Nepal Electric Vehicle: नेपाल की इलेक्ट्रिक वाहनों पर बड़ी छलांग, 76% कारों की बिक्री इलेक्ट्रिक

Nepal Electric Vehicle Sale: पिछले एक साल में इलेक्ट्रिक वाहन (EV) इतनी तेजी से लोकप्रिय हुए हैं कि उन्होंने नेपाल के ऑटोमोबाइल बाजार पर कब्ज़ा कर लिया है।

Neel Mani Lal
Published on: 29 July 2025 7:58 PM IST
Big jump in Nepal Electric Vehicle Sales
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Big jump in Nepal Electric Vehicle Sales

Nepal Electric Vehicle Sale: नेपाल की सड़कों पर एक शांत क्रांति हो रही है। पिछले एक साल में इलेक्ट्रिक वाहन (EV) इतनी तेजी से लोकप्रिय हुए हैं कि उन्होंने नेपाल के ऑटोमोबाइल बाजार पर कब्ज़ा कर लिया है। हालिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यात्री वाहनों की 76% बिक्री और हल्के वाणिज्यिक वाहनों की 50% बिक्री अब इलेक्ट्रिक है। पांच साल पहले तक नेपाल के वाहन बाजार में इलेक्ट्रिक वाहनों का अस्तित्व लगभग नहीं था। आज नेपाल EV मार्केट शेयर में नॉर्वे, सिंगापुर और इथियोपिया जैसे कुछ वैश्विक नेताओं के ठीक पीछे है और 2024 के वैश्विक औसत 20% से बहुत आगे है। यह तेज़ बदलाव कोई संयोग नहीं है, बल्कि यह सरकारी नीतियों, प्रचुर जलविद्युत संसाधनों और चीन के प्रबल सहयोग का परिणाम है, जो दुनिया का सबसे बड़ा बैटरी चालित वाहन निर्माता है।

स्वच्छ भविष्य के लिए जलविद्युत का उपयोग

नेपाल का EV बूम उसकी विशाल जलविद्युत क्षमता से जुड़ा हुआ है। देश में 83,000 मेगावॉट हाइड्रोइलेक्ट्रिक क्षमता है, जिसमें से 44,000 मेगावॉट आर्थिक रूप से संभव है। नेपाल अपनी लगभग 100% बिजली नवीकरणीय जलविद्युत से उत्पन्न करता है। इस प्रचुर बिजली ने 2024 तक 94% आबादी को विद्युतीकृत कर दिया है, जबकि दो दशक पहले यह आंकड़ा 50% से भी कम था।

2018 में लोड शेडिंग खत्म होने और ग्रिड की विश्वसनीयता में निवेश के बाद नेपाल में EV अपनाने के लिए अनुकूल माहौल बना। नेपाल में एक इलेक्ट्रिक वाहन चार्ज करना पेट्रोल वाहन की तुलना में लगभग पंद्रहवां खर्च आता है, जिससे EV न सिर्फ पर्यावरण हितैषी बल्कि आर्थिक रूप से भी लाभकारी बन गए हैं।

सरकारी नीतियों ने इस बदलाव में अहम भूमिका निभाई।

2021 में नेपाल ने EV पर आयात शुल्क घटाकर अधिकतम 40% कर दिया, जबकि ICE (आंतरिक दहन इंजन) वाहनों पर यह 180% है।

इस कर अंतर ने EV को किफायती बना दिया और जीवाश्म ईंधन वाहनों के साथ मूल्य अंतर कम कर दिया।

साथ ही, नेपाल विद्युत प्राधिकरण (NEA) चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने के लिए काम कर रहा है। अभी तक 1,200 चार्जर निजी कंपनियों ने लगाए हैं और 500 और चार्जर प्रमुख शहरों और हाईवे पर लगाने की योजना है। यह पहल नेपाल के 2045 तक नेट-जीरो उत्सर्जन लक्ष्य और 2022/23 में 2.5 अरब डॉलर के जीवाश्म ईंधन आयात खर्च को कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण है।

चीन की भूमिका

नेपाल के EV बाजार में चीन की भूमिका निर्णायक है। चीन दुनिया का सबसे बड़ा बैटरी वाहन निर्माता है, और BYD, Seres, NETA, XPeng जैसी कंपनियों ने नेपाल में किफायती और उच्च-गुणवत्ता वाले EV उपलब्ध कराए हैं।

उदाहरण के लिए, BYD डीलर यमुना श्रेष्ठा, जिन्होंने एक शोरूम से शुरुआत की थी, अब 18 डीलरशिप चला रही हैं और 2025 में 4,000 वाहन बेचने का अनुमान है।

ये वाहन लंबी रेंज और ऊबड़-खाबड़ भूभाग के लिए उपयुक्त ग्राउंड क्लीयरेंस जैसी सुविधाओं के साथ आते हैं।

भारतीय वाहन निर्माता, जो कभी नेपाल के बाजार में हावी थे, मूल्य और नवाचार में प्रतिस्पर्धा करने में पीछे रह गए हैं। इस बदलाव ने यह चर्चा भी शुरू कर दी है कि चीन भूराजनीतिक दृष्टि से नेपाल को अपने वैश्विक EV विस्तार के लिए रणनीतिक बाजार बना रहा है।

परिणाम स्पष्ट हैं:

2024/25 के पहले चार महीनों में नेपाल ने 3,487 EVs आयात किए, जिनकी कीमत 8.37 अरब नेपाली रुपये रही।

सार्वजनिक परिवहन भी तेजी से इलेक्ट्रिक हो रहा है।

साझा यातायात (Sajha Yatayat) के पास 41 इलेक्ट्रिक बसें हैं और चीन द्वारा दान की गई 100 नई बसें जल्द ही शामिल होंगी।

हालांकि, काठमांडू के परिवहन तंत्र को पूरी तरह बदलने के लिए 800 इलेक्ट्रिक बसों की जरूरत होगी।

चुनौतियां और अवसर

नेपाल की EV क्रांति कई मायनों में सफल है, लेकिन चुनौतियां अभी भी हैं:

दो-पहिया वाहनों में EV अपनाने की रफ्तार धीमी है, जबकि पड़ोसी भारत में इलेक्ट्रिक स्कूटर बाजार पर हावी हैं।

चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर सीमित है; 2023 तक देश में सिर्फ 250 चार्जिंग स्टेशन थे।

देश की अधिकांश आबादी सार्वजनिक परिवहन और दो-पहिया वाहनों पर निर्भर है, यानी EV बूम मुख्यतः शहरी मध्यमवर्गीय कार मालिकों तक सीमित है।

समाधान:

ग्रामीण और निम्न-आय वर्गों तक EV पहुंचाने के लिए सब्सिडी और समावेशी नीतियां जरूरी होंगी।

इसके बावजूद, फायदे स्पष्ट हैं:

EVs ने नेपाल के ऊर्जा-संबंधित 50% CO2 उत्सर्जन में कमी की है।

काठमांडू में वायु प्रदूषण घटा है, जहां कभी 30 लाख की आबादी स्मॉग से जूझती थी।

भारत की EV यात्रा

नेपाल की तेज छलांग की तुलना में, भारत का EV बाजार स्थिर गति से बढ़ रहा है।

2023 में भारत में इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री कुल का सिर्फ 2% थी।

80,000 इलेक्ट्रिक कारें रजिस्टर हुईं, जो साल-दर-साल 70% वृद्धि है।

भारत में दो-पहिया EV बाजार का नेतृत्व करता है।

स्कूटर और मोटरसाइकिलें भारत की EV बिक्री का 62% हिस्सा हैं।

Ola Electric, Ather Energy, Hero Electric जैसे ब्रांड इसमें आगे हैं।

सरकारी योजनाएं:

भारत ने 2030 तक 30% नई वाहन बिक्री इलेक्ट्रिक करने का लक्ष्य रखा है।

PLI (प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव) योजना के तहत

घरेलू EV और बैटरी निर्माण को बढ़ावा मिल रहा है।

टाटा मोटर्स, महिंद्रा, ओला इलेक्ट्रिक जैसी कंपनियां उत्पादन बढ़ा रही हैं।

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