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BS6 फेज-2 के बाद अब BS7 नॉर्म्स की दस्तक, ऑटो इंडस्ट्री पर असर और भविष्य की तैयारी
BS7 Norms are Coming: साल 2020 में BS6 और फिर अप्रैल 2023 में BS6 फेज-2 नॉर्म्स लागू किए गए। अब एक बार फिर चर्चा का विषय बना हुआ है, BS7 एमिशन नॉर्म्स।
BS7 Norms are Coming Soon: भारत की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री पिछले कुछ वर्षों में पर्यावरणीय सुधारों के चलते कई बड़े बदलावों से गुजरी है। 2020 में BS6 और फिर अप्रैल 2023 में BS6 फेज-2 नॉर्म्स लागू किए गए। अब एक बार फिर चर्चा का विषय बना हुआ है, BS7 एमिशन नॉर्म्स। यह नया मानक प्रदूषण को और कम करने की दिशा में एक और बड़ा कदम होगा। लेकिन इसका असर ऑटो इंडस्ट्री से लेकर उपभोक्ताओं तक, हर स्तर पर बड़े बदलाव के तौर पर महसूस किया जाएगा। आइए जानते हैं BS7 नॉर्म्स की पृष्ठभूमि, इसकी संभावित रूपरेखा, और इसके प्रभावों के बारे में विस्तार से-
BS नॉर्म्स क्या हैं?
भारत स्टेज (BS) एमिशन नॉर्म्स वह मानक हैं जो वाहनों से निकलने वाले प्रदूषक तत्वों की अधिकतम सीमा तय करते हैं। इनका निर्धारण भारत सरकार का पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय करता है और इसे सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) लागू करती है। यह यूरोपीय मानकों (Euro norms) पर आधारित होते हैं। BS1 से शुरुआत कर अब भारत BS6 फेज-2 तक पहुंच चुका है। BS6 ने जहां सल्फर की मात्रा को 10ppm तक सीमित किया, वहीं BS6 फेज-2 ने रीयल ड्राइविंग एमिशन (RDE) टेस्ट को अनिवार्य किया, जिससे वाहन की वास्तविक सड़कों पर प्रदूषण उत्सर्जन की निगरानी हो सके। BS7 इससे भी आगे का कदम होगा।
BS7 नॉर्म्स की संभावित रूपरेखा
हालांकि सरकार ने अभी तक BS7 को लेकर आधिकारिक दस्तावेज जारी नहीं किए हैं, लेकिन यूरो 7 नॉर्म्स के आधार पर कुछ संकेत जरूर मिले हैं। यूरो 7 को 2025 से लागू करने की योजना है और भारत उसी मॉडल को अपनाने पर विचार कर रहा है।
BS7 नॉर्म्स में कई प्रकार के बड़े बदलाव संभावित हैं। जो कि इस प्रकार हैं -
1. NOx (नाइट्रोजन ऑक्साइड) और PM (पार्टिकुलेट मैटर) उत्सर्जन की और भी सख्त सीमाएं लागू की जा सकती हैं।
2. ब्रेक और टायर के घर्षण से उत्पन्न हानिकारक कणों की गणना इस नॉर्म्स के तहत किए जाने की तैयारी है। ये कण सांस के माध्यम से मानव शरीर में प्रवेश कर सकते हैं और स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकते हैं, खासकर शहरी क्षेत्रों में जहां प्रदूषण का स्तर अधिक होता है।
3. ओबीडी (Onboard Diagnostics) सिस्टम का एडवांस वर्जन उपलब्ध होगा।
4. RDE टेस्टिंग की सीमा का विस्तार होगा। विभिन्न मौसम, ऊंचाई और ट्रैफिक कंडीशन में भी टेस्ट संभव हो सकेंगे।
5. EVs और हाइब्रिड व्हीकल्स को भी समान मानकों के अंतर्गत लाने की योजना है।
BS7 के लागू होने से ऑटो इंडस्ट्री पर प्रभाव: गाड़ियों की कीमतों में बढ़ोतरी-
BS7 के लागू होने से ऑटो कंपनियों को इंजन और एग्जॉस्ट सिस्टम में कई तकनीकी बदलाव करने होंगे। इससे प्रति वाहन की लागत 25,000 से 80,000 रुपये तक बढ़ सकती है।
R&D निवेश में इजाफा
कंपनियों को रिसर्च और डेवलपमेंट पर अधिक खर्च करना होगा ताकि नए मानकों को पूरा करने वाले मॉडल तैयार किए जा सकें।
छोटी कंपनियों के लिए संकट
जहां बड़े ब्रांड इस निवेश को वहन कर लेंगे, वहीं छोटी ऑटो कंपनियों और टू-व्हीलर निर्माता कंपनियों के लिए यह एक बड़ी चुनौती होगी।
डीलर स्टॉकिंग और इन्वेंट्री प्रेशर
बीएस7 लागू होने से पहले डीलरों को बीएस6 वाहन तेजी से बेचने होंगे, नहीं तो भारी घाटा झेलना पड़ सकता है।
उपभोक्ताओं पर प्रभाव
बीएस7 लागू होने से ऑटो इंडस्ट्री में एक बड़े पैमाने पर बदलाव आने के साथ ही इसका प्रभाव कई प्रकार से काफी हद तक ग्राहकों पर भी पड़ने वाला है-
वाहनों की कीमतों में वृद्धि
बीएस7 में तकनीकी बदलावों के चलते गाड़ियों की कीमतें बढ़ेंगी, जिससे कार और बाइक खरीदना आम उपभोक्ताओं के लिए महंगा होगा।
माइलेज पर असर
उत्सर्जन नियंत्रण तंत्र की वजह से माइलेज में हल्की गिरावट आ सकती है। हालांकि कुछ कंपनियां इसे बैलेंस करने के लिए फ्यूल एफिशिएंसी पर काम कर रही हैं।
पुराने वाहनों की कम होगी वैल्यू
BS7 लागू होते ही BS6 और पुराने नॉर्म्स वाले वाहनों की रीसेल वैल्यू प्रभावित हो सकती है।
BS7 नॉर्म्स को लेकर क्या है विशेषज्ञों की राय
ऑटो इंडस्ट्री के एक्सपर्ट्स के मुताबिक यदि BS7 को लागू किया जाता है, तो इसकी घोषणा कम से कम 18-24 महीने पहले करनी होगी ताकि ऑटो इंडस्ट्री तैयार हो सके।
वहीं सरकार को नए तकनीकी बदलावों के लिए कंपनियों को सब्सिडी देने या ग्राहकों को प्रोत्साहन योजनाएं शुरू करने पर विचार करना चाहिए।
इस नियम को लागू करने के साथ ही स्क्रैपेज पॉलिसी के साथ तालमेल बिठाकर पुराने वाहनों को हटाना और BS7 वाहन अपनाना अधिक कारगर हो सकता है।
इलेक्ट्रिक वाहनों को मिलेगा बढ़ावा
BS7 जैसे नॉर्म्स एक तरह से EVs को अप्रत्यक्ष रूप से बढ़ावा देने वाले होंगे। EVs पर ये नॉर्म्स सीधे लागू नहीं होते, लेकिन बढ़ती लागत और सख्ती के कारण पेट्रोल-डीजल वाहनों की बिक्री में गिरावट की संभावना है। इससे EV मार्केट को फायदा मिल सकता है।
BS7 के लागू होने के संभावित वर्ष
हालांकि इस मुद्दे पर अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि BS7 नॉर्म्स वर्ष 2027-2028 के आसपास लागू किए जा सकते हैं। यूरो 7 के 2025 में लागू होने के बाद भारत उसे अपनाने में 2 से 3 साल का समय ले सकता है, जैसा कि BS6 के मामले में हुआ था।
BS7 नॉर्म्स भारत के प्रदूषण नियंत्रण प्रयासों में अगला निर्णायक कदम होंगे। यह कदम पर्यावरण के लिहाज से अत्यंत आवश्यक है, लेकिन ऑटो इंडस्ट्री और उपभोक्ताओं के लिए यह आसान नहीं होगा। उचित समयसीमा, नीति समर्थन और तकनीकी नवाचार के साथ ही इस बदलाव को सफलतापूर्वक लागू किया जा सकता है। जो कंपनियां समय रहते इस बदलाव अनुकूलन कर लेंगी, वही आने वाले समय में टिक पाएंगी।
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