की प्राप्ति भी होती है।

राखी बांधते वक्त बहन का मुंह पूर्व और भाई का पश्चिम की तरफ हो। वास्तु के अनुसार, इस तरह राखी बांधना शुभ होता है।

राखी बांधने का शुभ मुहूर्त समय

श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि आरंभ- 8 अगस्त 2025 को दोपहर 2 बजकर 12 मिनट से

श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि समाप्त- 9 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 24 मिनट पर

रक्षाबंधन 2025 तिथि- उदया तिथि के हिसाब से रक्षाबंधन 9 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा।

ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 4 बजकर 22 मिनट से 5 बजकर 04 मिनट तक

अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 17 नट से 12 बजकर 53 मिनट तक रहेगा।

सौभाग्य योग- सुबह 4 बजकर 8 मिनट से 10 अगस्त को तड़के 2 बजकर 15 मिनट तक

सर्वार्थ सिद्धि योग- 9 अगस्त को दोपहर 2 बजकर 23 मिनट तक

नोट : ये जानकारियां धार्मिक आस्था और मान्यताओं पर आधारित हैं। Newstrack.com इसकी पुष्टि नहीं करता है।इसे सामान्य रुचि को ध्यान में रखकर लिखा गया है

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Suman  Mishra

Suman Mishra

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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