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"बारिश में कंट्रोल नहीं होता अपराध!" बयान पर टूटा तूफान,गरजे तेजस्वी, चिराग ने कहा- "अब नहीं सहेंगे"

Bihar Monsoon Crime Theory: बिहार में अपराध पर ADG का 'मानसून थ्योरी' बयान बना सियासी तूफान का कारण। तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार पर साधा निशाना, तो चिराग पासवान ने भी अपनी ही सरकार को घेरा।

Harsh Srivastava
Published on: 18 July 2025 7:09 PM IST
बारिश में कंट्रोल नहीं होता अपराध! बयान पर टूटा तूफान,गरजे तेजस्वी, चिराग ने कहा- अब नहीं सहेंगे
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Bihar Monsoon Crime Theory: क्या बिहार में अपराध अब मौसम पर निर्भर करेगा? क्या अब अपराधी मानसून का इंतजार करेंगे, ताकि उनके कुकर्मों को 'बरसाती मामला' कहकर टाल दिया जाए? बिहार की कानून-व्यवस्था पर एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का ये बेतुका बयान न केवल हास्यास्पद है, बल्कि राज्य की गिरती कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करता है। एक तरफ जहां तेजस्वी यादव इस बयान पर नीतीश कुमार को घेर रहे हैं, वहीं अपनी ही सरकार में चिराग पासवान का हमलावर होना मुख्यमंत्री के लिए नई मुसीबत खड़ी कर रहा है। क्या बिहार वाकई 'आपराधी सम्राटों' का गढ़ बन गया है, या ये चुनावी साल की सियासी बिसात का एक और मोहरा है?

'मानसून थ्योरी' का मज़ाक और पुलिस की बेबसी

"ज्यादातर हत्याएं अप्रैल, मई और जून के महीने में होती हैं।।। ये सिलसिला तब तक चलता रहता है जब तक बारिश नहीं आ जाती।।। क्योंकि, ज्यादातर किसानों के पास काम नहीं होता और इसी दौरान अपराध बढ़ते हैं।" ये कोई ज्योतिषीय भविष्यवाणी नहीं, बल्कि बिहार के ADG कुंदन कृष्णन का वो 'अनोखा शोध' है, जिसने पूरे देश को भौंचक्का कर दिया है। क्या पुलिस अब अपराध रोकने की बजाय उसके 'मौसम' का अध्ययन करेगी? क्या बिहार पुलिस ने अपने हाथ

खड़े कर दिए हैं और अपराध को 'प्राकृतिक आपदा' मान लिया है?

इस 'मानसून थ्योरी' ने विपक्ष को नीतीश सरकार पर हमला बोलने का सुनहरा मौका दे दिया है। तेजस्वी यादव, जो लगातार बिहार में बढ़ती अपराध दर पर सवाल उठाते रहे हैं, इस बयान को लेकर मुख्यमंत्री पर हमलावर हैं। उनका कहना है कि "मुख्यमंत्री अचेत अवस्था में हैं। बिहार उनके नियंत्रण से बाहर हो गया है। अपराधी अब सम्राट बन गए हैं। राज्य में भय और असुरक्षा का माहौल है।" तेजस्वी का ये हमलावर रुख स्वाभाविक है। विपक्ष के नेता होने के नाते उन्हें सरकार की कमजोरियों को उजागर करने का पूरा हक है, और कानून-व्यवस्था किसी भी सरकार की पहली जिम्मेदारी होती है।

चिराग पासवान का 'घर का भेदी' अवतार: नीतीश के लिए नई चुनौती

जहां तेजस्वी यादव बाहर से हमला बोल रहे हैं, वहीं चिराग पासवान, जो एनडीए गठबंधन का ही हिस्सा हैं, अपनी ही सरकार पर अंदर से वार कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्री होने के बावजूद चिराग बिहार की कानून-व्यवस्था पर नीतीश कुमार को लगातार घेर रहे हैं। पटना के पारस अस्पताल में दिनदहाड़े हुई हत्या ने उन्हें एक और मौका दे दिया है। चिराग पासवान का कहना है कि बिहार में रोजाना हत्याएं हो रही हैं, अपराधियों का मनोबल आसमान पर है, और पुलिस-प्रशासन की कार्यशैली समझ से परे है।

एक तरफ जहां चिराग सुबह मुफ्त बिजली के फैसले की तारीफ करते हैं, वहीं शाम तक अस्पताल में हुए हत्याकांड के बाद वे फिर से हमलावर हो जाते हैं। उनका यह 'डबल स्टैंडर्ड' या कहें कि 'परिस्थिति अनुसार' बयानबाजी नीतीश कुमार के लिए सिरदर्द बन रही है। सोशल मीडिया पर उनकी पोस्टें बताती हैं कि वे बिहार में बिगड़ती कानून-व्यवस्था को लेकर कितने चिंतित हैं, या फिर यूं कहें कि वे आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत कर रहे हैं। "बिहारी अब और कितनी हत्याओं की भेंट चढ़ेंगे? समझ से परे है कि बिहार पुलिस की जिम्मेदारी क्या है?" चिराग के ये सवाल सीधे-सीधे नीतीश कुमार के गृह विभाग पर निशाना साधते हैं, जिसकी जिम्मेदारी खुद मुख्यमंत्री के पास है।

नीतीश कुमार: खुद ही कुल्हाड़ी पर पैर मारते हुए?

सवाल यह उठता है कि क्या नीतीश कुमार जानबूझकर चिराग पासवान को हमलावर होने का मौका दे रहे हैं? क्या वे जानते हैं कि चिराग इस मौके को नहीं छोड़ेंगे और बीजेपी को भी नीतीश पर सवाल उठना अच्छा ही लगता है? 2020 के बिहार विधानसभा चुनावों में चिराग पासवान ने जिस तरह से बीजेपी की मदद की थी, वह किसी से छिपा नहीं है। राजनीतिक पंडित मानते हैं कि चिराग ने तब खुद की कुर्बानी देकर बीजेपी की झोली भर दी थी।

यह स्पष्ट है कि नीतीश कुमार राजनीतिक तौर पर चिराग पासवान से निपटना जानते हैं। लेकिन कानून-व्यवस्था का बिगड़ना एक गंभीर मामला है, खासकर जब गृह विभाग उन्हीं के पास हो। आसपास के राज्यों के मुकाबले बिहार में अपराध के आंकड़े भले ही कम दिखाए जाते हों, लेकिन हाल की घटनाएं एक भयावह तस्वीर पेश कर रही हैं। अस्पताल में घुसकर हत्या, दिनदहाड़े गोलीबारी – ये घटनाएं आम आदमी में भय और असुरक्षा का माहौल पैदा कर रही हैं।

जो कुछ भी बिहार में हो रहा है, वह न तो राज्य के लिए अच्छा है, न ही नीतीश कुमार के राजनीतिक भविष्य के लिए। क्या मुख्यमंत्री को यह समझ नहीं आ रहा कि वे खुद ही अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं? या फिर यह उनकी कोई सोची-समझी रणनीति है, जिसका परिणाम हमें आने वाले चुनावों में देखने को मिलेगा? बिहार की जनता को इसका जवाब जल्द ही मिलेगा, लेकिन तब तक अपराध की 'मानसून थ्योरी' और राजनीतिक दांव-पेच का यह खेल जारी रहेगा। क्या आपको लगता है कि बिहार में कानून-व्यवस्था वाकई इतनी खराब हो गई है, या यह सिर्फ चुनावी मौसम की गरमा-गरमी है?।

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News Coordinator and News Writer

Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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